यात्रा वृत्तांत 10: नेपाल में अल्टो कार 32 लाख और इनोवा 1 करोड़ 20 लाख की

अर्जुन सिंह चंदेल

नेपाल यात्रा का मुख्य उद्देश्य पूर्ण हो गया था, भगवान पशुपतिनाथ के दर्शनों का। शाम की शिफ्ट में बूढ़ा नीलकंठ मंदिर गये जहाँ 13 मीटर लंबे छोटे से तालाब नुमा जल में शेषनाग पर लेटे भगवान विष्णु की प्रतिमा थी जो आकर्षण का केन्द्र थी। इसके पश्चात बुद्धनाथ देखने गये जहाँ पहाड़ी पर स्तूप बना हुआ था और भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी। रात को ऊँचाई पर होने के कारण काठमांडू शहर जो कि नेपाल का सबसे बड़ा शहर है की लाइटें बहुत सुंदर दिखायी दे रही थी।

8 बज चुके थे वापस लौट चले होटल की ओर। अब तलाश थी अच्छे भोजनालय की जहाँ अपना देश के जैसा स्वाद मिल सके। मंदिर से थोड़ी ही दूर पर भारतीय मूल के व्यक्ति का भोजनालय नजर आया, उसने हमारी बैठक व्यवस्था की भी सहमति दे दी और घर जैसा स्वादिष्ट सादा भोजन भी कराया।

खाना खाकर निकले ही थे कि टीम के सबसे वरिष्ठ सदस्य को एक रिक्शे वाले ने रोक लिया। शायद वह रिक्शे वाला दलाल था हमारी बॉडी लैंग्वेज से उसने पहचान लिया कि हम लोग भारत के हैं। उसने पूछा क्या आप काठमांडू की नाईट लाईफ का एन्जॉय लेना चाहते हैं? तो चलिये मेरे साथ. टीम के वरिष्ठ सदस्य ने कहा मैं तो बुजुर्ग हूँ बाकी टीम आगे है तब हरफनमौला रिक्शे वाले ने जवाब दिया सबसे ज्यादा जरूरत बुजुर्गों को ही है।

बड़ी मुश्किल से उन्होंने पीछा छुड़ाया और टीम के बाकी सदस्यों को किस्सा सुनाया जिसे सुनकर सब लोग खूब हँसे। टीम के किसी भी सदस्य को नाईट लाईफ कल्चर की आदत नहीं थी वर्ना पोखरा की भी रातें रंगीन होती हैं।

गुगल की गफलत

काठमांडू में हमारी यह आखरी रात थी कल जनकपुर जाना था। सभी साथी सो गये सुबह जल्दी उठकर कुछ साथी एक-एक बार फिर मंदिर जाकर बाबा के दर्शन कर आये। सुबह 10 बजे होटल छोड़ दिया। गूगल बाबा काठमांडू से जनकपुरी की दूरी 220 किलोमीटर बता रहे थे और समय लगभग 6 घंटे, हम निश्चिंत थे कि समय पर पहुँच जायेंगे। काठमांडू बहुत बड़ा शहर है बाहर निकलने में ही एक घंटा लग गया 15-16 किलोमीटर ही आगे बढ़े थे हमने रास्ता कन्फर्म करने के लिये जब स्थानीय लोगों से पूछा तो उन्होंने कहा आप इस गूगल के चक्कर में मत पड़ो यह बेवकूफ बना रहा है यह रास्ता आगे जाकर बंद है। लौट के बुद्धू घर को आये 15 किलोमीटर वापस आकर दूसरा रास्ता पकड़ा जो कहीं अधिक लंबा था।

नाश्ते की दुकान की तलाश थी एक ऊँची दुकान सजी-धजी नजर आयी। कॉचों से लदी-फदी झाँकी मण्डप वाली, जहाँ नेपाली बालाएं सेवा दे रही थी। पराठों का आर्डर दिया लाने में 45 मिनट लगा दिये। बिल तो सामान्य था परंतु स्वाद बेकार ऊँची दुकान फीके पकवान खैर।

पेट्रोल के दाम

हाँ एक बात आपको बताना भूल गया था नेपाल में पेट्रोल हमारे देश से महँगा है 120/- रुपये लीटर और डीजल 105/- रुपये और सुनिये जो आपको बताने जा रहा हूँ उसे सुनकर आप चौक जायेंगे। हमारे भारत में साढ़े 8 लाख में मिलने वाली अल्टो कार वहाँ 32 लाख की है। 26 लाख की इनोवा क्रिस्टा वहाँ 1 करोड़ 20 लाख की है। भारत से 4 गुना से ज्यादा मूल्य है वहाँ पर गाडिय़ों के। हमने पूछा ऐसा क्यों तो बताया कि सरकार के पास आय के सीमित साधन हैं इस कारण गाडिय़ों पर टेक्स बहुत ज्यादा है। यह सुनकर हम दंग रह गये।

नाश्ता करकर निकल पड़े नये रास्ते से जनकपुर की ओर यह वही रास्ता था जिस पर निर्माण कार्य चल रहा था आगे 100 किलोमीटर के बाद बदलना था किसी भी साथी का उस कष्टदायक मार्ग पर यात्रा करने का मन नहीं था। हम वैकल्पिक मार्ग तलाश रहे थे। लगभग 30-35 किलोमीटर चलने के बाद ट्रक डायवरों ने एक नया मार्ग बताया और कहा आप इससे जाइये सुंदर है और ट्राफिक नहीं है। हमारा 220 किलोमीटर का रास्ता अब लगभग 400 किलोमीटर का होने जा रहा था। पर हमें यह उम्मीद नहीं थी कि हमारी यात्रा के सबसे सुखद पल अब आने वाले थे। सचमुच हमने उस दिन जन्नत की सैर की जिसका वर्णन कल।
(शेष अगले अंक में)

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