गरीबों के लिये मुसीबत बनकर फिर आ गया मनहूस लॉकडाउन

जिसका अंदेशा था वही हुआ प्रदेश के कई शहरों के साथ मेरे शहर के भी लोग लॉकडाउन की विभीषिका झेलने को मजबूर होंगे। आज से 19 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक सब कुछ बंद। यह दुष्ट कोरोना मृत्युलोक के राजा भूतभावन अविनाशी महाकाल के दरबार में भी पहुँच गया है और दो पुजारियों को संक्रमित करके एक के प्राणों की आहुति ले ली।

माननीय मुख्यमंत्री जी ने आज कई शहरों के आपदा प्रबंधन समूहों की बैठक के बाद इंदौर, राऊ, महू, शाजापुर, बड़वानी, राजगढ़, विदिशा में 19 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक और बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी और जबलपुर में 12 अप्रैल की रात से 22 अप्रैल की सुबह तक के लिये लॉकडाउन के आदेश जारी कर दिये हैं। लॉकडाउन वाले इन शहरों में थमा हुआ जनजीवन अब 10 दिन और थम जायेगा। लॉकडाउन के इस निर्णय पर कई तरह के प्रश्न नागरिकों के मन में उठना स्वाभाविक है।

क्या हम लॉकडाउन लगाकर कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे में सफल हो पायेंगे? या फिर हमें दूसरे विकल्पों पर भी अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिये। जिस तरह शासन ने कोरोना वैक्सीन की व्यवस्था वार्ड स्तर पर करके इस कार्य को आमजन के लिये सुलभ और आसान किया है क्या कोरोना टेस्टिंग के लिये भी हम वार्ड स्तर पर ऐसी व्यवस्था नहीं कर सकते जिससे कि जल्दी से जल्दी हमें कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का पता लग सके और उन्हें होम क्वारेंटाइन करके कोरोना के संक्रमण को रोका जा सके।

अभी कोरोना टेस्ट के लिये लंबी लाइनें लग रही है और रिपोर्ट आने में भी काफी समय लग रहा है इस वजह से टेस्ट रिपोर्ट आने तक तो वह रोगी लोगों के संपर्क में रहता ही है ना यदि रिपोर्ट निगेटिव आ गयी तो कोई बात नहीं और यदि पॉजीटिव आयी तो वह 36,48 घंटों में घरवालों सहित अनेक लोगों को संक्रमित कर चुका होता है।

अत: शासन स्तर पर कोरोना टेस्टिंग की क्षमता में वृद्धि किया जाना नितांत आवश्यक है साथ ही टेस्टिंग रिपोर्ट जल्दी से जल्दी मिल सके ऐसी व्यवस्था की जाना चाहिये और जो व्यक्ति कोरोना का टेस्ट करवाता है वह टेस्ट रिपोर्ट आने तक होम क्वारेंटाइन रहे यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये। इससे भी कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे में मदद मिलेगी।

केन्द्र सरकार को भी चाहिये कि वह वैक्सीन व रेमडेसिविर इंजेक्शनों का निर्यात तत्काल बंद करे। मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस राय से आंशिक रूप से सहमत हूँ जिसमें उन्होंने सभी आयु वर्ग के नागरिकों के लिये टीकाकरण की माँग की है, मेरी व्यक्तिगत राय है कि अभी जिस प्रकार 45 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिये टीकाकरण जारी है इस आयु सीमा को घटाकर 30 वर्ष तुरंत कर दिया जाना चाहिये क्योंकि 45 से अधिक आयु के टीकाकरण के दौरान वैक्सीन सेंटरों पर अधिक संख्या नहीं है।

अत: 30 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों का टीकाकरण समय की दरकार है इससे सरकार पर दबाव भी कम रहेगा और कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या पर भी अंकुश लग सकेगा साथ ही देशवासियों के मन में कोरोना से लड़ायी के लिये आत्मबल भी बढ़ेगा।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लॉकडाउन से संक्रमण चेन तोडऩे में लाभ मिलेगा परंतु इस लॉकडाउन से बहुत बड़ी आबादी भी प्रभावित होगी जिस पर इस लॉकडाउन का विपरीत प्रभाव पड़ेगा। ठेले वाले, ऑटो रिक्शा वाले, श्रमिक, छोटे होटल, रेस्टोरेंट वाले, फुटपाथ पर व्यापार करने वाले, फेरी वाले यह सब रोज कुँआ खोदकर पानी पीते हैं इन सबके सामने दाल-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

वर्ष 2020 में इस लॉकडाउन का दर्द अभी तक भूले भी नहीं है कि यह दूसरा लॉकडाउन उनके जीवन में अंधेरा लेकर आ गया है। निम्न मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय लोगों की सहायता करने की क्षमता ना अब सरकार में बची है ना ही सामाजिक व स्वयं सेवी संस्थाओं में इसलिये आने वाले दिन मुसीबतों और संकट भरे हैं।

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