51 लोगों की असामयिक मौत में लापरवाही किसकी?

मनहूसियत देश का पीछा नहीं छोड़ रही है। कोरोना वापसी की खबर ऐसे ही त्रासदायक है। बताया जाता है कि यूरोप में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है वहीं मुंबई और केरल में संक्रमित मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि से देशवासियों का चिंतित होना लाजिमी है वहीं आज बसंत पंचमी पर देश के सबसे बड़े सडक़ हादसे की खबर ने मध्यप्रदेश सहित पूरे देश का माहौल गमगीन कर दिया है।

सतना के रामपुर थानान्तर्गत नैकिन क्षेत्र में 60 यात्रियों को लेकर सीधी से सतना जा रही यात्री बस असंतुलित होकर बाणसागर नहर के 22 फीट गहरे पानी में जा गिरी जिसके कारण इस हादसे में 51 लोगों के मारे जाने की खबर है और यह संख्या अभी और बढ़ सकती है। प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान ने घटना के कारण आज होने वाले सारे शासकीय कार्यक्रम रद्द कर दिये हैं और मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख की आर्थिक मदद की घोषणा की है वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह ने दुर्घटना पर दु:ख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख की आर्थिक सहायता दी है।\

इस तरह की घटनाओं पर सबक लेने की बजाय शासन थोड़े दिन लानत-मलानत की नौटंकी के बाद वहीं ढाक के तीन पात वाली कहावत को चरितार्थ कर सब कुछ भूल जाता है और व्यवस्थाएँ पूर्ववत हो जाती है। आज की दुर्घटना भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है। जो बस सीधी से सतना जा रही थी उसकी क्षमता 32 यात्रियों की थी परंतु उसमें क्षमता से अधिक 54 सवारियां भरी हुई थी। यह जवाबदारी किस विभाग की है (?) कि क्षमता से अधिक सवारियां ना भरी जाएं बस में, और यदि यह जवाबदारी परिवहन विभाग की है तो पूछा जाना चाहिये परिवहन विभाग के मोटी चमड़ी वाले अधिकारियों से जो जनता के गाढ़े खून-पसीने की कमाई से शासकीय तिजोरी से वेतन के रूप में मोटी रकम हर महीने तनख्वाह के रूप में ले रहा है।

सतना जिले का परिवहन अमला क्या कर रहा है? क्या सिर्फ दलालों के माध्यम से अवैध कमाई करके नेताओं और अपने वरिष्ठों की भेट पूजा का ही कार्य करना उनका कत्र्तव्य है? माननीय मुख्यमंत्री जी यदि परिवहन विभाग अपने दायित्वों का निर्वहन करने में अक्षम है तो बंद कर दीजिये ताला डाल दीजिये ऐसे निकम्मे विभाग को, जिसकी लापरवाही 47 मौतों का एक कारण बनी।

मात्र 25-50 रुपयों की खातिर कहीं भी खड़े होकर वसूली करने वाला यातायात विभाग क्या कर रहा था? दुर्घटनाग्रस्त बस अपना निर्धारित मार्ग बदलकर अन्य मार्ग से जा रही थी। उससे पूछने वाले देशभक्ति जनसेवा वाली सफेद व खाकी वर्दी क्या सो रही थी? संबंधित थाने को भी तत्काल निलंबित किया जाना चाहिये। बस दुर्घटना के मृतकों में 12 वह युवा भी शामिल हैं जो अपनी जिंदगी के हसीन सपने को हकीकत में बदलता देखने के लिये रेलवे की नौकरी के लिये परीक्षा देने जा रहे थे। किसी ने जाने से पहले दही खाया था, किसी ने शक्कर। मीठा खाने के बाद परीक्षा में सफल होने के लिये अपने बुर्जुगों से आशीर्वाद लिया था।

बस को झाँसी से राँची जाने वाला राजमार्ग जो सतना, रीवा, सीधा, सिंगरौली होते हुए राँची जाता है उस पर से गुजरना था परंतु जगह-जगह खराब सडक़ और परिवर्तित मार्गों के कारण बस चालक वह मार्ग छोडक़र नहर के किनारे-किनारे संकरे मार्ग पर से जाने लगा जिसके कारण बस असंतुलित होकर नहर में जा गिरी। जिन घरों के चिराग सदा-सदा के लिये बुझ गये हैं उनकी कमी को दुनिया की कोई भी ताकत पूरा नहीं कर सकती है परंतु इस दुर्घटना के लिये जो भी विभाग जिम्मेदार हो उनको दंडित किये जाने से शायद मृत आत्माओं को शांति मिल सकेगी और मृतकों के परिजनों को सकून।
ओम शांति शांति..!

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