महाकाल से नैन तो मिलाने दो, धक्का मत मारो

shiv mahapuran Ujjain

पं. प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ से महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों को धक्के पर जताई आपत्ति

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रमादित्य महाकाल राजा शिव महापुराण कथा के छटे दिन रविवार को पं. प्रदीप मिश्रा महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा- मेरे महाकाल कालाधिपति से नैन तो मिलाने दो। धक्का मत दो।

पं. मिश्रा ने कहा अगर मंदिर में खड़ा कोई व्यक्ति समझता है कि वो महाकाल के दर्शन करा रहा है तो इस अभिमान में मत रहना। ना जाने किस कर्म का फल मिला है कि तुम्हे महाकाल ने अपने चरणों की सेवा की नौकरी दी है।

महाकाल के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से अपना पैसा खर्च कर आ रहा है और लेकिन तुम लोग उसे महाकाल से नैन भी नहीं मिलाने देते हो और दे धक्का। जल्दी लाइन चलानी है तो धक्का तो मत मारो। मुस्कुराकर कह सकते हो, प्रसन्नता से कहिए आप आगे चलिए साहब, दूसरो को भी मौका दीजिए।

एक क्षण भी दिल लगा लिया तो बहुत है, ढोंग मत करो

पं. मिश्रा ने कहा आज छटे दिन की कथा है। जैसे शादी में शादी में छटा फेरा उलट पाटे का होता है और वधु अपनी जगह बदल लेती है। वैसे ही छटे दिन की कथा भी उलट पाटे की होती है। यह आपका स्थान बदलकर भक्ति की ओर ले जाती है। पं. मिश्रा ने कहा भक्ति बल बढ़ाने के लिए घंटों मंदिर में बैठने, या नदी तट पर घंटे बैंठने या दिनभर गुरु के दरवाजे पर बैठने आवश्यक नहीं है।

आप अपने घर मेें बैठकर दिल से एक क्षण के लिए परमात्मा को याद करोगे तो भी भक्ति जागृत होगी। कोई नहीं कहता कि घड़ा भर कर जल चढ़ाने की जरूरत भी नहीं है। किसी भी तरह के ढोंग-प्रपंच की जरूरत नहीं है। एक क्षण भी दिल लगा लिया तो महादेव तुम्हे जरूर ढूंढेगे।

देवता को साथ लेकर मत घूमो

पं. मिश्रा ने कहा कि ना जाने किसने बता दिया कि टोकनी में भगवान साथ लेकर घूमो। भगवान को घर में ही स्थापित करें। भगवान को ढोंग प्रपंच नहीं चाहिए। दिन-रात माला जपने पर भी भगवान नहीं मिलते, लेकिन एक पल की भक्ति आपको भगवान से मिला देगी।

उज्जैन की बेटी से सीखो, बड़ी बात मत करना

पं. प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ से उज्जैन की बेटी भावना भावसार और उसकी बहन का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों बहन लंबे समय से शिवमहापुराण की कथा उज्जैन में होने का इंतजार कर रही थीं। मामूली काम कर जीवनयापन करने वाली दोनों बहनों ने भोजनशाला के हर उस छोटे-से छोटे दायित्व को खुशी-खुशी संभाला, जिसे कोई करना पसंद नहीं करता।

इन बेटी से सीखो, सिर्फ सेवा भाव से इन्होंने आज खुद को सबसे बड़ा साबित कर दिया। और बड़ी-बड़ी बात करने वाले बातें ही करते रहे। आप बड़ा काम करो, बड़े लोगों के बीच उठो-बैठो, बड़ा दायित्व निभाओ लेकिन बड़ी बातें मत करो, ये मेरे महादेव को पंसद नहीं।

विराम दिवस पर कथा सुबह 9 से

10 अप्रैल सोमवार को शिवमहापुराण कथा का विरामदिवस है। इस दिन पांडाल में कथा का समय सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक रहेगा। जबकि टीवी चैनलों पर कथा का प्रसारण दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक रहेगा। पं. मिश्रा की अगली कथा 14 अप्रैल से देपालपुर में होगी जिसका नाम प्रसूति शिवमहापुराण कथा है।

 

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