सुबह राजाधिराज महाकाल का सेहरा सजाया, दोपहर में भस्मारती

चुनिंदा लोगों को ही दिया भस्मारती में प्रवेश, नियमित सहित अन्य श्रद्धालु प्रवेश से वंचित

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि में विभिन्न रूपों में दर्शन के बाद भगवान महाकाल को दुल्हा स्वरूप में सेहरा बांधकर श्रृंगारित किया गया। रविवार को सेहरा दर्शन के बाद वर्ष में एक बार दोपहर में 12 बजे होने वाली भस्म आरती शुरू हुई। इस दौरान नियमित श्रद्धालुओं ने प्रवेश को लेकर 4 नंबर गेट पर प्रवेश नहीं देने को लेकर विरोध भी किया। हालांकि सिंहस्थ समय के अनुभवी पुलिस अधिकारियों के हाथों में प्रवेश गेटों की कमान थी। लिहाजा मंदिर के अंदर अनावश्यक लोगों का प्रवेश नहीं हो पाया।

महाकाल मंदिर में शनिवार रात 11 बजे से शुरू हुई महापूजा के बाद रविवार तडक़े चार बजे से बाबा को दूल्हा रूप में श्रृंगार किया गया। बाबा महाकाल को स्वर्ण के आभूषण, स्वर्ण का चंद्रमा, स्वर्ण का त्रिपुण और स्वर्ण तिलक लगाकर दूल्हा बनाया गया है। भगवान महाकाल को सप्त धान्य अर्पण किया गया। तडक़े 4 बजे से सेहरा चढऩा शुरू हुआ।

बाबा महाकाल को सवा मन आंक के फूलों का सेहरा चढ़ाया गया। साथ ही, सवा लाख बेलपत्रों से सजाया गया। सुबह 6 बजे सेहरा आरती की गई। सुबह 11 बजे पुजारियों ने बाबा महाकाल का सेहरा उतारना शुरु किया। इसके बाद पंचामृत पूजन किया गया।

दोपहर 12 बजे से भस्म आरती

श्री महाकालेश्वर मंदिर में वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्मारती रविवार को दोपहर 12 बजे से शुरू हुई। इससे पहले बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा भस्म चढ़ाई गई। भस्मारती में पंडे-पुजारी के अलावा अन्य वीआईपी, अधिकारी ही मौजूद रहे। भस्म आरती दोपहर दो बजे सम्पन्न होने के बाद दोपहर करीब ढाई बजे भगवान की भोग आरती की गई।

रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक महापूजा

महाशिवरात्रि पर्व पर रात्रि 11 बजे से भगवान महाकाल का महाभिषेक हुआ। अभिषेक के दौरान दूध 101 किलो, दही 31 किलो, खाण्डसारी, 21 किलो, शहद 21 किलो, घी 15 किलो, पांच प्रकार के फलों का रस 2-2 किलो, गन्ने का रस 11 किलो, गंगाजल, गुलाब जल, भांग आदि सामग्री के साथ केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करने के पश्चात भगवान को नए वस्त्र धारण कराए गए।

सप्तधान में सात प्रकार के अनाज अर्पित किए

भगवान महाकाल को शिवरात्रि की रात्रि पूजन के दौरान अर्पित होने वाले सप्तधान में 108 किलो सात प्रकार के अनाज शामिल होते है। इनमें 31 किलो चावल, मूंग खड़ा 11 किलो, तिल 11 किलो, मसूर खड़ा 11 किलो, गेंहू 11 किलो, जौं 11 किलो, साल 11 किलो, उड़द खडा 11 किलो भगवान महाकाल को अर्पण किए गए। सप्तधान अर्पण के बाद बाबा महाकाल को सेहरा बांधा गया सेहरे में फूलों की लडियां, आंकडे एवं पुष्पों की मोटी-मोटी माला, सवा लाख बिल्वपत्र शामिल रहे। भगवान महाकाल के सेहरा धारण करने के बाद आरती में भोग के लिए पंचमेवा 1-1 किलो एवं पंच मिष्ठान कुल 7 किलो 500 ग्राम, पांच प्रकार के फल अर्पित किए।

कोटेश्वर महादेव को भी सेहरा चढ़ाया

कोटेश्वर महादेव का महाकालेश्वर मंदिर में अपना एक विशेष स्थान है। इनकी सबसे पहले पूजा का विधान है। आज भगवान कोटेश्वर का भी पंचामृत अभिषेक पूजन कर सेहरा सजाया गया। पुजारी शिवम गुरु ने बताया कि भगवान का सेहरा चढ़ाकर महाआरती की गई। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण भी किया गया।

नियमित व अन्य श्रद्धालु प्रवेश से वंचित

महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने वाली महिलाएं भी सुबह के समय 13 नंबर कोटितीर्थ कुंड के बेरिकेड्स गेट पर प्रवेश को एकत्रित हो गई थीं। लेकिन यहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने सभी को प्रवेश से रोक दिया था। उनको सिंहस्थ समय के अनुभवी एडीशनल एसपी अमरेन्द्रसिंह सहित अन्य अधिकारियों के आदेश थे कि किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं दिया जाए। लिहाजा उनको चार नंबर गेट जाने को कह दिया गया।

चार नंबर गेट पर तैनात पुलिस ने भी उनको मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। यह देखकर महिलाओं ने हंगाम मचा दिया। हालांकि इसके बावजूद पुलिस टस से मस नहीं हुई और अंतत: सभी को वहां से जाना पड़ा। ऐसा रैंप गेट पर भी हुआ जब एक व्यक्ति ने नंदीहाल में प्रवेश को लेकर बखेड़ा कर दिया। एडी. एसपी श्री सिंह ने उनको समझाया तब कहीं जाकर वह माना।

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