कोरोना: तुम्हारा चाल, चरित्र और चेहरा भरोसे के लायक नहीं

वाह रे दुष्ट कोरोना, कलयुगी यमराज, अदृश्य राक्षस दुनिया के साथ भारत में तेरे तांडव को पूरे एक वर्ष से अधिक हो गया है। तेरा जन्मदिन 25 मार्च लॉकडाउन के दिन को प्रतिकात्मक रूप से मानते हुए हम भारतीयों ने तुझे कोसते हुए मनाया। तूने उस दिन भी 40 हजार से अधिक देशवासियों को संक्रमित करके उपहार लिया। दिनों दिन तेरी प्यास बढ़ती ही जा रही है। मनुष्य की जान के दुश्मन तेरा वापस लौट कर आना पूरी कायनात के लिये चिंता का विषय हो गया है।

दुष्ट कोरोना तेरा भी चाल, चरित्र और चेहरा विश्वास करने योग्य नहीं है। पहले बात करते हैं तेरी चाल की तुम चीन में तो दिसंबर-जनवरी में ही आ गये थे हमारे भारत में तुम्हारा प्रवेश मार्च में पूरी तरह हुआ गर्मी आते-आते तुम खूब फल-फूलने लगे। गर्मी और बारिश के महीनों में तुमने खूब धमाल मचायी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) और दुनिया भर के तमाम चिकित्सा वैज्ञानिकों ने तुम्हारे बारे में कहा कि तुम सर्दियों में और अधिक बलशाली होंगे और तुम्हारी दूसरी लहर पहले से भी अधिक खतरनाक होगी पर तुमने किया इसके ठीक विपरीत सर्दियों में तुम्हारा आतंक धीरे-धीरे कम होता चला गया।

भारत की बात करें तो जहाँ प्रतिदिन 95-96 हजार नागरिक संक्रमित हो रहे थे वह संख्या मार्च की शुरुआत में 5-6 हजार तक आ गयी और पूरी दुनिया को लगने लगा कि तुम्हारी बिदायी अब निकट है तुमने ऐसा करके दुनिया भर के चिकित्सा वैज्ञानिकों, भविष्यवत्ताओं को झुठला दिया जो कह रहे थे कि सर्दियों में तुम उच्चतम शिखर पर रहोगे। दुष्ट कोरोना मार्च के दूसरे सप्ताह में ‘कोरोना कम बेक’ करके सबको चौंका दिया आज भारत में ही 55-60 हजार मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं इसलिये तुम्हारी चाल पर कतई विश्वास नहीं किया जा सकता।

अब बात करते हैं तुम्हारे चरित्र की। विश्वासघाती और दोगले कोरोना तुम दूध पीने वालों पर आक्रमण करते हो, खाने के रेस्टोरेंट पर तुम्हारा हमला होता है परंतु तुम मदिरा प्रेमियों के दोस्त की भूमिका निभाते हो। दूध की दुकानें 9 बजे बंद मदिरालय रात को 11.30 बजे तक चालू वह यार।

तुम चुनावों की रैलियों से डरते हो हमारे देश के राजनेताओं से डरते हो हजारों समर्थकों के साथ नेताजी खुली गाडिय़ों में बिना मास्क लगाये घूम रहे हैं, रैली कर रहे हैं वहाँ तुम्हारी हिम्मत नहीं पड़ती फटकने की। नेताजी के साथ हजारों लोग उनको सुनने और रैली में साथ चलने के लिये एकत्र होते हैं वहाँ तुम्हारा जोर नहीं चलता।

पाँच राज्यों में हो रहे चुनाव की है बात कर ले तो 9 करोड़ 3 लाख आबादी वाले पश्चिम बंगाल में ही 18 मार्च को मात्र 293 लोग ही संक्रमित निकले, 8 करोड़ की आबादी वाले तमिलनाडु में लगभग 900 संक्रमित, 3 करोड़ पचास लाख की आबादी वाले केरल में 377 रोगी, असम में 200 और पुड्डुचेरी में 35 लोग संक्रमित निकले थे। यार कोरोना जहाँ इन पाँच राज्यों में जहाँ सारे कानूनों का पालन नहीं हो रहा है, ना तो सोश्यल डिस्टेंसिंग, ना ही मास्क, ना ही सेनेटाईजेशन वहाँ इतने कम संक्रमित और बेचारे साढ़े 11 करोड़ की आबादी वाले महाराष्ट्र में प्रतिदिन 36 हजार संक्रमित नागरिक मिल रहे हैं।

शायद तुमने तुम्हारा मुख्यालय ही महाराष्ट्र को बना लिया है वहाँ की आबो-हवा तुम्हे कुछ ज्यादा ही भा गयी है। इसी तरह तुम श्रमिक वर्ग, आदिवासी वर्ग, अल्पसंख्यकों को छोडक़र दुबला आमढ़ झेल रहे मध्यमवर्गी को ज्यादा निशाना बना रहे हो। कोरोना शायद तुम भीड-भाड़ वाली जगह में भी जाने से डरते हो यही कारण है कि हरिद्धार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में जाने से तुम घबरा रहे हो। इस तरह तुम्हारा चरित्र भी अविश्वसनीय है।

बात करते हैं चेहरे की वैसे तो मानव जाति के तुम अदृश्य दुश्मन हो पर अपना रूप बदल-बदल कर हमला कर रहे हो कभी अफ्रीका स्ट्रेन, ब्रिटेन स्टे्रन, फ्राँस स्टे्रन और ना जाने किस-किस तरह का मुखौटा लगाकर तुम आ रहे हो साथ ही लक्षण भी बदलते रहते हो। इसलिये हे कोरोना तुम चाल, चरित्र और चेहरे से भरोसा करने लायक नहीं है।

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