जिला अस्पताल में गबन के मामले में स्टीवर्ड का तबादला

बाबू ने भी ट्रांसफर के लिए किया आवेदन

उज्जैन, अग्निपथ। जिला अस्पताल के गबन मामले में बुधवार को सिविल सर्जन ने स्टीवर्ट का तबादला कर दिया। वहीं बाबू ने भी मामले में नाम आने के बाद अपने ट्रांसफर निवेदन किया है।

जानकारी के अनुसार 2 लाख रुपए से अधिक की मेडिकल बोर्ड की राशि 3 साल दबाकर बैठे रहने के चलते आरएमओ कार्यालय के स्टीवर्ट जय सिंह और बाबू राकेश मालवीय को सिविल सर्जन द्वारा शोकाज़ नोटिस जारी किया था। वही मेडिकल बोर्ड की 150 रुपए की राशि का विवरण सन 2019 से देने के निर्देश प्रदान किए थे।

हालांकि मामले में आरएमओ ऑफिस के स्टीवर्ट द्वारा मंगलवार को डॉक्टर्स के शेयर शुल्क, शासन का मद और रोगी कल्याण समिति के मद में राशि डाल दी गई थी। दरअसल विगत तीन सालों से अधिक की मेडिकल बोर्ड की राशि को दबाये रखने के कारण जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की नजर में भी यह मामला आया था। इसके बाद स्टीवर्ट जय सिंह का बुधवार को ट्रांसफर चरक अस्पताल के स्टोर में कर दिया गया ।

बाबू ने पहले भी दिया था तबादले का आवेदन

गबन के इस मामले में बाबू राकेश मालवीय का नाम आने के बाद उन्होंने अपने ट्रांसफर का आवेदन बुधवार को सिविल सर्जन डॉ पीएन वर्मा को दिया है। जानकारी में आया है कि 6 जनवरी 2024 को भी उनके द्वारा सिविल सर्जन को उनके द्वारा ट्रेनिंग के पश्चात चरक अस्पताल के नेत्र विभाग में पत्र प्रस्तुत किया गया था लेकिन उनको आरएमओ कार्यालय में ही पदस्थ कर दिया गया था।

बाबू ने नेत्र विभाग में अपनी पदस्थापना संबंधी पत्र का उल्लेख करते हुए उनका ट्रांसफर वहीं पर करने का निवेदन किया गया है । ज्ञात रहे की ट्रेनिंग के पश्चात क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा पदस्थापना चरक अस्पताल के नेत्र विभाग में सहायक नेत्रपाल के रूप में करने का आदेश जारी किया गया था।

कौन होगा नया स्टीवर्ट

ट्रांसफर के बाद अब आरएमओ कार्यालय के स्टीवर्ट के पद पर रिक्त होने की समस्या पैदा हो जाएगी। क्योंकि यहां का बाबू राकेश मालवीय भी इल्जाम लगने से आहत है और वह अपना तबादला अन्यत्र चाहता है।

बाबू राकेश मालवीय का ट्रांसफर नहीं किया गया है क्योंकि आरएमओ कार्यालय को संभालने के लिए इतना अनुभवी व्यक्ति कोई भी नहीं है….

शहर में आए दिन वीवीआईपी लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। जिसके चलते डॉक्टर सहित स्टाफ की ड्यूटी अनुभवी व्यक्ति ही लगा सकता है । मेडिकल बोर्ड सहित यहां के अन्य कार्य भी मुश्किल भरे हैं। जिसके चलते आरएमओ कार्यालय को अनुभवी कर्मचारी ही चला सकता है।

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