22 जुलाई से 2 सितंबर तक बदलेगा मंदिर खुलने का समय
उज्जैन, अग्निपथ। श्रावण-भादौ मास में प्रतिदिन महाकाल मंदिर में भस्म आरती 22 जुलाई से 2 सितम्बर तक प्रात:कालीन पट खुलने का समय प्रात: 3 बजे होगा। प्रत्येक सोमवार को भस्म आरती का समय प्रात: 2.30 बजे होगा। भस्म आरती प्रतिदिन प्रात: 3 से 5 बजे तक और प्रत्येक सोमवार को 2.30 से 4.30 बजे तक होगी। इसी तरह 3 सितम्बर से पट खुलने का समय पूर्ववत होगा।
श्रावण-भादौ मास में भगवान श्री महाकाल की सवारियां निकाली जायेंगी। श्रावण मास की प्रथम सवारी 22 जुलाई को निकाली जायेगी। भादौ मास में भगवान महाकाल की अंतिम शाही सवारी 2 सितम्बर को निकाली जायेगी। श्रावण मास में पांच सवारी एवं भादौ मास में दो सवारी निकलेगी।
सवारियों के क्रम
- प्रथम सवारी सोमवार 22 जुलाई
- द्वितीय सवारी सोमवार 29 जुलाई
- तृतीय सवारी सोमवार 5 अगस्त
- चतुर्थ सवारी सोमवार 12 अगस्त
- पंचम सवारी सोमवार 19 अगस्त को श्रावण मास में निकाली जायेगी।
- भादौ मास में छठवीं सवारी सोमवार 26 अगस्त
- शाही सवारी सोमवार 2 सितम्बर को निकाली जाएगी।
ये होगा सवारी मार्ग
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी श्री महाकालेश्वर मन्दिर के सभा मण्डप में विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर अपने निर्धारित समय पर प्रारम्भ होकर मन्दिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान श्री महाकाल को सलामी देकर सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट शिप्रा तट पहुंचेगी।
यहां सवारी का पूजन-अर्चन होने के बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मन्दिर में वापस आयेगी।
शाही सवारी 2 सितम्बर को उपरोक्त मार्ग के अलावा टंकी चौराहा से मिर्जा नईमबेग, तेलीवाड़ा चौराहा, कण्ठाल, सतीगेट, सराफा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुंचेगी।
चलित भस्मारती दर्शन की विशेष व्यवस्था
महाकाल मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि श्रावण-भादौ मास में श्रद्धालुओं की अधिक संख्या को देखते हुए चलित भस्मारती में ज्यादा से ज्यादा लोगों को दर्शन कराने की व्यवस्था की जा रही है। कार्तिकेय मण्डपम की अन्तिम तीन पंक्तियों से श्रद्धालुओं के लिये चलित भस्म आरती दर्शन की व्यवस्था रहेगी। जिसमें करीब 15 हजार से भी अधिक लोग दर्शन कर सकेंगे। वर्तमान में एक कतार से चलित भस्मारती दर्शन होते हैं।