भारतीय राजनीति में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाएं

नई दिल्ली नगर निगम की 5 सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम में आम आदमी पार्टी ने 4 सीटों पर विजय प्राप्त करके धमाकेदार जीत दर्ज की है। मोदी सरकार की नाक के नीचे आप का यह प्रदर्शन काबिले तारीफ है। आप पार्टी ने दिल्ली नगर निगम के कल्याणपुरी, त्रिलोकपुरी, शालीमारबाग और रोहिणी में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को करारी शिकस्त दी है।

इसके पूर्व आम आदमी पार्टी गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर राजनैतिक पंडितों को चौंका चुकी है। ‘आप’ ने सूरत नगर निगम में 27 सीटों पर विजय हासिल कर मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल करके काँग्रेस को पीछे धकेल दिया है।

सूरत नगर निगम के अलावा गुजरात की 81 नगर पालिकाओं के पार्षदों में से 22, 31 जिला पंचायत के वार्डों में 2, तहसील पंचायतों में 18 और तालुका पंचायतों की 231 सीटों के लिये हुए चुनावों में 4 पर जीत दर्ज करकर उत्तर की राजनीति से पूर्व में बसे गुजरात में आमद दे दी है।

आणंद और अमरेली में भी आप पार्टी पहुँच गई है। आम आदमी पार्टी संक्षेप में आप पार्टी सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े साथियों द्वारा गठित भारतीय राजनीतिक दल है। 26 दिसंबर 2012 को संविधान अधिनियम की 63वीं वर्षगांठ पर दिल्ली के जंतर-मंतर में आप पार्टी की स्थापना की गई थी।

भारतीय राजनीति के वर्तमान परिदृश्य में 17वीं लोकसभा में आप पार्टी का 1 सांसद, राज्यसभा में 3 सांसद, दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 62, पंजाब की 117 सीटों में से 19 आम आदमी पार्टी के पास हैं।
आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हिसार में हुआ था। खडगपुर आई.आई.टी. से यांत्रिकी अभियांत्रिकी में स्नातक है। 1992 में भारतीय नागरिक सेवा (आई.सी.एस.) के एक भाग भारतीय राजस्व सेवा (आई.आर.एस.) परीक्षा पास करके दिल्ली स्थित आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त हो गये थे।

ईमानदार और सिद्धांतवादी केजरीवाल ने स्वयं के ही आयकर विभाग में भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के लिये प्रयास किये। केजरीवाल के यह प्रयास आयकर अधिकारियों को नागवार गुजरे और उन्हें प्रताडि़त किया जाने लगा।

अंतत: सन् 2000 में लम्बा अवकाश लेना पड़ा। 6 वर्षों तक अवकाश पर रहने के बाद फरवरी 2006 में उन्होंने शासकीय सेवा को अलविदा कह दिया। नौकरी छोडऩे के बाद केजरीवाल ने सूचना के अधिकार कानून बनाने के लिये अलख जगाया और गरीब नागरिकों को भ्रष्टाचार से लडऩे के लिये सशक्त बनाने का कार्य किया जिसके फलस्वरूप उन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

2 अक्टूबर 2012 से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाली आम आदमी पार्टी के संयोजक ने वर्ष 2013 में दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिये हुए चुनाव में धमाकेदार आगाज किया। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की तीन बार (15 वर्षों से) मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को नई दिल्ली सीट से 25 हजार 864 मतों से हराकर 28 सीटों पर कब्जा करके काँग्रेस के समर्थन से सरकार बनाकर दिल्ली के 7वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

49 दिन राज करने के बाद 14 फरवरी 2014 को विधानसभा में आप पार्टी द्वारा लाये गये जन लोकपाल विधेयक को प्रस्तुत करने पर काँग्रेस द्वारा समर्थन ना दिये जाने के कारण केजरीवाल सरकार ने त्यागपत्र दे दिया। व्यवस्था को बदलने के लिये भारतीय राजनीति में प्रवेश करने वाली आम आदमी पार्टी ने चुनाव चिन्ह के रूप में झाड़ू को चुना था ताकि राजनीति में फैली गंदगी को साफ किया जा सके और उसने ऐसा कर भी दिखाया।

वर्ष 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री सहित पूरे केन्द्रीय मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता की आँधी को नहीं रोक पाये और आम आदमी पार्टी ने 70 सीटों में से 67 सीटों पर अपनी विजयी पताका फहराकर भाजपा-काँग्रेस सहित सभी का सूपड़ा साफ करके 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपना 5 वर्ष का मुख्यमंत्री कार्यकाल पूर्ण करने में सफल रहे।

दूसरी बार दिल्ली का ताज संभालने वाले अरविंद केजरीवाल ने अनेक जनहितकारी कार्य किये। दिल्लीवासियों को 20 हजार लीटर मुफ्त पानी, बिजली की दरों में 50 प्रतिशत कटौती, निजी स्कूलों में प्रबंधन कोटा समाप्ति, शासकीय अस्पतालों में दवाईयां मुफ्त जैसे कार्यों के साथ अपनी ईमानदार छवि का परिचय देते हुए 50 भ्रष्ट अधिकारियों को जेल के सींखचों के पीछे पहुँचाया जिसके कारण दिल्ली के शासकीय कार्यालयों में 80 प्रतिशत तक भ्रष्टाचार कम हुआ। दिल्ली में निर्मित होने वाले तीन पुलों के निर्माण में ही केजरीवाल ने 350 करोड़ की लागत कम करवाकर अपनी ईमानदारी की मिसाल कायम की।

जनहितैषी और कल्याणकारी कार्यों के कारण दिल्ली के मतदाताओं ने तीसरी बार आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाया और 2020 में हुए चुनाव में 70 सीटों में से 62 सीटों पर विजयी हासिल करके केजरीवाल 16 फरवरी 2020 को तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

वर्तमान भारतीय राजनीति में जब काँग्रेस का सूर्य अस्त होता दिख रहा है, साथ ही भारतीय जनता पार्टी का काँग्रेस मुक्त भारत का नारा सार्थक हो रहा है ऐसी स्थिति में भारतीय मतदाता आम आदमी पार्टी को भाजपा के विकल्प के रूप में देखना प्रारंभ कर रहा है और अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय फलक पर अपने नेता के रूप में। जिस तरह आम आदमी का प्रभाव बढ़ रहा है वह तो इसी ओर इशारा कर रहा है।

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