मेरा मन, मेरी रुचि और मेरे अरमानों में भी संयम है

मुमुक्षुु सलोनी मेहता ने बेबाकी से दिये सवालों के जवाब

बडऩगर, अग्निपथ। मोबाइल टीवी हमारे संस्कारों को नष्ट कर रहे हैं। आप सभी युवा पीढ़ी को संदेश देना चाहती हूं कि आध्यात्मिक संस्कारों को ग्रहण करें। मेरे पिता ज्ञानचंद जी और माता रेखा जी के आदर्शमय जीवन से मुझे संयम मार्ग पर बढऩे की प्रेरणा मिली है। मैं नगर, संघ, समाज और परिवार का नाम रोशन करूंगी। मेरा मन भी संयम में लगा है, मेरी रुचि भी संयम है और मेरे अरमानों में भी संयम है। संयम का शौक स्थाई है।

ये बेबाक उत्तर प्रवचन पंडाल में जैन दीक्षा अंगीकार करने जा रही मुमुक्षु सलोनी मेहता ने दिए। उनके सांसारिक जीवन के जियाजी जयप्रकाश लुनिया द्वारा भौतिक सुख, सांसारिक बातें और संयम की साधना पर पूछे गये सवाल- राग बड़ा है या द्वेष, राग और द्वेष को कैसे छोड़ेंगी, क्या संयम लेने के लिए उम्र सही है, भौतिक सुखों को छोडक़र आध्यात्मिक की राह में क्यों जा रही हैं, संयम बंधन है या आजादी जैसे अनेक सवालों के जो जवाब सलोनी ने दिए तो सारे पाण्डाल में सिहरन सी दौड़ गई।

रक्षाबंधन रस्म में छलके आंसू, तपस्वियों का हुआ पारणा

सलोनी मेहता के संयम पथ पर अग्रसर होने के तहत सांसारिक जीवन की रस्मों में रक्षाबंधन का कार्यक्रम आयोजित हुआ साध्वी दीक्षा लेने जा रही सलोनी ने सभी भाइयों की कलाइयों पर संगीत की धुन के साथ राखी बांधी। इस दौरानो पंडाल में बैठी हर आंख नम थी।

संयम में धर्म और प्रभु से नाता जुड़ता है: आनंदचंद्र सागर जी

दीक्षा महोत्सव के तीसरे दिन गणीवर्य आनंदचंद्र सागर जी ने उपस्थित अपने प्रवचन में कहा कि श्मशान में तो चिता कुछ देर जलती है किंतु संसार में तो पल-पल जलना पड़ता है। धर्म को गहराइयों से समझ कर धर्म में डूब जाना है। जिन शासन का कार्य करेंगे और धर्म ध्वजा लहराएंगे, यही मन में भाव होना चाहिए। संसार में पाप की गाड़ी सरपट दौड़ती है किंतु संयम में धर्म और प्रभु से नाता जुड़ता है। जो प्रभु से संबंध जोड़े वह वीर और संयमी होता है। दीक्षा का मतलब छोडऩा कम है और पाना अधिक है। भूमि से मुक्ति की ओर का नाम ही संयम है।

बढ़ते व्यसन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज व्यक्ति अनेक तरह के व्यसन कर रहा है। जो हमारी संस्कृति और शरीर दोनों के लिए हानिकारक है। व्यसनों की लंका में हमें आग लगा देना चाहिए और संस्कारों का ग्रहण होना चाहिए। मसा चंद्र सागर जी ने भी धर्म सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर साध्वी अमितगुणा श्रीजी, अर्चितगुणा श्रीजी, अर्पितगुणा श्रीजी, अमिझरा श्रीजी भी उपस्थित थीं।

वर्षीतप तपस्वियों का हुआ पारणा

संयम धर्म की बात हो और तप के बहुमान अंतर्गत मेहता परिवार द्वारा नगर में सर्वप्रथम बार हो रही है वर्षितप के 70 से अधिक तपस्वियों के पारणा का लाभ लिया। दीक्षा मीडिया प्रभारी विजय गोखरू, राजकुमार नाहर ने बताया कि आज प्रात: परमात्मा की रथ यात्रा के साथ-साथ वर्षदान का विशाल वरघोड़ा सलोनी के निज निवास से निकलेगा जो नगर के विभिन्न मार्गो से होता हुआ दीक्षा स्थल ज्ञानानंदी वाटिका पहुंचेगा।

शुभ मुहूर्त 12:39 बजे प्रीतिदान दीक्षार्थी बैठकर दानशाला से दान देगी। दोपहर 2 बजे अंतिम वायना के रूप में कवल से केवल्य कार्यक्रम और संध्या को विदाई समारोह का भावनात्मक कार्यक्रम होगा। जिसे जैनम भाई वारिया मुंबई और मनोज भाई जैन चेन्नई प्रस्तुत करेंगे।

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