देशवासियों की सहनशीलता को बारम्बार प्रणाम

सर्वप्रथम 138 करोड़ भारतीयों के धैर्य और संयम को बारम्बार प्रणाम करता हूँ। यह प्रणाम इसलिये कर रहा हूँ कि पिछले एक वर्ष में मनुष्य के जीवन के लिये अनिवार्य बन चुकी रसोई गैस और पेट्रोल-डीजल के भावों ने आसमान छू लिया परंतु सहनशील भारतीयों ने उफ् तक नहीं किया और इस मूल्य वृद्धि को सरकार का प्रसाद समझकर शिरोधार्य कर लिया। खबर तो यह भी आ रही है कि सरकार गैस सब्सिडी को बंद करने जा रही है।

दुनिया में चीन के बाद हमारा देश भारत एल.पी.जी. (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) का सबसे ज्यादा उपयोग करता है। जहाँ 2014-2015 तक हमें 14.8 लाख टन गैस की जरूरत होती थी वह बढ़ते-बढ़ते 2017-2018 में 22.4 लाख टन तक हो गई थी। चीन का वार्षिक औसत 27 लाख टन है और हमारी वार्षिक औसत खपत 17 लाख टन है। दिसंबर माह में भारत ने 24 लाख टन एल.पी.जी. गैस का आयात किया और उम्मीद है कि वर्ष 2022-2023 तक हमें 27 लाख टन प्रतिमाह एल.पी.जी. का आयात करना होगा।

भारत ज्यादातर एल.पी.जी. यू.एस. और मिडिल ईस्ट देशों से खरीदता है। भारत में वर्तमान में 27.6 करोड़ परिवारों के पास एल.पी.जी. कनेक्शन है और यह संख्या भारत की कुल आबादी का 90 प्रतिशत ईंधन के तौर पर गैस का उपयोग करती है। अकेले इंडियन ऑयल कारर्पोरेशन (आई.ओ.सी.) ही प्रतिदिन 30 लाख गैस टंकियों का प्रदाता है।

एल.पी.जी. की मूल्य वृद्धि दो बातों पर निर्भर रहती है -१) एल.पी.जी. का अंतर्राष्ट्रीय बेंच मार्क रेट (तय मूल्य) और 2) यू.एस. डॉलर और भारतीय रुपयों का एक्सचेंज रेट।

भारत में कार्यरत हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारर्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने दिसंबर 2020 में दो बार एल.पी.जी. के दामों में बढ़ोत्तरी कर प्रत्येक सिलेण्डर पर 100 रुपये तक की वृद्धि कर दी है।

कोरोना में लॉकडाउन से बदहाल देश के नागरिक दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर गैस सिलेण्डर के मूल्य में वृद्धि दूसरी ओर सरकार द्वारा सब्सिडी लगभग समाप्त किया जाना। बहुत से नागरिकों को तो यह भी मालूम नहीं होगा कि उनकी जेब पर किस तरह से कैंची चल रही है।

आइये देखते हैं वर्ष 2020 के जनवरी-फरवरी माह में मतलब तेरह माह पूर्व 14.2 किलोग्राम के गैस सिलेण्डर का मूल्य था 769 रुपये और सरकार ने उस पर 200 रुपये की सब्सिडी दी थी, मार्च में मूल्य बढक़र हुआ 862 रुपये तो सब्सिडी भी बढक़र 200 की जगह 250 कर दी गई, अप्रैल 2020 में मूल्य 799 रुपये था तो सब्सिडी 208 रुपये 62 पैसे दी गई। बस यह सब्सिडी आखरी समझी जाए। इसके बाद मई में गैस सिलेण्डर का मूल्य 590 रुपये सब्सिडी शून्य, जून में 644.50 रुपये मूल्य सब्सिडी 47 रुपये, जुलाई में गैस सिलेण्डर का मूल्य 650 रुपये सब्सिडी 47 रुपये, अगस्त में टंकी का मूल्य 652 रुपये सब्सिडी 47.12 रुपये, सितंबर में मूल्य 654 सब्सिडी 47.12 रुपये, अक्टूबर में मूल्य 654 रुपये सब्सिडी 48.62 रुपये, नवंबर 2020 में गैस सिलेण्डर के मूल्य में 50 रुपये की वृद्धि होकर 704 रुपये का और सब्सिडी शून्य मतलब 100 रुपये की वृद्धि, दिसंबर में 754 रुपये की टंकी सब्सिडी 43 रुपये, जनवरी 2021 में मूल्य 754 रुपये सब्सिडी 48 रुपये और इस माह फरवरी में मूल्य 780 रुपये सब्सिडी 48.62 रुपये।

कुल मिलाकर बीते 14 माहों में एक गैस सिलेण्डर पर 163 रुपये की मूल्य वृद्धि कर दी गई है। इसी तरह रिफायनरी से 30 रुपये प्रति लीटर मूल्य वाले पेट्रोल की कीमत भी आसमान पर है पेट्रोल का प्रीमियम वर्जन तो सौ के आँकड़े को छू चुका है। अमेरिका, चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। सऊदी अरब द्वारा उत्पादन में कटौती से जो कू्रड आयल (कच्चा तेल) 53.50 डॉलर प्रति बेरल था वहीं 59 डॉलर प्रति बेरल पर पहुँच गया है।

रिफायनरी से 30 रुपये प्रति लीटर चलने वाले पेट्रोल-डीजल पर केन्द्र सरकार उत्पाद शुल्क के रूप में 32.98 रुपये प्रति लीटर जोडक़र इसे 62.98 रुपये मूल्य का बना देती है फिर राज्य सरकारें सेलटैक्स या वाणिज्यक टैक्स के रूप में 19.55 रुपये प्रति लीटर बढ़ाकर इसे 82.53 रुपये का कर देती है जो वाहन की टंकी में आते-आते 94-95 रुपये का हो रहा है।

आम आदमी की जेब पर बोझ डालने वाली सरकारें करो में कटौती करके आम आदमी की मुश्किलों को कम करके राहत दे सकती है। देश में मृत प्राय: विपक्ष के कारण, रही-सही कसर सरकार ने इस वित्तीय बजट में और पूरी कर दी है। जो प्रस्ताव आया है उसमें कृषि क्षेत्र की मजबूती के लिये पेट्रोल पर 2.50 रुपये और डीजल पर 4 रुपये का एग्री इंफ्रा सेस (टैक्स) लगाया जाना है।

आम आदमी के जख्मों पर राहत के मरहम की जगह वृद्धि कर मिर्च छिडक़ी जा रही है। रिसर्च और कंसलटेन्सी फर्म वुड मैकेगी की रिपोर्ट अनुसार भारत में जहाँ 2017-2018 में पेट्रोल-डीजल की खपत 20.6 करोड़ टन थी वह 2019-20 में बढक़र 22.1 करोड़ टन हो गई है। गरीबों के घर के ईंधन केरोसिन पर वर्ष 2011-2012 तक 28225 करोड़ सब्सिडी रुपये दी जाती थी उसे घटाते-घटाते 2020-2021 में मात्र 3659 करोड़ कर दिया है। इसलिये भारतवासियों आपकी सहिष्णुता, संयम, धैर्य, सहनशीलता के बारे में यहीं कहूँगा कि आप सब महान है।

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