आरडी गार्डी अस्पताल पर किया 50 हजार जुर्माना

स्वच्छता अभियान में कार्रवाई, खुले में डाला था एक ट्रॉली कचरा

उज्जैन, अग्निपथ। स्वच्छ भारत अभियान में शहर को अव्वल लाने की नगर निगम की कोशिशों को अब भी कई संस्थान धता बता रहे हैं। कोविड-19 के इलाज के लिए सरकार ने जिस आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को शहर में सबसे पहले अधिगृहित किया था, वहीं से एक ट्रॉली कचरा खुले में फेंका गया। खास बात यह है कि इसमें बायोवेस्ट भी शामिल है। इसको लेकर नगर निगम ने शनिवार को अस्पताल पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया है।

शनिवार को एमआर-5 (आगररोड को मक्सी रोड से जोडऩे वाले रास्ते) पर एक ट्रॉली कचरा फेंका जा रहा था। तभी नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी संजय कुलश्रेष्ठ एवं मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक पुरूषोत्तम दुबे मौके पर पहुंचे तो पता चला कि कचरा आरडी गार्डी हॉस्पिटल से लाकर फेंका जा रहा है। इस कचरे में संक्रमित एवं बायोवेस्ट अपशिष्ट पदार्थ सम्मिलित थे। कचरे का ठीक से निपटान ने करते हुए खुले में डालते पाए जाने पर दोनों अधिकारियों ने आरडी गार्डी अस्पताल पर 50 हजार रुपए जुर्माना की कार्यवाही की गई।

बायो मेडिकल अपशिष्ट

जैव चिकित्सा अपशिष्ट से आशय मनुष्यों या पशुओं के उपचार, चिकित्सीय जाँच या चिकित्सा से जुड़े शोध कार्यों या उत्पादन के दौरान उत्पन्न होने वाले अपशिष्टों से है। इसमें संक्रमित रक्त या कोशिका नमूने, सीरिंज (सुई), बैंडेज, दस्ताने, मास्क या अन्य उपकरण आदि शामिल हैं।

नियम विरुद्ध फेंका कचरा

आरडी गार्डी अस्पताल का कचरा खुले में फेंकने से स्वच्छता अभियान के तहत तो गलत है ही साथ में बायोमेडिकल अपशिष्ट के निपटान के लिए बने नियम के खिलाफ भी है। जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत सभी अस्पतालों को अपने यहां का कचरा एक निर्धारित विधि के तहत निपटान करवाना होता है। इसके लिए इंसिनरेटर का प्रयोग किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि शहर में इंदौर की एक कंपनी की गाड़ी ऐसा कचरा लेने के लिए आती है। जिसका शुल्क लिया जाता है। ऐसे में अस्पताल का कचरा खुले में फेंकना जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम का उल्लंघन भी है।

खतरा भी बन सकती है लापरवाही

आरडी गार्डी अस्पताल प्रबंधन द्वारा खुले में कचरा फिंकवाने की लापरवाही (गलती) दूसरों के लिए भी खतरा बन सकती है। दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमितों का इलाज भी शुरुआती दौर से आरडी गार्डी अस्पताल में किया जा रहा है। ऐसे में बायोवेस्ट मेडिकल अपशिष्ट में भी संक्रमण की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इससे इलाके के अन्य स्वस्थ्य लोगों में कोरोना संक्रमण की आशंका पैदा हो सकती है।

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