ब्लैक फंगस व अन्य गंभीर रोगों के मरीजों की कंसल्टेंसी दर तय की

उज्जैन। प्रशासन ने ब्लैक फंगस सहित अन्य गंभीर रोगों में मरीजों से लिए जाने वाले चिकित्सकीय परामर्श शुल्क (कंसल्टेंसी फीस) की दर तय कर दी है। इससे ज्यादा राशि अब मरीजों से नहीं वसूली जा सकेगी।
नर्सिंग होम एसोसिएशन के साथ गत दिनों कलेक्टर आशीष सिंह की बैठक में एसोसिएशन द्वारा ब्लैक फंगस एवं अन्य गंभीर बीमारी के मरीजों को ऑक्सीजन, कंसल्टेंसी और फिजियोथैरेपी फीस वृद्धि के लिये किये गये अनुरोध पर कंसल्टेंसी फीस की दर पुनरीक्षित/निर्धारित की है। इसके तहत
1. गंभीर मरीज जिनको जिस अवधि में वेंटिलेटर/बायपेप/हाईफ्लो नेसल केन्युला मशीन पर ऑक्सीजन दी जायेगी उसी अवधि के लिये ऑक्सीजन हेतु 225 रुपये प्रतिघंटे की अधिकतम दर निर्धारित की गई है। अन्य ऐसे मरीज, जिनको ऑक्सीजन की आवश्यकता हो, उनके लिये ऑक्सीजन हेतु 150 रुपये प्रतिघंटे की अधिकतम दर निर्धारित रहेगी।
2. विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा मरीजों को चिकित्सकीय सलाह देने हेतु प्रतिदिन प्रति मरीज एक हजार रुपये कंसल्टेंसी फीस निर्धारित रहेगी, जिसके तहत सम्बन्धित कंसल्टेंट द्वारा न्यूनतम एक बार एवं आवश्यकता होने पर एक से अधिक बार मरीजों को देखा जाकर उन्हें समुचित उपचार दिया जायेगा। विशेष प्रकरण जैसे प्रेग्नेंसी, किडनी फेलुअर, न्यूरोलॉजी, ब्लैक फंगस आदि में पृथक विशेषज्ञ चिकित्सक को आमंत्रित किये जाने की अनुमति प्रदान की जाकर एक हजार रुपये की अधिकतम दर निर्धारित की जाती है। मरीज या उनके परिजनों की लिखित सहमति पर भी पृथक से विशेषज्ञ चिकित्सक को आमंत्रित किया जा सकता है, जिसकी भी एक हजार रुपये प्रतिदिन अधिकतम दर निर्धारित की जाती है।
3. फिजियोथैरेपिस्ट की आवश्यकता होने पर फिजियोथैरेपी के लिये 300 रुपये प्रतिसेशन की अधिकतम दर निर्धारित की जाती है। उपरोक्त के अलावा शेष दरें पूर्व आदेश अनुसार यथावत रहेंगी।

ज्यादा वसूली तो होगी कार्रवाई

कलेक्टर ने उपरोक्त निर्धारित की गई अधिकतम दरों से अधिक शुल्क लिया जाना पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही अन्य किसी मद में अथवा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से उक्त राशि का समावेश अन्य मद में नहीं किया जा सकेगा। किसी भी प्रकार का सर्विस चार्ज वसूल किया जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। आदेश का उल्लंघन करने पर सम्बन्धित के विरूद्ध अत्यावश्यक सेवा संधारण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम-1979 की धारा-7(1), आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा-56 व महामारी अधिनियम-1897 की धारा-3 के प्रावधानों के साथ-साथ भादंसं-1860 की धारा-188, 269 और 270 के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी।

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