विष्णु सागर उपेक्षा की बलि चढ़ा: व्यायाम की मशीनें हो रहीं भंगार, सफाई पर नहीं ध्यान

बड़ी संख्या में लोग आते हैं मार्निंग वॉक करने

उज्जैन, अग्निपथ। राम जनार्दन मंदिर के समीप स्थित विष्णु सागर का सौंदर्याकरण एवं विकास कुछ वर्ष पहले करवाया गया था। उस दौरान विष्णु सागर को गहरा करते हुए इसके चारों ओर सघन रूप से पौधारोपण किया गया। इसके बाद पौधे अब पेड़ का रूप धारण कर चुके हैं। विष्णु सागर के बगीचे में दूब (घास) लगाई गई थी जो कि अब नष्ट हो चुकी है। जिससे यहां पर आने वाले बच्चों को खेलने में दिक्कत हो रही है।

विष्णु सागर के समीप चौरासी महादेव में शामिल चार महादेव मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा गणेश मंदिर एवं अन्य मंदिर भी हैं। जिनके दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन आते हैं। वहीं कई लोग विष्णु सागर में भ्रमण करने के लिए पहुंचते हैं।

कुछ माह पहले विष्णु सागर का फिर से सौंदर्याकरण एवं विकास कार्य किया गया। जिसके चलते बगीचे में लगी दूब यानी घास पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है और बगीचे में छोटी-छोटी गिट्टी बिखरी पड़ी है। इस वजह से जो बच्चे झूले, चकरी आदि का आनंद लेने के लिए बगीचे में पहुंचते हैं उन्हें गिट्टी के कारण दिक्कत होती है।

जबकि बगीचे में फिर से दूब लगाई जाना चाहिए ताकि इस गर्मी के मौसम में शाम के समय परिवार सहित आने वाले लोगों को यहां पर बैठकर नाश्ता पानी करने और अपनी थकान मिटाने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो।

व्यायाम का सामान भी हो रहा खराब

विष्णु सागर में सुबह के समय मार्निंग वॉक करने आने वाले लोगों की सेहत दुरुस्त करने के लिये यहां पर व्यायाम के सामान भी लगाए गए थे। 7 से 8 प्रकार की आधुनिक मशीनों को यहां पर लगाकर सेहत सुधारने का एक अच्छा संदेश देने का प्रयास किया गया था। लेकिन इन मशीनों का समय पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कई मशीन जाम या तो खराब पड़ी हुई हैं। वैसे भी दो माह का छुट्टियों का दौर फिर से शुरू होने वाला है। इस दौरान युवा, बच्चे और बुजुर्ग सुबह के समय यहां पर व्यायाम करने के लिये पहुंचेंगे। ऐसे में यहां की व्यवस्था को ठीक करना प्रशासन के साथ ही समाजसेवा करने वाले लोगों के लिये भी बेहद जरूरी है।

फव्वारा कभी चलता, कभी नहीं….

विष्णु सागर में मछलियों सहित कछुए और अन्य जलीयजीव भी रहते हैं। यहां का पानी खराब होने के कारण समय समय पर पानी में आक्सीजन पहुंचाने के लिये फव्वारा चलाने की आवश्यकता रहती है। लेकिन इसको भी कभीकभार ही चालू किया जाता है। पानी में चारा डालने के लिये भी लोगों का हुजूम उमड़ता है। ऐसे में इस भीषण गर्मी के दौर में यदि सुबह से ही फव्वारे को चालू कर दिया जाय तो लोगों के आंखों को सुकून तो मिलेगा ही साथ ही यहां का दूषित पानी भी साफ हो पायेगा।

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