महाकाल में कोरोना ने बदली व्यवस्था:मंदिर में बिना मास्क प्रवेश नहीं

दर्शनार्थियों की संख्या में भी होगी कटौती; भस्मारती में प्रवेश पर रोक जारी

उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को अब भी अपने भगवान से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी होगी। कोरोना के बढ़ते संकट ने महाशिवरात्रि के बाद भस्मारती में भक्तों के शामिल होने की आस को फिर से खत्म कर दिया है।

लगातार कोरोना के मरीजों के बढ़ने की वजह से मंदिर प्रबंधन ने गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश और भस्मारती में शामिल होने की प्रक्रिया को फिर से आगे बढ़ा दिया है। वहीं, मास्क के बिना ना भक्त और ना ही पंडे-पुजारी अब मंदिर में प्रवेश कर पाएंगे। बात दें कि कुछ दिन पहले महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने निर्णय लिया था कि महाशिवरात्रि के बाद पहले सोमवार से भस्म आरती में भक्तों को प्रवेश मिलने लग जाएगा।

उज्जैन कलेक्टर और महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया कि महाकाल मंदिर में भक्तों को प्रवेश पहले जैसे ही प्री बुकिंग से ही दिया जाएगा। एक दो दिन में अलग-अलग स्लॉट में बुकिंग करवाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घटाने को लेकर निर्णय लेंगे। अभी रोजाना एक स्लॉट में 1500 भक्तों को अनुमति मिल रही है। इसे घटाकर करीब 1000 से 1200 किया जा सकता है। भस्मारती और गर्भगृह में प्रवेश पहले से ही प्रतिबंधित है। हम 15 मार्च के बाद पाबंदी को हटाने वाले थे। लेकिन अब हालात को देखते हुए प्रतिबंध जारी रहेगा।

कलेक्टर ने कहा कि धारा 144 के तहत जो आदेश जारी किए गए हैं, उसमें मार्केट के बंद होने के समय को लेकर कोई बात शामिल नहीं है। उन्होंने कहा, मंदिर में बिना मास्क के आवाजाही एक गंभीर मुद्दा है। महाकाल मंदिर में बिना मास्क के किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। महाराष्ट्र से आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर कलेक्टर का कहना है कि अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है कि उन्हें अलग से चिन्हित किया जा सके। हालांकि हम विशेष दिशा-निर्देश के साथ ही प्री बुकिंग एप पर कुछ ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सही तरीके से कर लें तो कोरोना संकट से काफी हद तक निजात मिल सकती है।

21 मार्च 2020 के बाद से बंद है गर्भगृह में प्रवेश
बता दें कि गत वर्ष काेरोना संकट बढ़ने के साथ ही महाकाल में आम और खास सभी के लिए दर्शन व्यवस्था बंद कर दी गई थी। कोरोना संकट में थोड़ा काबू पाने के बाद 9 जून 2020 को भक्तों के लिए फिर से बाबा महाकाल के पट खुल गए थे। हालांकि एहतियात के तौर पर भस्मारती में भक्तों के शामिल होने पर रोक थी।

अभी रोज दर्शन के लिए एक स्लॉट में 1500 भक्तों को अनुमति मिल रही है, इसे घटाकर करीब 1000 से 1200 किया जा सकता है

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