45 दिन में चक्रतीर्थ पर 3 हजार शवों का अंतिम संस्कार

सवा दो लाख कंडों की खपत उजागर कर रही है सच्चाई

उज्जैन, (हेमंत सेन) अग्निपथ। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई महीने में अब तक शहर में ही 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। चक्रतीर्थ पर लकड़ी और कंडो की खपत का आंकड़ा तो यहीं बताता है। चक्रतीर्थ श्मशान पर लकड़ी-कंडो का 6 महीने का स्टाक महज डेढ़ महीने में ही खत्म हो चुका है। हालात ऐसे बने है कि वर्षाकाल के लिए कंडे और लकडिय़ों का स्टाक करने के लिए चक्रतीर्थ न्यास को अलग से मशक्कत करना पड़ रही है।

अप्रैल महीने में कोरोना की दूसरी लहर का खासा जोर रहा है। कोरोना संक्रमण की वजह से मौत का सरकारी आंकड़ा अब तक 164 पर ही अटका है। इसमें पिछले साल की पहली लहर के भी मामले शामिल है। वास्तविकता इससे कुछ अलग है। कोरोना बनाम टाईफाईड बनाम निमोनिया ने इससे कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बनाया है।

उज्जैन में चक्रतीर्थ सबसे बड़ा श्मशान है। यहां हर 6 महीने के लिए लकड़ी और कंडो का स्टाक किया जाता है। अप्रैल महीने में ही दिसंबर तक के लिए चक्रतीर्थ न्यास द्वारा 10 हजार क्विंटल लकड़ी और ढाई लाख कंडो का स्टाक किया गया था। दिसंबर तो दूर की बात, यह स्टाक आधे मई में ही खत्म होने की कगार पर पहुंच गया। महज 45 दिन में ही लगभग 9 हजार क्विंटल लकड़ी और सवा दो लाख कंडे खत्म हो गए। बारिश से पहले दिसंबर तक का स्टाक जमा करने के लिए चक्रतीर्थ न्यास को दोबारा से 7 हजार क्विंटल लकड़ी मंगवाना पड़ी है जबकि कंडो के इंतजाम के लिए अब गांवो में संपर्क किया जा रहा है।

त्रिवेणी पर हर रोज 10 शवदाह

चक्रतीर्थ के अलावा शहर में ओखलेश्वर और त्रिवेणी मुक्तिधाम पर भी शवों का अंतिम संस्कार हुआ। त्रिवेणी मुक्तिधाम पर पिछले 6 दिनों से हर रोज औसत 9 से 10 शवों को अंतिम संस्कार के लिए लाया जा रहा है। कोरोना पीक के दौरान यहां एक दिन में 27 से 30 शवों का दाह संस्कार किया गया था। लगभग यही स्थिति ओखलेश्वर श्मशान की भी है।

ऐसे सामने आया 3 हजार मौत का आंकड़ा

  • अप्रैल और मई महीनें में चक्रतीर्थ पर 9 हजार क्विंटल लकड़ी और सवा दो लाख कंडो की खपत हुई।
  • एक शव का दहन करने में लगभग 75 कंडे और ढाई क्विंटल लकड़ी की खपत होती है।
  • एक शव का दहन करने में लगाए गए कंडो और लकडिय़ों को यदि आप कुल खपत से भागित करेंगे तो आंकड़ा 3 हजार या उससे कुछ ज्यादा शवों के आसपास बैठता है।
  • चक्रतीर्थ न्यास से जुड़े लोग और कर्मचारी भी इस आंकड़े की पुष्टि करते है।

कोरोना वाले शवों से नहीं लेंगे अंतिम संस्कार का शुल्क

चक्रतीर्थ न्यास ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लिया है। न्यास के फैसले के मुताबिक चक्रतीर्थ पर अब कोरोना से ग्रसित होकर मौत का शिकार होने वाले लोगों के अंतिम संस्कार का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। न्यास अपनी ओर से ऐसे शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी-कंडे उपलब्ध कराएगा। कोरोना के कारण मौत का शिकार हुए व्यक्ति के परिवारजनों को इसके लिए डॉक्टर्स द्वारा जारी सर्टिफिकेट चक्रतीर्थ कर्मचारियों को उपलब्ध करवाना होगा।

इनका कहना

यह बात सही है कि हमारा 6 महीने का लकड़ी-कंडे का स्टाक महज डेढ़ महीने में ही खत्म हो गया है। बारिश से पहले हमें अतिरिक्त लकडिय़ा मंगवाना पड़ी, कंडो का इंतजाम भी किया जा रहा है। – प्रहलाद यादव, सचिव चक्रतीर्थ न्यास

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