दशहरा मैदान पर 25 फीट ऊंचा रहेगा रावण, आतिशबाजी भी सांकेतिक रहेगी

कोरोना गाइड लाइन के कारण घर बैठे देखना होगा रावण दहन, आज जारी होगी लिंक

उज्जैन, अग्निपथ। इस बार उज्जैन में सांकेतिक रूप से रावण दहन किया जाएगा। दशहरा मैदान पर होने वाले रावण दहन में इस बार भी लोगों का आना प्रतिबंधित रहेगा। दशहरा उत्सव समिति इस बार केवल 25 फीट ऊंचा ही रावण बनाएगी। जबकि हर बार सौ फीट अधिक ऊंचा रावण बनाया जाता है।

दशहरा उत्सव समिति के सचिव मनीष शर्मा ने बताया कि इस बार भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रतीकात्मक रूप से रावण दहन किया जाएगा। पिछले साल की तरह इस बार भी आतिशबाजी होगी लेकिन यह केवल सांकेतिक होगी। 14 अक्टूबर को शहरवासियों के लिए लिंक जारी कर दी जाएगी। जिस पर क्लिक करते ही लाइव रावण दहन देखा जा सकेगा। लोगों को समय भी बता दिया जाएगा।

हर साल की तरह परंपरा का निर्वाह प्रतीकात्मक रूप से किया जाएगा। भगवान महाकाल की सवारी के पीछे भगवान राम-लक्ष्मण की सवारी भी निकाली जाएगी। कलेक्टर राम-लक्ष्मण की पूजा करेंगे। इसके बाद रावण दहन किया जाएगा। इस बार भी मंच नहीं लगाया जाएगा। आतिशबाजी होगी लेकिन सांकेतिक। हर साल की तरह ग्वालियर और देवास के आतिशबाजी बनाने वाले कलाकारों की बीच प्रतिस्पर्धा नहीं होगी।

बाजार में भी उपलब्ध हैं रावण के पुतले

इस बार शहर के प्रमुख दशहरा मैदान में रावण दहन प्रतिकात्मक रूप से होने के चलते बाजार में रेडीमेड रावण के पुतलों की भारी डिमांड है। बच्चों के लिए सौ से 21 सौ रुपए तक के रावण के पुतले बाजार में उपलब्ध हैं। बच्चे 3 फीट से 20 फीट ऊंचे रावण मिल रहे हैं। कुछ कलाकार इनकी बुकिंग करके भी रावण तैयार कर रहे हैं। हालांकि 3 से 5 फीट ऊंचे रावण की सबसे ज्यादा डिमांड है। नई सडक़ पर कई प्रकार के रावण खरीदने वाले बच्चे ज्यादा आ रहे हैं। साढ़े तीन फीट के रावण के पुतले की कीमत 350 रुपए है। यहां दूसरा पुतला साढ़े पांच फीट का है। जिसकी कीमत 1000 रुपए का है। दुकान संचालक मोहित ने बताया कि लोग मोल-भाव करते हैं। इसलिए कीमत कम ज्यादा हो जाती है। हमने अभी 150 रावण के पुतले तैयार किए हैं। उम्मीद है कि सभी बिक जाएंगे। अब तक 15 रावण के पुतलों की बुकिंग हो चुकी है।

10 से 15 दिन में तैयार होता है पुतला

रावण के पुतले बनाने में करीब 10 से 15 दिन का समय लग जाता है। पुतले को बनाने के लिए में लकड़ी और पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। उस पर रंग रोगन और तमाम सजाने में काफी वक्त जाता है। लकड़ी पर कागज को चिपकाने के लिए आटे की लई का इस्तेमाल किया जाता है।

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