बिल्डर मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए मंत्री यादव सीमित करना चाहते हैं सिंहस्थ भूमि

उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर विवाद गहराया, दिग्विजयसिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज को लिखा पत्र

भाजपा प्रवक्ता बोले- मास्टर प्लान बनाने में दिग्विजय सिंह की मास्टरी, उनकी सरकार में भू-माफिया फले-फूले

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर सियासत फिर से गर्मा गई है। अब मामला प्रदेश स्तर पर पहुंच गया है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखकर उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव पर अपने बिल्डर दोस्तों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगाए हैं। मंत्री यादव पर अपने बिल्डर दोस्तों को लाभ पहुंचाने के लिए सिहंस्थ क्षेत्र की भूमि को सीमित किया जाने की योजना पर काम करने का आरोप लगाया है।

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा, 2004 में उज्जैन में 2१51 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंहस्थ मेले का आयोजन किया गया था। किन्तु 12 वर्षो में श्रद्धालुओं की संख्या में हुई वृद्धि के परिणाम स्वरूप वर्ष 2018 में 4151 हेक्टर क्षेत्रफल में मेले का आयोजन करना पड़ा था। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के चलते प्रत्येक अगले सिहंस्थ में मेले का क्षेत्रफल बढऩा जरूरी है। आने वाले सिहंस्थ में मेले का क्षेत्रफल और अधिक बढ़ाना पड़ेगा। परन्तु सरकार द्वारा बिल्डरों,भूमाफियाओं और भाजपा के नेताओं के दबाव में उज्जैन सिंहस्थ के लिए आरक्षित क्षेत्र को सीमित किया जा रहा है।

मंत्री मोहन यादव नए मास्टर प्लान के नाम पर सिहंस्थ क्षेत्र में आने वाले सांवराखेड़ी और जीवनखेड़ी की जमीन का नियम विरुद्ध भू-व्यपवर्तन करके उसे बिल्डरों को सौंपने की कवायद का समर्थन कर रहे हैं। वे अपने बिल्डर मित्रों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा का कहना है कि मास्टर प्लान किसी भी सुनियोजित विकास का संविधान होता है। उज्जैन का मास्टर प्लान 1994 में बना था जो 2006 में समाप्त हो गया था। 2006 में भाजपा सरकार ने फिर से मास्टर प्लान बनाया था, जो 2021 में समाप्त हो रहा है। इसलिए अब 10 से 15 साल को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान को बनाया जा रहा है क्योंकि उज्जैन का धार्मिक महत्व केवल प्रदेश ही नहीं विश्व में है।

दिग्विजय सिंह की मास्टर प्लान में मास्टरी रही है। उनकी सरकार में भूमाफिया पले बढ़े थे। उज्जैन के मास्टर प्लान और दक्षिण विधायक मोहन यादव के कार्यकाल में एक भी अवैध कॉलोनी बनी हो और उसके प्रमाण दिग्विजय सिंह के पास हो तो उन्हें जांच एजेंसियों और कोर्ट में जाकर चुनौती देना चाहिए। सांसद अनिल फिरोजिया और विधायक पारस जैन का वे नाम ले रहे हैं। अब वे तथ्यों से अवगत हो गए हैं। इसलिए उनके विरोध का मामला नहीं बचा है।

विवाद बढऩे पर कलेक्टर ने चुप्पी साधी

राजनीतिक तौर पर विवाद बढ़ जाने के बाद मामले में कलेक्टर आशीष सिंह ने चुप्पी साध ली है। वहीं प्रशासन के सभी अफसरों ने इस विषय में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है। सबका कहना है कि अब मामला राजनीतिक हो गया है। इसलिए वे टिप्पणी नहीं कर पाएंगे।

ऐसा मास्टर प्लान बन रहा, जिससे 2028 और 2040 सिहंस्थ आयोजन होगा: जोशी

भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक जोशी ने कहा कि वर्ष 1974 में पहला मास्टर प्लान बना था जो वर्ष 1994 तक लागू था। पंरतु इन्हीं दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में मास्टर प्लान का प्रकाशन तक नहीं करवा पायी थी। भाजपा की सरकार ने वर्ष 2006 में मास्टर प्लान का प्रकाशन करवाया जो कि वर्ष 2021 तक लागू है। जिसके अंतर्गत शहर में 14 ब्रिज आतंरिक फोरलेन प्रमुख चौराहों का सौंदर्यीकरण, पुराने शहर के मार्गों का चौड़ीकरण करवाए गए। इससे ना सिर्फ सिंहस्थ का सफल आयोजन हो सका अपितु शहर की एक महानगर की भांति पहचान बनी है।

जोशी ने कहा कि जो विकास का मास्टर प्लान तैयार हो रहा है उसके अंतर्गत ही आने वाले 2028 और 2040 के सिंहस्थ का संचालन भी बाबा महाकाल के आशीर्वाद से सफलतापूर्वक किया जाएगा। जोशी ने पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में पूरे प्रदेश का बंटाधार हुआ था। ठीक उसी प्रकार उनके मशवरे से उज्जैन का बंटाधार होना भी तय है। इसलिए उज्जैन के मामले में उनके किसी भी मशवरे की आवश्यकता नहीं है।

वैसे भी खुद कमलनाथ ने ये स्वीकार किया है कि दिग्विजय सिंह के कारण ही उनकी सरकार का भी बंटाधार हो गया। जोशी ने कहा कि उज्जैन शहर का विकास भाजपा सरकार की प्राथमिकता में शामिल है, अतएव उज्जैन के लिए दिग्विजय सिंह के किसी भी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है।

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