विभागों की उदासीनता के चलते सोयाबीन के प्रमाणित बीज की कमी, 60 हजार क्विंटल की आवश्यकता

अच्छा बीज करीब 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव मिल रहा है

बदनावर, अग्निपथ। खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन के प्रमाणित बीज हेतु इस मर्तबा किसानों को अभी से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि गत वर्ष बारिश अधिक होने के कारण अधिकांश किसानों के पास सोयाबीन बीज बोने लायक नही बचा है। जिले में बदनावर तहसील में सबसे सोयाबीन बोई जाती है और यही करीब 80 हजार किक्वंल बीज की आवश्यकता लगती है। जबकि विभाग पूरे जिले के लिए मात्र 600 क्विंटल प्रमाणित बीज की उपलब्धता बता रहा है जो उंट के मुंह में जीरे के समान है। इधर बीज उत्पादक संस्था मप्र बीज एवं फर्म विकास निगम भी पिछले दो वर्षो से बीज उत्पादन पर ध्यान नही दे रही है जिससे भी किसान प्रमाणित बीज मिलने से वंचित हो रहे है।

सोयाबीन का रकबा जिले में सबसे अधिक बदनावर क्षेत्र में है। यहां 76 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई जाती है जो कुल रकबे का 95 फीसद तक होता है। यहां मुख्यत: सोयाबीन किस्म 9560, 7322, 2034 की बुआई करते है तो अर्ली वैरायटी की मानी जाती है जिसमें एक बीघा में करीब 30 से 35 किलो प्रति बीघा बीज लगता है। इसके अलावा 1025 किस्म भी बोई जाती है।

गत वर्ष अधिक बारिश होने के कारण सोयाबीन की फसलों में काफी नुकसानी हुई थी जिसके कारण अच्छा बीज भी किसानों के पास कम मात्रा में ही बचा हुआ है। बदनावर क्षेत्र की ही बात करें तो कृषि विभाग के मुताबिक यहां करीब 60 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। मानसून के भी लगभग 1 जून को आने की संभावना बन रही है। प्रमाणित बीज नही मिलने से अच्छे बीज की तलाश में किसान इधर उधर भटक रहे हैं।

किसानों का कहना है कि वर्तमान में बीज करीब 8 हजार रूपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। जबकि लाकडाउन के बाद मंडिया खुलने पर इसके भाव बढने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। निजी उत्पादक समितियों कें पास भी प्रमाणित बीज पर्याप्त मात्रा में नही है। एसे में बीज की कालाबाजारी होने की आशंका भी बनी रहेगी। दूसरी ओर संबंधित विभागों की उदासीनता के कारण प्रमाणित बीज की कमी लगातार तीसरे वर्ष भी बनी हुई है।

यहां बीज उत्पादक संस्था मप्र बीज एवं फार्म विकास निगम में वर्ष दर वर्ष प्रमाणित बीज का उपार्जन करने में नाकाम साबित हुआ है। बीज निगम किसानों को उत्पादन कार्यक्रम कम देेता है जिससे उपार्जन भी नही हो पाता है जबकि बीज निगम को अधिक से अधिक उपार्जन कार्यक्रम देना चाहिए ताकि उपार्जन अधिक हो सके और अगले वर्ष प्रमाणित बीज की आपूर्ति हो सके। उधर कृषि विभाग करीब 500 क्विंटल बीज निजी बीज उत्पादक समितियों से लेकर किसानों को प्रदाय करने की बात कह रहा है। फिलहाल 150 क्विंटल बीज मिलने के आदेश भी प्राप्त चुके है।

मात्र 600 क्विंटल बीज है विभाग के पास

खरीफ फसल में बीज की स्थिती इस बार नगण्य है। गत वर्ष फसल खराब होने से बीज का अधिक उपार्जन नही हुआ है। गत वर्ष संस्था के पास 2 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज था जो घटकर जो इस वर्ष 600 क्विंटल तक रह गया है। इसमें से भी कुछ बीज अभी लेबोरेटरी से पास होना शेष है। इसमें भी प्रमुख रूप से आरवीएस 2001 व 2004, जेएस 2029, जेएस 2069 वैरायटी है। निजी बीज उत्पादक समितियां है जिनके पास से बीज खरीद कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा। – डीएस सोलंकी, बीज निगम के प्रक्रिया प्रभारी

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