चमत्कारों से लबरेज है ‘बोलाई’ का सिद्ध वीर हनुमान मंदिर

(बोलाई से लौटकर अर्जुनसिंह चंदेल)
शाजापुर (बोलाई)। किसी भी शहर की सुरक्षा के लिये चारों दिशाओं पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण में नगर कोतवाल के रूप में भेरू जी ईश्वर के रूप में उस नगर के निवासियों की रक्षा करते हैं यह तो देखा है और सुना है परंतु किसी नगर की रक्षा के लिये अतुलित बल धामा महाबलि हनुमान जी 12 ओर से उस ग्राम की रक्षा कर रहे हो ऐसा पहली बार देखा। यह सौभाग्यशाली ग्राम है मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित 8 हजार की आबादी वाला ‘बोलाई’। उज्जैन से 90 किलोमीटर और शाजापुर से मात्र 25 किलोमीटर दूर स्थित बोलाई सचमुच में चमत्कारिक नगरी है और यहाँ हनुमान जी की कृपा हर पल बरसती है।
बोलाई ग्राम के 12 ओर खेड़ापति हनुमान जी की मूर्ति है। बुजुर्गों का कहना है कि प्राचीन समय में 12 खेड़े (छोटी बसाहट) थे और प्रत्येक में हनुमान जी की मूर्ति थी। समय के साथ वह बसाहटें तो वीरान हो गई परंतु हनुमान जी की वह सभी 12 स्थान आज भी आस्था व श्रद्धा का केन्द्र बने हुए हैं।
‘अलौकिक सिद्ध वीर हनुमान’
बोलाई से गाँव के बाहर स्थित सिद्ध वीर हनुमान जी का मंदिर इस समय चमत्कारों के कारण सबसे अधिक चर्चाओं में हैं। बोलाई रेलवे स्टेशन से चंद कदमों की दूरी पर स्थित हनुमान जी का मंदिर है, जहाँ प्रत्येक मंगलवार और शनिवार हजारों की संख्या में पहुँचकर श्रद्धालु भगवान के दर्शनों का लाभ लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि सिद्ध वीर हनुमान जी के सामने माँगने से भक्त की हर मुराद पूरी हो जाती है। सुधि पाठकों को याद होगा कि पूर्व में भाप के इंजन से रेलगाडिय़ां चलती थी तब भी यह प्रथा थी कि जो टे्रन सिद्धवीर हनुमान मंदिर जी के नाम से रूककर कोयला नहीं डालती थी तो वह टे्रन आगे ही नहीं बढ़ पाती थी।
‘अनोखी है प्रतिमा’
वैसे तो दुनियाभर में हनुमान जी की प्रतिमाएँ स्थापित है परंतु सिद्ध वीर हनुमान जी की यह प्रतिमा अपने आप में अनूठी और अद्वितीय है। इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी के बॉये तरफ उदर पर गणेश जी की प्रतिमा है, जो स्वयं रिद्धी-सिद्धी के दाता हैं। शायद इसी कारण इस मंदिर का नाम सिद्धवीर हनुमान पड़ा। कई पीढिय़ों से इस मंदिर की पूजा कर रहे शर्मा परिवार के वर्तमान पुजारी श्री नारायण प्रसाद शर्मा ने बताया कि प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को लगभग दो ट्रालियाँ भरकर नारियल भक्तों द्वारा हनुमान जी को चढ़ाये जाते हैं जिन्हें मंदिर के बाहर मुदगलों से फोडक़र प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। अनेक भक्त यहाँ पर घडिय़ां और पीतल की घंटियां भी भेंट करते हैं।
कहा जाता है कि मंदिर जीर्णोद्वार और सौन्दर्यीकरण के लिये धन की कमी ही नहीं पड़ती। पिछले 10-12 वर्षों से मंदिर में निरंतर सौंदर्यीकरण का कार्य जारी है। पुजारी शर्मा का मानना है कि निरंतर 5 शनिवार आकर हनुमान जी के समक्ष अर्जी लगाने से समस्या का निदान हो जाता है। हनुमान जी के चमत्कारों से लाभांवित अनेक परिवार है जो अपनी सुख-समृद्धि का सम्पूर्ण श्रेय सिद्धवीर हनुमान जी को ही देते हैं।
‘मन्नत के धॉगे’
मंदिर परिसर में ही बिल्व और नींबू का पेड़ लगा हुआ है। हनुमान जी से मन्नत माँगने आने वाला हर भक्त हनुमान जी को याद दिलाने के लिये मन्नत का धागा नींबू के पेड़ पर बाँधकर जाता है।
‘रेल कर्मचारी है मुरीद’
सिद्ध वीर हनुमान मंदिर के भक्तों में एक बहुत बड़ी संख्या रेलवे कर्मचारियों की है जिसमें रनिंग स्टाफ ड्रायवर, गार्ड, टीसी शामिल हैं, जो इस मंदिर के सामने ट्रेन तो रोकते ही हैं साथ ही प्रत्येक माह जाकर सुंदरकांड भी करते हैं।

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