मध्यप्रदेश स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन का कारनामा: साढ़े तीन लाख में बेच दी 60 लाख की चूरी

कैनोपी में उपयोग आई मुरम चूरी के टेंडर शंका के घेरे में

उज्जैन, (हेमंत सेन) अग्निपथ। मध्यप्रदेश स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के क्षेत्रीय कार्यालय का एक टेंडर विवादों में पड़ गया है। महज एक साल पहले वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने 60 लाख रुपए खर्च कर जो चूरी और मुरम खरीदी थी, उसे लगभग 17 गुना कम कीमत पर 3 लाख 50 हजार रुपए में ही बेच दिया है। बाजार मूल्य के मान से ही चूरी और मुरम आज की स्थिति में 25 से 30 लाख रुपए कीमत की बनती है।

पिछले साल गेहंू उपार्जन के बाद जब गेहंू को रखने के लिए गोदाम कम पड़ गए थे तब जिले में अलग-अलग जगहों पर कैनोपी बनाकर गेंहू का भंडारण किया गया। शहर में नानाखेड़ा स्टेडियम में भी खुले में गेंहू स्टॉक करने के लिए कैनोपी बनाई थी। स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के जिम्मे गेंहू के भंडारण का जिम्मा था। कार्पोरेशन निर्माण एजेंसी नहीं है लिहाजा तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर नगर निगम उज्जैन के माध्यम से कैनोपी बनाने के तीन टेंडर कॉल किए गए थे।

20-20 लाख रूपए की लागत से नानाखेड़ा स्टेडियम में रेत-चूरी-मुरम को बोरियों में भरकर गेंहू की बोरिया रखने के लिए प्लेटफार्म बनाए गए थे। वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने ही इस काम के लिए 60 लाख रुपए नगर निगम को चुकाए थे। एक साल यहां गेंहू का स्टाक रहा।

फिलहाल सारा गेहंू स्टेडियम से हटा दिया गया है। बची रह गई तो केवल मुरम-चूरी की बोरियां। वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन की निर्माण शाखा ने इस मुरम और चूरी को विक्रय करने के लिए टेंडर कॉल किए और केवल 3 लाख 50 हजार रुपए में ही इसे दीपक मीणा नामक शख्स को बेच दिया।

बाजार मूल्य ही 10 गुना से ज्यादा

  • वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के लिए कैनोपी बनाने वाले ठेकेदारों के मुताबिक कैनोपी के नीचे 7 से 8 हजार क्यूबिक मीटर मुरम चूरी बिछाई गई थी। तब इसका बाजार मूल्य 650 रूपए प्रति क्यूबिक मीटर था। इस लिहाज से 7 हजार क्यूबिक मीटर चूरी का दाम 45 लाख 50 हजार रुपए बनता है।
  • वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन की निर्माणशाखा के ईई पी.के. जैन के मुताबिक मौके पर 4 हजार क्यूबिक मीटर मूरम चूरी थी। इस लिहाज से भी इसकी कीमत 26 लाख रुपए बनती है।
  • एक साल मुरम चूरी मैदान में पड़ी रही, बोरिया भी फटी, कुछ माल बिखरा भी होगा। कुल बिछाई गई मुरम की आधी भी यदि सुरक्षित मान ले तो इसका बाजार मूल्य 13 लाख रुपए बनता है।
  • अति सुरक्षा में गेंहू रखा होने के कारण नुकसान की संभावना कम है। बावजूद इसके एक साल में 75 प्रतिशत तक नुकसान हो जाने और 25 प्रतिशत ही मुरम चूरी सुरक्षित बच जाने की स्थिति में भी इसका मूल्य 6 से 7 लाख रुपए बनता है।

45 हजार गेंहू की बोरिया हटाई

नानाखेड़ा स्टेडियम में कैनोपी(खुले में गेंहू का स्टॉक) बनाए जाने का फैसला शुरूआत से ही विवादों में रहा है। गेंहू क्रय होने के बाद पहले परिवहन करने वाले ठेकेदार ठीक से काम नहीं कर पाए। फिर नगर निगम की मदद लेकर कैनोपी बनाई गई। शासन के नियमानुसार तीन महीनें में यहां से गेंहू का स्टाक हटा लिया जाना था लेकिन यह एक साल तक पड़ा रहा।

राज्य खाद्य आयोग के सदस्य किशोर खंडेलवाल निरीक्षण करने पहुंचे और जब यहां गेंहू को आटा बनते देखा तो फटकार लगाई। ताबड़तोड़ 45 हजार बोरियों को सोयाबीन प्लांट में शिफ्ट किया गया। बोरिया हटते ही रेत-मुरम सोरने का काम शुरू हो गया।

विभाग की ये परेशानी

  • रेत-मुरम कितनी मात्रा में थी, इसकी जानकारी नगर निगम को ज्यादा है क्योंकि नगर निगम के माध्यम से ही कैनोपी बनाई गई थी।
  • हमने दो बार टेंडर निकाले, कोई लेने ही नहीं आया। रेत-मुरम खुले मैदान में पड़ी है। वहां हर वक्त चौकीदारी तो नहीं कर सकते। विकास प्राधिकरण भी कुछ वक्त बाद आपत्ति लेने लगता, ऐसे में क्या करते।
  • विभागीय निर्देश मिले कि जो जितना मिल रहा है, टेंडर लगाओ और जगह क्लियर करो। क्योंकि कुछ वक्त बाद तो इतना भी नहीं बचता।
    हमारे पास घट्टिया में भी चूरी-मुरम पड़ी है, उसे भी कोई लेना नहीं चाहता। वहां तो मुरम-चूरी की निगरानी भी नहीं रख सकते। वो धन तो शून्य ही होता जा रहा है।
    (जैसा पी.के. जैन, एई वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने बताया)

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