भय्यू महाराज सुसाइड केस:सेवादार बाेला – आयुषी ने महाराज की पहली पत्नी के फोटो घर से हटाए थे, जिससे हुआ था विवाद, आयुषी के मां-बाप ने घर खरीदने मांगे थे एक करोड़

इंदौर। भय्यू महाराज का एक और सेवादार शेखर शर्मा प्रतिपरीक्षण के दौरान पक्षद्रोही हो गया। उसने बयान में कहा कि घटना के बाद मेरे सामने किसी तरह की जब्ती नहीं की गई। कोई मोबाइल या अन्य दस्तावेज मेरे सामने जब्त नहीं किया गया। पुलिस के द्वारा जो पेपर दिखाए जा रहे हैं, उस पर साइन भी मेरी है, लेकिन इसमें जो लिखा है, उसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। हालांकि उसने यह जरूर कहा कि पहली पत्नी के फोटो घर से हटाने पर महाराज का आयुषी से विवाद हुआ था। साथ ही घर खरीदने के लिए आयुषी के माता-पिता को एक करोड़ रुपए चाहिए थे। इसके पहले कुहू के केयरटेकर अमोल चौहान के भी बयान हुए थे। उसने भी घटना की जानकारी से इनकार कर दिया था। अब तक मामले में बेटी, बहन, डॉक्टर सहित एक दर्जन लोगों के बयान हो चुके हैं। दूसरी पत्नी आयुषी के बयान अभी अधूरे हैं।

कोर्ट में दिए बयान के अंश

अकोला निवासी शेखर ने बताया कि 10 साल पहले वह महाराज के संपर्क में आया था। उनके कहने पर 2007-08 में इंदौर आकर पूजन करने लगा। महाराज के बुलावे पर ही वह उनके घर जाता था। महाराज की पत्नी माधवी बेटी की पढ़ाई के कारण ज्यादातर पुणे में रहती थीं। मां के देहांत के बाद बेटी कुहू इंदौर में ही रहने आ गई और डेली कॉलेज में पढ़ने लगी। पता चला था कि पलक पौराणिक कुहू की केयर टेकर थी। महाराज के घर आने जाने के दौरान पलक से बात हुआ करती थी।

2016 में नवरात्रि में मैं महाराष्ट्र गया और जब लौटा तो पता चला कि महाराज ने आश्रम के ऑफिस के लिए 15 लोगों की एक टीम मनीष खण्डेलवाल ने बनाई है। उस टीम में आयुषी शर्मा भी थी। महाराज की बड़ी बहन मधुमती भी उस समय इंदौर आई हुई थी। आयुषी द्वारा मां की सेवा को देख जब महाराज को आयुषी से शादी करने को कहा गया तो वे नाराज हो गए और कुछ दिन के लिए बाहर चले गए। घर छोड़ने वाली बात मुझे विनायक ने बताई थी। मां और बहन के कहने पर उन्होंने आयुषी से 30 अप्रैल 2017 को शादी कर ली थी। शादी से नाराज बेटी नहीं आई थी। कुहू शादी के दिन मामा के घर औरंगाबाद महाराष्ट्र में थी।

मैं 12 जून 2018 को सुबह साढ़े 9 बजे के करीब महाराज के घर सिल्वर स्प्रिंग फेस -1 पहुंचा था। योगेश चाव्हाण से पूछने के बाद मैं महाराज के कमरे में गया, जहां वे लेटे हुए थे। उस समय आयुषी किचन में थी। मैंने उन्हें कहा कि बात करने के लिए कई लोगों के फोन आ रहे हैं। मैंने उन्हें लिस्ट दिखाई। इस पर महाराज ने थोड़ी देर में बात करने को कहा। इसके बाद उन्हाेंने संदीप कांटे और मनोहर सोनी को बुलाने को कहा। काफी देर तक नहीं आने पर मैंने फिर से संदीप को फोन लगाया तो वह बोला कि मैंने ड्राइवर शरद शेवालकर को मनोहर के घर लेने भेजा है। मनोहर पूजा कर रहा है, शरद को फोन लगा लो। मैंने शरद को फोन कर मनोहर से बात की तो वह बोला निकल रहा हूं।

महाराज ने कहा कि आयुषी को कुहू के इंदौर आने के बारे में जानकारी नहीं है। आयुषी आई और उसे उसके और उसकी मां के फोटो घर पर नहीं दिखे तो दोनों में तांडव हो जाएगा। ऐसे में संदीप आयुषी को और मनोहर कुहू को समझाएगा। इसलिए महाराज ने दोनों को बुलाया था। इसी दौरान महाराज ने ड्राइवर नरेश को विनायक से बात कर कुहू को लेने एयरपोर्ट जाने को कहा। योगेश से आयुषी के बारे में पूछा तो पता चला कि वो कॉलेज गई हैं।

इस पर महाराज ने प्रवीण देशमुख को बुलाकर कहा कि कुहू के फोटो उसके कमरे में लगा दो और कमरे की सफाई अच्छे से कर दो। करीब पौने 12 बजे सफाई होने के बाद महाराज कुहू के कमरे में बैठने चले गए। उन्होंने कहा कि कुहू मुझे कमरे में देखेगी तो अच्छी लगेगा। मैं और योगेश भी कमरे में चले गए।गुरुजी ने कमरे के आसपास देखने के बाद मुझसे बोला कि नीचे जाकर पता करो कि वे कहा तक आए। मुझे कुछ देर डिस्टर्ब मत करना। मेरे आने के 10 मिनट बाद योगेश भी कमरे के बाहर आ गया।

साढ़े 12 बजे के करीब कुछ टूटने की आवाज आई तो प्रवीण दौड़कर ऊपर कमरे में पहुंचा। हमें लगा शायद महाराज सीढ़ियों से गिर गए हैं। मैं सीढ़ियां चढ़ ही रहा था कि प्रवीण ने कहा कुछ नहीं गिरा है। महाराज ने कहा था कि मुझे डिस्टर्ब मत करना इसलिए हम लोगों ने उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया। करीब डेढ़ बजे आयुषी आई। उसने योगेश से कुछ बात की। मैंने आयुषी को यह नहीं बताया कि महाराज कुहू के कमरे में हैं। क्योंकि वह कुहू का नाम लेते ही चिढ़ जाती थी। आयुषी ऊपर कमरे में गई और मैं फोन पर बात करते हुए मेन गेट के बाहर निकल गया। मैं बात कर ही रहा था कि मुझे आयुषी के जोर से चिल्लाने की आवाज आई तो मैंने सोचा कि गुरुजी ने आयुषी को कुहू के आने की बात बताई होगी, इसलिए चिल्लाई। क्योंकि जब भी आयुषी व गुरुजी के बीच झगड़ा होता था, तो आयुषी ऐसे ही चिल्लाती थी।

मैं दौड़कर ऊपर पहुंचा तो विनायक, नर्स गीता और आयुषी गुरुजी को कमरे से बाहर लेकर आ गए थे। मैंनू पूछा क्या हुआ तो विनायक ने बोला कि गोली मार ली। इसके बाद हम सभी गुरुजी को बॉम्बे अस्पताल लेकर गए। थोड़ी देर बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद सिल्वर स्प्रिंग वाले घर पर कुहू, उसकी दादी, मामा, मामी थे। जबकि आयुषी अपने परिवार और महाराज की दोनों बहनों के साथ शिवनेरी विजय नगर वाले मकान में थी। मेरे बयान पुलिस ने घटना के तीसरे दिन शिवनेरी विजयनगर वाले मकान में लिए थे।

शेखर की माने तो गुरुजी भक्तों द्वारा मिली गाड़ी को चलाकर 6 महीने बाद वापस कर दिया करते थे। महाराज के पास कोई गाड़ी नहीं थी। महाराज ने जब कुहू को एक्स ई 90 वोल्वो गाड़ी दिलाई तो आयुषी नाराज हो गई थी। इतना ही नहीं उसने मर्सडीज कार की मांग कर दी थी, जो महाराज को देनी पड़ी थी। आयुषी की मां और उसका भाई किराए से रहते थे, जिसका किराया महाराज देते थे। आयुषी के माता-पिता घर खरीदने के लिए एक करोड़ रुपए महाराज से मांग रहे थे। इसे लेकर महाराज परेशान थे।

घटना के करीब एक महीने पहले आयुषी ने सिल्वर स्प्रिंग वाले घर में हाथ की नस काटने की कोशिश की थी। मैं और संदीप कांटे सिल्वर स्प्रिंग वाले घर पर हाल में उस समय बैठे थे। गुरुजी के कमरे में डॉ . पवन राठी बैठे थे। कुछ देर बाद आयुषी चिल्लाने लगी थी। वहीं, गुरुजी सिर ठोंक रहे थे। साथ ही कह रहे थे कि मैं डॉक्टर से बात भी नहीं कर सकता क्या? मेरी प्रॉब्लम भी बता नहीं सकता क्या? गुरुजी बोले कि गेट के बाहर से किसी की बातें सुनना अच्छी बात नहीं है। आयुषी बोल रही थी कि इस इंसान ने मेरी जिदंगी बर्बाद कर दी। यह डॉक्टर कौन होता है पूछने वाला। डॉक्टर भी आयुषी को समझा रहे थे। इतने में आयुषी दूसरे कमरे में गई और दरवाजा लगा लिया। मैंने और संदीप ने दौड़कर दरवाजा धकाया तो आयुषी नेल कटर वाले चाकू से नस काटने की कोशिश कर रही थी।

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