उज्जैन पुलिस के अमानवीय चेहरे से ‘खाकी’ हुयी दागदार

अर्जुन सिंह चंदेल

1857 में भारत में हुयी प्रथम क्रांति में लगभग 3 लाख 65 हजार अँग्रेज भगवान को प्यारे हो गये थे जो कुछ भागने में सफल हुए थे और उन्होंने इंग्लैंड की संसद में हिंदुस्तान में क्रांतिकारियों द्वारा अँग्रेजों के कत्लेआम का रोना रोया था। तब ब्रिटिश संसद ने 1 नवंबर 1858 को भारत में कंपनी राज की स्थापना समाप्त करके कानून का राज स्थापित कर दिया था। यह कानून राज ही वर्तमान भारतीय पुलिस का जन्मदाता है।

ब्रिटिश संसद ने पुलिस की स्थापना करके उसे असीमित अधिकार दे दिये थे। इतिहास गवाह है भारत के दस से अधिक राजे-रजवाड़ो की मदद से अँग्रेजों ने फिर से हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया था। सालों गुजर गये पर पुलिस का चेहरा अभी भी शताब्दी पुराना ही है।

महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की पेयजल व्यवस्था में लगे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एक उपयंत्री एवं कर्मचारी के साथ उज्जैन पुलिस के कतिपय अधिकारियों ने अपने साथ के आरक्षकों के साथ अमानवीय तरीके से पशुवत मारपीट की जिससे उपयंत्री के कान का पर्दा क्षतिग्रस्त हो गया है और वह अस्पताल में उपचाररत हैं। बीते तीन दिनों से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का पूरा अमला आक्रोशित है, शहर में आये धर्मालुओं को किसी तरह की परेशानी ना हो इस कारण विपरीत परिस्थिति में कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर मुस्तैदी से तैनात रहे, सोमवती अमावस्या निपट जाने के बाद मंगलवार को विभाग के समस्त कर्मचारियों ने रैली निकालकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। पु

लिस महानिरीक्षक द्वारा पूरे मामले की जांच 3-4 दिनों में करवाने के आश्वासन पश्चात कर्मचारी शांत हुए। परंतु यदि जाँच के सार्थक परिणाम सामने नहीं आये तो शहर में जलप्रदाय व्यवस्था ठप्प भी की जा सकती है। मेरी कालजयी नगरी में बाबा महाकाल ही सबसे बड़े हैं उनके सामने कोई नेता हो या दादा पहलवान या फिर प्रशासनिक या पुलिस अधिकारी जिसने भी घमंड किया है या रौब दिखाने की कोशिश की है महाकाल ने अपना त्रिनेत्र खोलकर उसे अच्छा सबक सिखाया है। उज्जैन के शालीन पुलिस अधीक्षक के शब्द है कि महाकाल की इस नगरी में पदस्थी जीवनकाल के लिये सौभाग्य की बात है।

हर अधिकारी कर्मचारी को भोलेनाथ और उनके दर्शन के लिये आये श्रद्धालुओं की अतिथि की तरह सेवा करनी चाहिये। परंतु उज्जैन पुलिस विभाग में पदस्थ कुछ मदांध अधिकारियों ने बाबा महाकाल और उसके भक्तों को पानी पिलाने वाले निरीह कर्मचारियों को ही वर्दी के नशे में बेरहमी से पीटकर घृणित कार्य किया है जिससे पूरा पुलिस विभाग और ‘खाकी वर्दी’ कलंकित हुयी है। POLICE का हर शब्द अपने आप में इसकी सार्थकता प्रदान करता है।

P का अर्थ पोलाइट यानि सभ्य, O का अर्थ ओबिडियेन्ट मतलब आज्ञाकारी, L का अर्थ लिट्रेट यानि साक्षर, I का अर्थ इंटेलीजेन्ट मतलब बुद्धिमान, C का अर्थ क्लेवर यानि चतुर/चालाक और E का अर्थ इलाइट मतलब श्रेष्ठ। हर पुलिस वाले को इतने गुणों से परिपूर्ण होना चाहिये।

देशभक्ति और जनसेवा की शपथ लेकर अपनी नौकरी प्रारंभ करने वाले पुलिस अधिकारियों का यह दुष्कृत्य निंदनीय है। भले ही विभाग से वह बचने में सफल हो जाये परंतु मृत्युलोक के राजा के न्याय से वह नहीं बच पायेंगे।

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