सुकर्मा योग में 14 को मनेगी अक्षत तृतीया, नहीं रहेगी शादियों की धूम

उज्जैन, अग्निपथ। आखा तीज पर इस बार भी शादियों की गूंज सुनाई नहीं देगी। शादियों पर प्रतिबंध के चलते इस बार भी अबूझ मुहूर्त में शादी करने वालों को निराशा का मुंह देखना पड़ेगा।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 महीने में 11 माह ऐसे हैं जिसमें युगादि, मन्वादि तिथियों का संयोग आता है। अर्थात गणितीय पक्ष में युग के आरंभ की तिथि और मनुओ के मन्वंतर का गणित दिखाई देता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार जिस समय युग का आरंभ हुआ हो वह युगादि तिथि का केंद्र बिंदु चक्र में आता है। हालांकि यह स्पष्ट है कि मूल रूप से युगादि तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया मानी गई है परंतु इसमें दक्षिण का गणित थोड़ा अलग है।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि 14 मई को शुक्रवार के दिन अक्षय तृतीया आ रही है। यह तिथि 60 घटी की रहेगी। इस दिन शुक्रवार, मृगशिरा नक्षत्र, सुकर्मा योग, तैतिल करण तथा वृषभ राशि का चंद्रमा रहेगा। शास्त्रीय अभिमत से देखे तो शुक्रवार के दिन का स्वामी इंद्र एवं सुकर्मा योग के स्वामी भी इंद्र तथा मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हंै, जो मृदु मंद लोचन नक्षत्र की संज्ञा में आता है। तै

तिल करण के स्वामी सूर्य हैंं। धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस प्रकार के योग में आने वाला विशेष पर्व अथवा त्यौहार विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव के मंदिर में गलंतिका बंधन एवं श्री कृष्ण मंदिर में अथवा विष्णु मंदिर में चंदन का अर्पण तथा पितरों के निमित्त तर्पण अथवा पिंडदान करने का विशेष फल प्राप्त होता है।

खरबूजा रखकर दो घट का करें दान

शास्त्रीय मान्यता के आधार पर अक्षय तृतीया पर दोघट का विधिवत पूजन करके दो अलग-अलग वैदिक ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इनमें से एक घट भगवान विष्णु के निमित्त होता है, तथा दूसरा घट अपने पितरों के निमित्त होता है। इस घट को जल से पूरित कर पंचामृत एवं पुष्प आदि से संपादित करें, भगवान विष्णु के घट में जौ(यव) डालें, सफेद कपड़े से ढक दें तथा ऊपर खरबूजे का फल रखें। साथ ही दूसरे घट में काले तिल डालें ऊपर सफेद कपड़े से ढक दें। उस पर भी खरबूजा रखें। इनका विधिवत पूजन संकल्प करके अलग-अलग ब्राह्मणों को सीधे सामान के साथ दान करें। यह दान अक्षय माना जाता ह।ै इससे भगवान विष्णु तथा अपने पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

परशुराम जयंती भी सादगी से मनेगी

भगवान परशुराम का अक्षय तृतीय पर प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है। ब्राह्मण समाज द्वारा बड़े पैमाने पर परशुराम जयंती मनाई जाती है। लेकिन इस बार कोरोना स्रंक्रमण के चलते सादगी से परशुराम जयंती मनाई जाएगी। ना तो शोभायात्रा निकलेगी और ना ही बड़े आयोजन किए जाएंगे।

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