मोहन की ‘मुरली’ के आगे सारे क्षत्रप फेल

उज्जैन वासियों का भाग्य उदय हुआ शहर विकास में लगेंगे चार चांद

  • -अर्जुन सिंह चंदेल

बाबा महाकाल की असीम कृपा से 11 दिसंबर 2023 का दिन उज्जैन के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया। 51 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद उज्जैन में जन्में, दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित करेंगे।

51 वर्ष पूर्व 29 जनवरी 1972 को झालरापाटन राजस्थान में 19 अक्टूबर 1920 को जन्में प्रकाशचंद्र सेठी (जो उज्जैन के निवासी हो गये थे) ने मध्यप्रदेश के आठवेंं  मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। सेठी जी अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये थे और 25 दिसंबर 1975 को वह मुख्यमंत्री पद से निवृत्त हो गये थे।

उज्जैन वासियों  के लिये आज का दिन दीपावली से कम नहीं है। शहरवासी अपने जनप्रतिनिधि और अपने बीच रहने वाले विधायक के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा से फूले नहीं समा रहे हैंं। शहर का हर नागरिक गौरवान्वित है और स्वयं को मुख्यमंत्री से कमतर नहीं समझ रहा है।

भाग्य के धनी

भाग्य के धनी मोहन जी ने उम्मीदवारों की प्रथम सूची में नाम आने से लेकर चुनाव परिणामोंं  तक सबको चौकाया था। राजनीति के माहिर खिलाड़ी ‘मोहन’ ने ‘यथा नाम तथा गुण’ को चरितार्थ करते हुए ‘राजनैतिक कुरुक्षेत्र’ मेंं  महाभारत के युद्ध की तरह बड़ेे -बड़े महारथियोंं, क्षत्रपोंं  को ठीक उसी तरह धराशायी कर दिया जैसे महाभारत मे में मोहन ने द्रोणाचार्य, भीष्म, कृपाचार्य जैसे दिग्गजोंं  को चारोंं  खाने चित करा दिया था।

खैर समय बलवान होता है, आदमी नहीं। वर्तमान मोहन यादव जी का है और भविष्य भी बलवान दिखायी दे रहा है। मोहन जी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी साधारण बात नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मोहन यादव जी को बिठाकर एक तीर से कई शिकार किये हैंं ।

चुनावी गणित

बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत ही छत्तीसगढ़ में आदिवासी और मध्यप्रदेश मेंं  पिछड़ा वर्ग से यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बहुत दूर की कौड़ी खोजी है। आगामी लोकसभा चुनांवों  के मद्देनजर और विपक्षी दलोंं  के गठबंधन ‘इंडिया’ को चारोंं  खाने चित करने के लिये ही छत्तीसगढ़ मेंं  आदिवासी और मध्यप्रदेश मेंं  यादव कार्ड खेला गया है।

उत्तर प्रदेश राज्य जहाँ से 80 लोकसभा सीट हैं, वहाँ अखिलेश यादव के यादव कार्ड से निपटने के लिये मप्र मेंं  यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी गयी है।

आने वाले लोकसभा चुनावोंं  मेंं  उत्तर प्रदेश में यादवोंं  के मत अपने पक्ष मेंं  करने के लिये चुनाव प्रचार मेंं  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव बड़ा चेहरा होंंगे।

ओजस्वी वक्ता और छात्र राजनीति से सियासत मेंं  प्रवेश करने वाले मोहन यादव अपनी मुरली का जादू जहाँ उत्तर प्रदेश मेंं  बिखेरेंंगे वहीं छत्तीसगढ़ के आदिवासी मुख्यमंत्री का उपयोग झारखंड और बिहार मेंं  किया जायेगा।

संभावना है कि राजस्थान मेंं मंगलवार को किसी राजपूत या ब्राह्मण की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ताजपोशी की जाकर सवर्णोंं  को साधा जायेगा।

उज्जैन की उम्मीदें

खैर उज्जैन वासियों  का तो आज भाग्योदय हुआ और शहरवासी प्रदेश के नये मुख्यमंत्री से यह उम्मीद करते हैं कि अब शहर के विकास मेंं  चार चाँद लगेंंगे, रूकी हुई अनेक परियोजनाओंं  को गति मिलेगी, आगामी 2028 मेंं  होने वाला सिंहस्थ अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ेगा, फ्रीगंज से शहर को जोडऩे के लिये ठा. शिवप्रताप सिंह सेतू के अलावा एक और सेतू, रोपवे, मेट्रो के माध्यम से इंदौर से कनेक्टिविटी, शहर की संकीर्ण सडक़ों का चौड़ीकरण, उद्योगोंं  की स्थापना, रोजगार के अवसर सहित अन्य अनेक सौगातेंं  मिलेंंगी।

हम प्रदेश के नये मुखिया डॉ. मोहन यादव जी से उज्जैन के लिये अनुरोध करना चाहते हैंं  कि इंदौर से महाकालेश्वर मंदिर दर्शन के लिये आने वाले श्रद्धालुओंं  के लिये इंजीनियरिंग कॉलेज से लेकर मंदिर तक तथा देवास रोड पर नागझिरी से मंदिर तक एलीवेटेड (हवाई) रोड का निर्माण भविष्य के लिये नितांत आवश्यक है । दूसरा देवास बदनावर मार्ग का फोरलेन बनने के बाद यदि बदनावर से झाबुआ तक फोरलेन और बन जाये तो भोपाल-उज्जैन से गुजरात जाने-आने के लिये सुगमता होगी और कम समय मेंं  प्रदेश की राजधानी से गुजरात पहुँचा जा सकेगा।

शेष फिर कभी।

चंदेल एवं अग्निपथ परिवार की ओर से इस नयी जवाबदारी के लिये मोहन जी को मंगल कामनाएं।

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