विधायक मालवीय ने खरीदे टिकट

उज्जैन, अग्निपथ। कांग्रेस विधायक रामलाल मालवीयरविवार को अपने तीन से चार समर्थकों के साथ भगवान महाकाल के दर्शन को आए। उन्होंने प्रोटोकाल काउंटर पर पहुंचकर अपने समर्थकों के लिए 100 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट खरीदे और भगवान महाकाल के दर्शन किए। टिकट खरीदने पर उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए मंदिर प्रशासन का आभार माना।

महाकाल म्यूजियम में पगड़ी की भरमार दानदाताओं को बांटने से बच रहे

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को चढ़ाई जाने वाली पगडिय़ां ऐसे ही रखी हुई हैं। इनको विक्रय करने का प्रयास किया गया था, लेकिन बिकी नहीं। ऐसे में यह महाकाल के निर्गम गेट के पीछे स्थित म्यूजिमय में रखी हुई हैं। मंदिर प्रशासन चाहे तो एक लाख रुपए से उपर दान देने वाले दानदाताओं को इसे देकर उनको आगामी समय के लिए भी दान के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

कुछ माह पूर्व भगवान महाकाल को पंडे पुजारियों के यजमानों द्वारा पगड़ी चढ़ाने की प्रथा का उदय हुआ था। बड़ी संख्या में पगडिय़ां बाजारों में भी बिकने के लिए रखी जाने लगी थीं। पहले पहल इनको बिना शुल्क के चढ़ाया जाने लगा था, लेकिन बाद में मंदिर प्रशासन द्वारा इसका 5 हजार रुपए शुल्क वसूल किये जाने लगा। पगड़ी चढ़ाने में भी वेटिंग लिस्ट बनने लगी थी। बाद में इस पर मंदिर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान बड़्ी संख्या में पगडिय़ां मंदिर को प्राप्त हुई थीं। इनको रख्ने में समस्या आई तो मंदिर प्रशासन ने परिसर में काउंटर खोलकर इसका विक्रय करना शुरू कर दिया। पगडिय़ों की क्वालिटी के अनुसार इनका मूल्य तय किया गया था। लेकिन मूल्य अधिक होने के कारण पगडिय़ां नहीं बिकीं। महीनों तक काउंटर से इनको बेचने का प्रयास किया गया और अंतत: तीन दिन पूर्व काउंटर को बंद कर दिया गया।

ट्रेंड चल पड़ा था
भगवान महाकाल को पगडिय़ां चढ़ाने का एक प्रकार से ट्रेंड बन गया था। बाहर से आने वाला हर श्रद्धालु संध्या आरती में पगड़ी चढ़ाने के लिए लाता था। इस तरह से मंदिर प्रशासन के पास 300-400 पगडिय़ां एकत्रित हो गई थीं। क्योंकि इनको चढ़ाने के बाद मंदिर प्रशासन को सौंपना पड़ती थीं। लेकिन इसके बाद बृहस्पति भवन में आयोजित बैठक में कलेक्टर आशीषसिंह के सामने पगड़ी चढ़ाने पर आपत्ति ली गई थी। उसके दूसरे ही दिन से उन्होंने पगड़ी चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। बताया जाता है कि पगड़ी में लगने वाली सेफ्टी पिन और अन्य सामग्री से शिवलिंग क्षरण का खतरा पैदा हो गया था।


मंदिर प्रशासन ने पगडिय़ों को निर्गम गेट पर बने म्यूजियम में संभाल कर रखा हुआ है। मंदिर का काउंटर अलग बंद कर दिया गया है। ऐसे में यह पगडिय़ां ऐसे ही पड़ी हुई खराब हो रही हैं। मंदिर प्रशासन चाहे तो 1 लाख रुपए से अधिक दान करने वालों को सम्मान स्वरूप पगडिय़ां दान कर उनको प्रोत्साहित कर सकता है। लेकिन अभी तक इस योजना को मूर्तरूप नहीं दिया जा सका है। धीरे धीरे पगडिय़ां भी खराब होने लगी हैं।

 

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