सिंहस्थ भूमि होने की शिकायत के बाद नगर निगम में हडक़ंप
उज्जैन, अग्निपथ। आगर रोड पर मोहन नगर माताजी मंदिर के ठीक सामने चल रहा तीन मंजिला भवन का निर्माण विवाद में पड़ गया है। नगर निगम ने ही इस भवन के निर्माण का नक्शा स्वीकृत कर निर्माण अनुज्ञा जारी की और अब नगर निगम के भवन अधिकारी ने ही इसे अवैध निर्माण बताकर नोटिस जारी कर दिया है।
खास बात यह है कि जिस नगर निगम से नक्शा स्वीकृत हुआ, उस नगर निगम के अधिकारियों को बिल्डिंग बनाने वाले मलिक का सही नाम भी नहीं मालूम है। नोटिस में एक साथ तीन लोगों के नाम लिख दिए गए और इनके नामों के नीचे लिए दिया गया – जो भी भवन स्वामी हो।
हीरो होंडा शोरूम के पास बन रहे इस तीन मंजिला भवन के लिए हाल ही में नगर निगम के भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा द्वारा नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में बिल्डिंग के मालिक के रूप में राकेश, संजय मनीष पिता प्रकाशचंद्र कोठारी निवासी 6, राजनगर हीरा मिल रोड का नाम दर्ज है।
दरअसल कुछ दिनों पहले इस निर्माण को लेकर नगर निगम के आयुक्त क्षितिज सिंगल को एक शिकायत की गई थी। इस शिकायत में उल्लेख किया गया कि जिस जगह भवन का निर्माण किया जा रहा है वह सिंहस्थ भूमि है। शिकायत में उल्लेख है कि भूमि सर्वे क्रमांक 1535/1/2 और 1535/1 व 1535/1/1 राजस्व रिकार्ड में सिंहस्थ के लिए आरक्षित भूमि है। इसी सिंहस्थ आरक्षित भूमि पर न केवल बिल्डिंग परमिशन जारी कर दी गई है बल्कि यहां अवैध निर्माण को प्रश्रय भी दिया जा रहा है।
इस शिकायत के बाद नगर निगम भवन अनुज्ञा शाखा में हडक़ंप मच गया। शिकायत प्राप्त होने के दूसरे ही दिन बिल्डिंग निर्माण करने वाले पूरे परिवार को ही नोटिस जारी कर दिया गया। जोन क्रमांक 2 की भवन निरीक्षक ने मौका स्थल का परीक्षण भी करा लिया गया।
जवाब आया- नहीं किया अवैध निर्माण
भवन निर्माण करने वाले कोठारी परिवार की तरफ से मामले में नगर निगम को जवाब भी प्रस्तुत दिया गया है। निर्माण करने वाले परिवार की ओर से कहा गया है कि उन्होंने निर्माण से पहले सभी जरूरी अनुमति ली है। नगर निगम द्वारा स्वीकृत नक्शे के अनुरूप ही निर्माण किया जा रहा है।
तहसीलदार तय करेंगे जमीन सिंहस्थ की है या नहीं
नगर निगम के भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा के अनुसार बिल्डिंग मालिक से बिल्डिंग संबंधित दस्तावेज मांगे गए है। इसका परीक्षण करने के उपरांत ही यह तय हो सकेगा कि निर्माण में कहां लापरवाही बरती गई। रामबाबू शर्मा का कहना है कि शिकायत के अनुसार जिस जगह निर्माण हुआ वह स्थान सिंहस्थ क्षेत्र का है लेकिन तहसलीदार ही जमीन का सीमांकन कर यह तय करेंगे। भवन अधिकारी ने बताया उक्त बिल्डिंग के निर्माण के लिए ग्राम तथा नगर निवेश विभाग, नगर निगम, राजस्व विभाग से सभी विधिवत अनुमतियांं ली गई थी, इसी वजह से नक्शा स्वीकृत किया गया था।
हमने विधिवत तरीके से जमीन खरीदी। इसकी रजिस्ट्री करवाई और विधिवत नामांतरण कराया और वैधानिक तरीके से नक्शा स्वीकृत कराया। हमारा निर्माण पूरी तरह से वैध है और इसके दस्तावेज नगर निगम में प्रस्तुत कर दिए हैं। – मनीष कोठारी, निर्माणकर्ता