सामान्य के गर्भगृह दर्शन के दौरान भारी बैग्स और पर्स आ रहे नंदी हॉल तक

महाकाल लोक में रखने की व्यवस्था, मोबाइल तो छोड़ो भारी बैग्स भी नहीं रोक रहे

उज्जैन,अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के गर्भगृह से दर्शन के लिये आ रहे सामान्य दर्शनार्थी अपने साथ भारी बैग्स और पर्स तक लेकर नंदीहाल तक आ रहे हैं। इनको रोकने की व्यवस्था तो मंदिर प्रबंध समिति द्वारा की गई है, लेकिन रोका नहीं जा रहा है। महाकाल लोक से सामान्य को प्रवेश के चलते यहीं पर इसको रखने की व्यवस्था भी है। लेकिन न तो सुरक्षाकर्मी और न ही मंदिर के कर्मचारियों द्वारा इन भारी बैग्स को रोका जा रहा है।

महाकालेश्वर मंदिर हाई अलर्ट पर है। आईबी बीच बीच में अलर्ट जारी करती रहती है। ऐसे में मंदिर में भारी बैग्स और पर्स का ले जाना प्रतिबंधित किया हुआ है। लेकिन मंगलवार से शुक्रवार तक जब सामान्य दर्शनार्थियों को गर्भगृह से दर्शन करवाये जाते हैं। इस दौरान इन नियमों का पालन हवाहवाई हो जाता है।

शुक्रवार को भी मंदिर में भारी बैग्स और पर्स लेकर दर्शनार्थी नंदीहाल तक पहुंचते रहे। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि महाकाल लोक से प्रवेश करने वाले दर्शनार्थियों को इन बैग्स और पर्स को ले जाने की अनुमति किसने दे दी? यहां पर तैनात सुरक्षाकर्मी और मंदिर के कर्मचारियों को इन बैग्स और पर्स को अंदर ले जाने से रोकना चाहिये। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। जबकि महाकाल लोक में इनको रखने की व्यवस्था दी हुई है।

नंदीहॉल में रखवा लेते हैं बैग्स-पर्स

ऐसे सामान्य दर्शनार्थी जोकि अपने साथ बड़े बैग्स या पर्स लेकर गर्भगृह से दर्शन को आते हैं। उन दर्शनार्थियों के बैग्स, हारफूल और पर्स नंदीहाल में रखे हुए पाटले पर रखवा लिये जाते हैं। किस का कौन सा बैग्स या पर्स है। इसकी जानकारी न तो मंदिर के कर्मचारियों को रहती है और न ही वहां पर तैनात पुलिस को। ऐसे में किसी दर्शनार्थी का बैग्स कोई उठा कर ले गया तो बेफिजूल का हंगामा हो जायेगा। वैसे भी बैग्स और पर्स महाकालेश्वर मंदिर की सुरक्षा के लिये खतरा तो हैं ही। इनको गर्भगृह के बिल्कुल पास ही रखवाना भी ठीक नहीं है।

हारफूल चढ़वाने की व्यवस्था अव्यवस्थित

दर्शनार्थियों द्वारा लाये गये हारफूल भगवान महाकाल को नहीं चढ़ाये जाते। हारफूल नंदीहाल में लगे हुए पाटले पर चढ़वा लिये जाते हैं। यहां से टोकरी में भरकर इनको निर्माल्य में पटक दिया जाता है। ऐसे में दर्शनार्थियों द्वारा एक टोकरी 100 रुपये में खरीदना व्यर्थ चला जाता है। दर्शनार्थी की आस्था भी प्रभावित होती है। यदि उसके द्वारा लाये गये हारफूल उसके ही सामने चढ़ जायें तो उसके दर्शन पूरे हो जाते हैं। लेकिन मंदिर में हारफूल न चढ़ें यह भी ठीक नहीं है। मंदिर प्रबंध समिति को हारफूल चढ़वाने की व्यवस्था व्यवस्थित करवाना चाहिये।

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