प्रशासन के प्रति विश्वास जगाने में कामयाब हुए आशीष सिंह

उज्जैन जिला प्रशासन की टीम ने दबंग जिलाधीश आशीष सिंह के निर्देशन में उज्जैन-आगर रोड पर 400 करोड़ मूल्य की 4.934 हेक्टेयर जमीन को अतिक्रामकों से मुक्त करवाकर उज्जैन के नागरिकों के मन में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास को मजबूत किया है। 

जिस जमीन पर से 7 मार्च को अतिक्रमण हटाया गया है वह औद्योगिक गतिविधि संचालन के लिये शासन द्वारा लीज पर दी गई थी। शासन द्वारा मध्यप्रदेश भूराजस्व संहिता की 1959 की धारा-181 के तहत ताकायमी भूमि का कारखाना पट्टा निरस्त करते हुए भूमि को शासकीय अभिलेा में दर्ज करने के निर्देश दिये गये थे।

जिला प्रशासन ने 11 जनवरी 2021 को इस 4.934 हेटेयर का कजा भी ले लिया था परंतु वर्षों से इस जमीन पर जमे रसूखदारों द्वारा जमीन पर से अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा था। सर्वे नंबर  1359/1/2/3 की इस करोड़ों की कीमती भूमि पर 26 व्यवसायिक दुकानदारों एवं 12 गोडाउन धारी का कजा था जिसे आज प्रशासन ने बलपूर्वक हटा दिया। प्रदेश की पूर्ववर्ती काँग्रेस सरकार व वर्तमान की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्रियों द्वारा भूमाफियाओं के विरुद्ध छेड़ा गया यह अभियान सराहनीय है।

देर आयद दुरुस्त आये वाली कार्रवाई से निश्चित तौर पर उन माफियाओं के दिल और दिमाग में डर पैदा होगा जिन्होंने हर शासकीय भूमि को अपने बाप की बपौती समझ लिया था। मध्यप्रदेश शासन की कई शासकीय भूमियों को बेचकर सडक़छाप लोग सफेदपोश धन्नासेठ बनने में भी कामयाब हो गये हैं। जब जागो तब सवेरा के हिसाब से अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। सरकार चाहे तो अभी भी 50 वर्ष पूर्व के शासकीय दस्तावेज को खंगालकर उसमें दर्ज शासकीय भूमियों को जिन्हें भूमाफियाओं ने अधिकारियों/कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर अपने नाम दर्ज करा लिया है, यदि यह सभी शासकीय भूमियाँ जो निजी हो गई हैं उन्हें मुक्त करा लिया जाए तो हमारा मध्यप्रदेश कर्ज मुक्त हो सकता है। साथ ही कई शासकीय योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा सकता है।

collector Ashish SIngh
कलेक्टर आशीष सिंह

उज्जैन शहर का यह सौभाग्य है कि उचित समय पर उसे एक युवा, दबंग, ईमानदार अधिकारी आशीष सिंह कलेटर के रूप में मिला, जिसमें इस नगर के लिये कुछ कर गुजरने की तमन्ना है। शहर इस समय विकास की एक नयी इबारत लिखने की दहलीज पर खड़ा है। आने वाले पाँच वर्षों बाद महाकाल क्षेत्र को लोग पहचान नहीं पायेंगे जो पहले दर्शनार्थी आ चुके होंगे। वह भी मंदिर परिसर को देखकर दाँतों तले उंगली दबाकर यह सोचने पर मजबूर होंगे कि या ऐसा भी हो सकता है।

आशीष सिंह जी ने आज जिस दबंगता का परिचत देते हुए प्रशासन का झंडा बुलंद किया है उसने उज्जैनवासियों की यह याद ताजा कर दी जब उज्जैन जिला प्रशासन ने सुखदेव कॉटन प्रेस की जमीन पर कब्जा लेकर अपनी यशगाथा में वृद्धि की थी। जिलाधीश आशीष सिंह जी के नेतृत्व में इसके पूर्व भी इंपीरियल होटल के पास इंदौर रोड पर 15 हेटेयर शासकीय भूमि से शैलेन्द्र यादव के कब्जे से, कवेलू कारखाने की 7 हेक्टेयर भूमि, मन्नत गार्डन की 2 हेक्टेयर शासकीय भूमि, घट्टिया की रूई स्थित 100 बीघा जमीन, गुराडिय़ा गुर्जर की 70 बीघा शासकीय जमीन को अतिक्रामकों से मुक्त करवायी जा चुकी है।

अभी शहर में और भी अनेक शासकीय भूमियों पर प्रभावशाली लोगों का कब्जा है। उच्चतम न्यायालय से जीत चुका शासन नजरअली मिल की 48 बीघा जमीन को भी अभी तक मुक्त नहीं करवा पाया है इसी तरह बताया जाता है कि कवेलू कारखाने की अभी बहुत सारी जमीन अतिक्रामकों से मुक्त किया जाना बाकी है। उम्मीद की जाती है कि आने वाले दिनों में आशीष सिंह जी के नेतृत्व में इस तरह की और कार्यवाही देखने को मिलेगी।

प्रशासन को इस बात पर भी नजर रखना चाहिये कि कतिपय कालोनाइजर्स द्वारा विकसित की जाने वाली कालोनियों में भी शासकीय नालों को दबाने, छोटा करने का खेल चल रहा है जिसे बंद किया जाना चाहिये। मध्यप्रदेश शासन को शासकीय भूमियों के रिकार्ड को अप टू डेट की गई भूमि को समुचित उपयोग की योजना बनाने हेतु अलग से विभाग का ही गठन करना चाहिये ताकि शासकीय भूमि पर कजे के पूर्व आदमी दस बार सोचे, जिस क्षेत्र में शासकीय भूमि पर अतिक्रण हो उस क्षेत्र के पटवारी, राजस्व निरीक्षक को भी दंडित किया जाना चाहिये।

अंत में उज्जैनवासियों के मन में प्रशासन की दबंगता का झंडा गाडऩे के लिये आशीष सिंहजी को बधाई।

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