खबरों के उस पार: शराब विक्रेताओं पर मेहरबानी क्यों..!

उज्जैन-इंदौर संभाग में बड़ी मात्रा में नकली शराब के मामले सामने आ रहे हैं। खंडवा, इंदौर, मंदसौर, नीमच, देवास, रतलाम आदि कई जगह पर दबिश देकर पुलिस व आबकारी विभाग ने नकली शराब विक्रेताओं के कारखानों को पकड़ा है। इंदौर में तो ब्रांडेड शराब ही तैयार की जा रही है।

भोपाल में ब्रांडेड शराब हरियाणा से बुलवाकर बोतल में से शराब निकालकर पानी भरा जा रहा था। यह सभी उपक्रम शराब को जहरीला बना देते हैं और पीने वाले की जान पर बन आती है। चारों ओर अवैध शराब कारोबारियों पर अंकुश लगाया जा रहा है, लेकिन उज्जैन इससे बचा हुआ है।

इससे साफ है कि या तो उज्जैन में शराब माफिया नहीं है या फिर शराब विक्रेताओं पर मेहरबानी बरकरार है। शराब माफिया यहां सक्रिय नहीं है, बात में दम नजर नहीं आता क्योंकि शासकीय शराब दुकान के सेल्समैन ही अधिक मात्रा में शराब खरीदने पर प्रति पेटी स्पेशल डिस्काउंट देने की बात करते हैं, जो कि अच्छा खासा होता है।

डिस्काउंट वाली शराब दो नंबर की ही हो सकती है। रही बात शराब विक्रेताओं पर विभाग की मेहरबानी की तो वो फाजलपुरा कलाली से भी जगजाहिर है। पहले यह आगर रोड पर जीनिंग मिल की सरकारी जमीन पर संचालित होती रही थी और अब सडक़ बनाने के लिए छोड़ी गई सरकारी जमीन पर खुलेेआम नियम विरुद्ध चलाई जा रही है।

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