रस्मअदायगी ने बना दिया अपराधी

माता पूजन करने जा रहा था परिवार, पुलिस पहुंच गई, दुल्हन के भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज

उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना संक्रमण में विवाह समारोह आयोजित करने पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन जो लोग समारोहपूर्वक विवाह नहीं करते हुए सिर्फ शादी-विवाह की रस्म अदायगी कर रहे हैं उन पर भी प्रशासनिक मनमानी की गाज गिर रही है। मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। शादी के पहले माता पूजन के लिये परिवार और रिश्तेदारों के साथ दुल्हन को लेकर मंदिर जा रहा थे। पुलिस ने रास्ते में रोक लिया और भाई के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।

जीवाजीगंज टीआई गगन बादल ने बताया कि मंगलवार सुबह 11 बजे के लगभग तिलकेश्वर कालोनी से मुख्य मार्ग पर बने मंदिर की ओर माता पूजन के लिये दुल्हन अपने परिवार-रिश्तेदार के साथ ढोल से जा रहे थे। सूचना मिलने पर तहसीलदार पूर्णिमा सिंघी के साथ उनकी टीम पहुंची और रास्ते में रोक लिया। पूछताछ करने पर उनके पास वैवाहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होना पाई गई।

प्रशासन द्वारा कार्यक्रमों पर प्रतिबंध का हवाला दिया गया तो माता पूजन में शामिल लोग गलती होने की बात कहने लगे। पुलिस ने सभी को घरों की ओर रवाना किया और कार्यक्रम आयोजित करने वाले दुल्हन के भाई विशाल मालवीय के खिलाफ कलेक्टर के आदेश का उल्लघंन करने की धारा में केस दर्ज कर लिया।

पुलिस देख घबरा गई दुल्हन

माता पूजन के कार्यक्रम में सजी-संवरी दुल्हन आगे चल रही थी। पुलिस की गाड़ी आती देख वह घबरा गई। पुलिस का कहना है कि कार्यक्रम में बच्चे भी शामिल थे, जिन्होने मास्क नहीं लगा रखा था। दुल्हन के साथ मौजूद कुछ युवतियों के चेहरे पर मास्क नजर आ रहा था। जैसे ही पुलिस ने उन्हे रोका कई महिलाएं और युवतियां इधर-उधर छुपने का प्रयास करने लगी।

5 घरों में रोकी थी शादियां

तहसीलदार और जीवाजीगंज पुलिस की टीम ने सोमवार को श्रीकृष्ण कालोनी और अवंतिपुरा क्षेत्र में 5 घरों पर आयोजित किये जा रहे वैवाहिक कार्यक्रमों की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंच कार्यक्रमों को रोका था। वहीं घरों के बाहर बने मंडप और टेंट को हटवाया था। पांचों घरों के मुखियाओं पर केस भी दर्ज किया गया था।

अक्षय तृतीया पर हैं कई विवाह

14 मई को अक्षय तृतीया है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में कई विवाह आयोजित होना है। इस बार सामाजिक स्तर पर होने वाले सामूहिक विवाह समोरह आयोजित नहीं किये गये है, लेकिन कई घरों में पिछले वर्ष नहीं हो पाई शादियां इस बार आयोजित की गई है। जिसके चलते अक्षय तृतीया 14 मई को शहर में हचलच दिखाई दे सकती है। जो पुलिस और प्रशासन के लिये कोरोना गाइडलाइन का पालन करने में परेशानी बन सकती है।

डंडा घुमाने के बजाय विवाह के प्रबंध कीजिए

हस्तक्षेपः हरिओम राय

कोरोना संक्रमण का दौर अचानक सामने आया है, जबकि विवाह कम से कम तीन-चार महीने पहले ही तय हो चुके थे। इस बार शुक्र व गुरु तारा अस्त होने से जनवरी-फरवरी व मार्च में विवाह मुहुर्त नहीं थे। इस वजह से अप्रैल-मई और जून में विवाह की तैयारियां कई परिवारों द्वारा पहले ही की जा चुकी थी। प्रशासनिक प्रतिबंध के कारण अब अधिकतर परिवारों ने तो शादी टाल दी, लेकिन कुछ मामले ऐसे हैं जिनमें अभिभावकों को अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए शादी करने की विवशता है। ये लोग समारोहपूर्वक विवाह नहीं करते हुए शादियों की सिर्फ रस्म अदायगी कर रहे हैं। अब प्रशासन रस्म अदायगी में भी आड़े आ रहा है, जो गलत है। होना तो यह चाहिए कि प्रशासन को गायत्री मंदिर, आर्य समाज मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर या अन्य धार्मिक स्थानों पर औपचारिक शादी की व्यवस्था करना थी। जहां कोरोना गाइड लाइन के मुताबिक वर-वधु पक्ष के लोग एकत्रित होकर सात फेरे करवा सकें। लेकिन इस तरह कानून का डंडा घुमाकर आम लोगों में भय का माहौल बनाना किसी भी सूरत में उचित नहीं है। आम लोग ऐसे ही कोरोना से भयभीत हैं। अब उन पर और जुल्म मत ढहाइए। शहर में पसरी मरघट-सी शांति के बीच अगर कहीं शगुन के ढोल-गीत सुनाई दे रहे हैं तो उसे सुखद बयार की आहट मानकर स्वीकार कीजिए।

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