पेट्रोल 97.43, गैस टंकी 829, त्राहिमाम, त्राहिमाम

मोदी है तो मुमकिन है, मोदी है तो मुमकिन है, यह नारा लगाने वालों को हम मान गये, दूरदृष्टि पक्के इरादे के हमारे प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ने वह कर दिखाया जिसकी कल्पना भी भारतवासियों के जेहन में नहीं होगी।

प्रेम दिवस की काली रात से ही घरेलू गैस सिलेण्डर की कीमत 50 रुपये बढक़र 829 रुपये हो गई है जो शायद अभी तक का सर्वोच्च मूल्य है। अभी 10 दिनों पूर्व ही गैस सिलेण्डरों के मूल्य में 25 रुपये की वृद्धि की गई थी अब उज्जैन में ही 14.2 किलोग्राम की गैस टंकी 829 रुपये में मिलने लगी है। सब्सिडी घटते-घटते मात्र 48 रुपये रह गई है। 2 दिसंबर से लेकर अभी तक बीते ढायी महीने में कुल 175 रुपयों की वृद्धि हो चुकी है।

यदि मूल्यवृद्धि की ऐसी ही गति रही तो शीघ्र ही सिलेण्डर का मूल्य 1000/- रुपये होगा। अब मूल्यवृद्धि की घोषणा 1 मार्च को होगी। गौरतलब है कि नये नियमों के तहत गैस कंपनियां महीने की 1 और 15 तारीखों को गैस सिलेण्डर के मूल्यों में बदलाव की घोषणा करती है। देशवासियों को अब इंतजार रहेगा 1 मार्च का, क्योंकि उनकी जेबों पर और कितना बोझ बढऩे वाला है यह तब ही पता चल सकेगा।

पेट्रोल भी आज अपने चरम पर है उज्जैन में साधारण पेट्रोल 97.43/- रुपये प्रति लीटर तक पहुँच गया है। सुस्त धंधे, रोजगार और कोरोना से हलाकान आम नागरिक की हालत ‘दुबला और दो आषाढ़’ जैसी कर दी है। हवा, पानी और भोजन की अनिवार्यता की तरह आज की जीवनशैली में और भी नाम जुड़ गये हैं। अब हवा, पानी, भोजन, मोबाइल, वाहन, बिजली भी मनुष्य के जिंदा रहने के लिये जरूरी तत्व माने जाने लगे हैं।

बिगड़ा आम आदमी का बजट

गैस सिलेण्डर और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी का बजट बिगाड़ दिया है। पेट्रोल-डीजल के मूल्य में वृद्धि से चौतरफा महंगाई बढ़ेगी। परिवहन पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा, ट्रकों का भाड़ा बढ़ेगा तो निश्चित तौर पर आम आदमी की दैनिक दिनचर्या के काम में आने वाली सारी चीजे महंगी होगी। आदमी के वेतन में महंगायी के अनुपात में वृद्धि होना इतने बड़े देश में किसी भी कीमत पर संभव नहीं है।

अच्छे दिन की उम्मीद में मतदाताओं ने देश की कमान आपके हाथ में सौंपी थी ताकि कुशासन से घिरे देश को राहत मिल सके, आम आदमी के जीवन में खुशियों की बहार आये चारों और शांति, खुशहाली का आलम हो, सुरसा की तरह बढ़ती महंगाई पर लगाम लग सके। काँग्रेस के शासन काल में आपने और आपकी पार्टी ने महंगाई के मुद्दे को बहुत ताकत से उठाया था, पेट्रोल-डीजल या गैस टंकियों की मूल्यवृद्धि पर आप विपक्ष की पूरी क्षमता के साथ देश के नागरिकों की आवाज बनते थे, मूल्यवृद्धि पर सरकार के सामने प्रश्नचिन्ह खड़ा करते थे आपने जो हसीन सपने दिखाये थे कि कालाधन वापस आयेगा, महंगाई कम होगी और भी बहुत कुछ।

नोटबंदी के समय भी आपने जरूरत से ज्यादा फायदे गिना दिये थे वायदा किया था कि इससे आतंकवाद, नक्सलवाद समाप्त हो जायेगा डॉलर का मूल्य 50 रुपये हो जायेगा, महंगाई कम होगी पर हुआ इसके विपरीत। ना तो डॉलर कमजोर हुआ ना ही नक्सलवाद खत्म हुआ ना ही आतंकवाद। नोटबंदी की त्रासदी ही त्रासदी झेली है इस देश के गरीब और आदमी ने। आप और आपकी सरकार नोटबंदी का एक भी फायदा देश को ना तो बता पायी और ना ही बता पायेगी।

क्या हुआ तेरा वादा

मोदी जी कहाँ गये आपके वह वायदे जो आपने ईश्वर को साक्षी मानकर आपने देशवासियों से किये थे। खैर इस बात को अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि किसी की आलोचना व निंदा करना दुनिया का सबसे आसान काम है परंतु सत्ता सिंहासन पर बैठने के बाद उसे करना दुनिया का सबसे कठिन काम है।

खैर पंत प्रधान जी आपकी सत्ता का उजला पक्ष भी है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता। व्यक्तिगत रूप से आपकी ईमानदारी, देशप्रेम, कत्र्तव्यपरायणता पर किसी भी देशवासी को शक नहीं करना चाहिये। आपने जो किया है वह हिंदुस्तान का कोई भी राजनैतिक दल नहीं कर सकता। कश्मीर में धारा 370 हटाने का जज्बा आप में था उस असंभव कार्य को करने का जिसे आपने कर दिखाया। परंतु अब बहुत हुआ। देश के नागरिक त्राहिमाम, त्राहिमाम कर रहे हैं इस बढ़ती हुई पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेण्डरों की कीमत से। कृपया हाथ जोडक़र विनती है कि पेट्रोलियम पदार्थो पर से केन्द्रीय टैक्स घटाकर और राज्य सरकारों को भी टेक्स कम करने का निर्देश देकर आम आदमी को राहत दीजिये ताकि वह खाने का निवाला शांति से खा सके।
जय सियाराम

Next Post

जिंदगीभर महाकाल की सेवा करने वाली सरोज लक्ष्मी अपनी पूरी कमाई बाबा के चरणों में अर्पित करेंगी

Mon Feb 15 , 2021
उज्जैन, (पं. प्रबोध पाण्डेय)। वर्षों से महाकाल मंदिर में सेवा देने वाली बेबी बाई उर्फ सरोजलक्ष्मी अब जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर अपनी पूरी संपत्ति भगवान महाकाल के नाम करने जा रही हैं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी महाकाल की सेवा में बिता दी। तबीयत खराब होने पर मंदिर प्रबंध समिति […]