लैंक्सेस उद्योग के ठेका श्रमिकों ने की हड़ताल

उद्योग परिसर में धरने पर बैठे, प्रबंधन ने मामले से पल्ला झाड़ा

नागदा, अग्निपथ। जर्मनी से आकर भारत में व्यापार व्यवसाय करने वाले गौरों ने फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाकर उद्योग को संचालित कर रहे है। सोमवार की सुबह सात बजे से ठेका श्रमिक उद्योग परिसर में ही धरने पर बैठ गए। शाम पांच बजे तक प्रबंधन और ठेकेदार श्रमिकों से चर्चा करने के लिए मौके पर नहीं पहुंचे।

जिस उद्योगों को समुद्र में भी लगाने की अनुमति नहीं है ऐसे उद्योग का संचालन शहर की रिहायशी क्षेत्र में हो रहा है, उद्योग प्रबंधन औ श्रमिक नेताओं की दमनकारी नीतियों के कारण सोमवार को ठेका श्रमिकों का आक्रोश फुट गया। ठेका श्रमिकों ने गांधीवादी तरीके से उद्योग परिसर में अपना प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। सुबह सात बजे श्रमिक उद्योग परिसर में धरने पर बैठ गए, दोपहर साढ़े बारह बजे तक मामले की भनक किसी को नहीं लगी। पौने एक बजे बिरलाग्राम पुलिस थाने का स्टाफ मामले की वास्तविकता जानने के लिए उद्योग परिसर में पहुंचा।

श्रमिकों का कहना था कि पे ग्रेडेशन का लाभ श्रमिकों को नहीं मिल रहा है। इंटक और भामसं के कुछ श्रमिकों को स्थायी कर दिया गया, जबकि पात्र श्रमिकों को दरकिनार किया, जिससे श्रमिकों में विरोध के स्वर उभर रहे है। हाल ही में एक नये श्रमिकों को रखा गया है जिसको 864 रुपए के मान से वेतन दिया जा रहा है जबकि अन्य श्रमिकों को 500 से 600 रुपए के मान से वेतन दिया जा रहा है। श्रमिकों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए भामसं के दो नेता मौके पर समझाने के लिए पहुंचे थे, लेकिन श्रमिकों ने उनकी एक नहीं सुनी।

सूत्रों के अनुसार भवानीसिंह शेखावत के समर्थकों द्वारा आंदोलन को संचालित करने की बात सामने आ रही है। इस मामले में प्रबंधक का कहना है कि यह मामला सीधा प्रबंधक से जुड़ा हुआ नहीं है ठेकेदार और श्रमिक के बीच का मामला है। इस संबंध में एसडीएम एसएन सोनी से सम्पर्क करना चाहा तो उन्होने मोबाईल अटेंड नहीं किया, जबकि तहसीलदार अनिरुद्ध मिश्रा का कहना था कि मैं उज्जैन में टीएल बैठक में आया हूं बाद में बात करता हूं। जबकि स्थानीय उद्योग में श्रमिकों की हड़ताल को लेकर पुलिस विभाग के कर्मचारियों द्वारा जिला मुख्यालय के अधिकारियों को पल पल की अपडेट दी जा रही थी।

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