विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को कलंकित करने वाली घटना

पिछले दिनों देश के सबसे खुशहाल प्रदेश माने जाने वाले गुजरात के बनासकांठा में एक चार्टर्ड अकाउन्टेट द्वारा 1 करोड़ की बीमा राशि के लिये अपनी पत्नी की हत्या के समाचार से मन व्यथित है। घटना के अनुसार 26 दिसंबर 2020 को बानसकांठा में चार्टर्ड अकाउन्टेट ललित टांक ने अपनी पत्नी दक्षा बहन की सुपारी देकर हत्या करवा दी। पति ललित ने हत्या को दुर्घटना का रूप देने का प्रयास किया।

जिस वाहन में दुर्घटना बतायी गई उसी वाहन में ललित ने भी अपनी मौजूदगी बताई थी, परंतु उसे जरा-सी भी खरोंच ना आना पुलिस के गले नहीं उतरा। मामले में बारीकी से जाँच की गई और सी.ए. ललित के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगालने पर हत्या का राज खुला और बनासकांठा पुलिस ने दक्षा बहन की हत्या के आरोप में पति ललित टांक को गिरफ्तार कर लिया। उच्च शिक्षित वर्ग के एक व्यक्ति ने धन के लालच में मानवता को तार-तार कर दिया है अपनी ही पत्नी के खून से हाथ रंगने वाले नराधम ने विवाह जैसे पवित्र बंधन को भी कलंकित कर दिया है। ललित की दो संताने भी हैं, बेटी हीर सवा साल की और बेटा आदित्य 4 वर्ष का।

इंसान के जीवन के 16 संस्कारों में से 13वें नंबर के सबसे महत्वपूर्ण विवाह संस्कार माना जाता है। सृष्टि के आरंभ में विवाह जैसी कोई प्रथा नहीं थी, कोई भी पुरुष किसी के भी साथ यौन संबंध बनाकर संतान उत्पन्न कर सकता था। पिता की स्थिति शून्य होने के कारण समाज माता प्रधान था। यह सब वैदिक काल तक चलता रहा। उसके बाद परवर्ती काल में ऋषियों ने इसको पाश्विक मानते हुए चुनौती दी और विवाह प्रथा की स्थापना हुई।

वैदिक काल के ही साहित्य में ऋषि श्वेत केतु का संदर्भ आता है, जिन्होंने मर्यादा की रक्षा के लिये विवाह प्रणाली को स्थापित किया और तभी से कुटुम्ब व्यवस्था की शुरुआत हुई। विश्व के सर्वप्रथम ग्रंथ ऋग्वेद में विवाह के नियम बताये गये हैं और प्रतीक स्वरूप सूर्य और सूर्या के विवाह होना बताया है। हमारे गं्रथों में पत्नी को ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का स्त्रोत बताया गया है। हिंदू विवाह ऋषि ऋुति के अनुसार दो शरीर, दो मन, दो बुद्धि, दो प्राणों व दो आत्माओं का समन्वय होता है। अगाध प्रेम के व्रत का पालन करने वाले दंपत्ति उमा-महेश के प्रेम को दर्शाते हैं यही विवाह का स्वरूप है। विवाह यानी वि+वाह अर्थात विशेष रूप से उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना, हिंदू विवाह पति-पत्नी के बीच जन्म जन्मांतरों का संबंध होता है।

विवाह एक प्रकार से दोनों का दूसरा जन्म होता है जिसमें पवित्र अग्नि के समक्ष धु्रव तारे को साक्षी मानकर दो तन, मन व पवित्र आत्माएँ 7 फेरे लेकर जो विवाह की स्थिरता का मुख्य अंश होते हैं जिसमें हर एक फेरा एक वचन होता है जिसे दोनों को निभाना होता है तब दो आत्माओं को पवित्र बंधन में बांंधा जाता है।

सी.ए. ललित ने बीमे की एक करोड़ की राशि के लिये पत्नी की हत्या जैसे घृणित कार्य को अंजाम दे दिया। शातिर ललित ने किसी को शक ना हो इसलिये दक्षा बहन का नेत्रदान भी कराया। इस कलियुगी पति का अपनी पत्नी की हत्या करवाने के पहले दिल क्यों नहीं पसीजा। उसने ना सिर्फ अपनी पत्नी का खून किया बल्कि विवाह जैसे पवित्र रिश्ते, सात फेरे के समय लिये गये वचनों का भी खून किया है। शैतान ललित ने अपने बच्चों के बारे में भी कुछ नहीं सोचा।

भौतिकवाद के इस कलियुग में मानवीय रिश्तों में सबसे पवित्र रिश्ते विवाह को कलंकित करने वाले ललित ने बता दिया है कि इंसान कितनी भी तरक्की कर ले पर अभी भी इंसान के अंदर का शैतान और हिंसक पशुता जिंदा है जो ऐसी घटना के रूप में बाहर आता है।

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