नगर पूजा: महालया और महामाया देवी को लगाया शराब भोग, बिना धार टूटे 27 किमी तक सडक़ पर डाली गई मदिरा

Navratri madira dhaar

उज्जैन, अग्निपथ। दुर्गा अष्टमी पर कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने 24 खंभा स्थित महालया और महामाया देवी को मदिरा का भोग लगाया। पूजा और आरती के बाद कलेक्टर ने शराब की हांडी लेकर शहर में शराब की धार चढ़ाने की शुरुआत की। दुर्गाष्टमी पर शहर में 27 किलोमीटर में शराब की धार लगाई जाती है। इस दौरान शराब की धार नहीं टूटती है।

मान्यता है कि यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे। उनका मानना था कि ऐसा करने से शहर में महामारी नहीं होगी। इसी परम्परा का निर्वाह सालों से कलेक्टर कर रहे हैं। यहां माता को भोग लगाने के बाद शहर में 27 किमी के बीच आने वाले 40 से अधिक मंदिरों के सामने सडक़ पर शराब की धार लगाई जाती है। यह परम्परा साल में दो बार शारदीय और चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर निभाई जाती है।

शराब की धार लगाने के लिए एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है। इस कारण पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है, जो टूटती नहीं है। घड़े में लगातार शराब डालते रहते हैं।

यह है देवियों का इतिहास और महत्व

उज्जैन में कई जगह प्राचीन देवी मंदिर हैं। जहां नवरात्रि में पाठ-पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि में यहां काफी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इन्हीं में से एक है चौबीस खंबा माता मंदिर। कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में प्रवेश करने और वहां से बाहर की ओर जाने का मार्ग चौबीस खंबों से बनाया गया था। इस द्वार के दोनों किनारों पर देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाएं स्थापित हैं। सम्राट विक्रमादित्य ही इन देवियों की आराधना किया करते थे। उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर यहां शासकीय पूजन किए जाने की परम्परा चली आ रही है।

शाम तक चलती है यात्रा

सुबह से प्रारंभ होकर यह यात्रा शाम तक खत्म होती है। इस यात्रा में शुरुआत में एसपी और कलेक्टर शामिल होते हैं। शहर भर से लोग यात्रा में आते हैं। यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध चौबीस खंबा माता मंदिर से प्रारंभ होकर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होगी। इस दौरान प्रसाद में शराब परोसी जाती है।

बीमारियों से रक्षा करती हैं देवियां

प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में 40 चौकीदार, पटवारी, तहसीलदार, आरआई आदि नगर मे 40 मंदिरों पर 27 किलोमीटर की यात्रा पर निकले। चौबीस खंभा से शुरू हुआ नगर पूजन का सिलसिला हांडीफोड भैरव अंकपात मार्ग पर समाप्त हुआ। चौबीस खंबा माता मन्दिर पर नगर रक्षा के लिए चौबीस खंबे लगे हुए हैं, इसलिए इसे चौबीस खंबा द्वार कहते हैं। यहां महाअष्टमी पर शासकीय पूजा तथा इसके पश्चात पैदल नगर पूजा इसीलिए की जाती है ताकि देवी मां बीमारियों के प्रकोप से नगर की रक्षा कर सके। इस द्वार पर विराजित दोनों देवियों को नगर की रक्षा करने वाली देवी कहा जाता है। नवरात्रि पर महाअष्टमी और महानवमी पर यहां श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं।

हरसिद्धि मंदिर में कलेक्टर ने की शासकीय पूजा

दोपहर करीब 12 बजे कलेक्टर आशीष सिंह ने पत्नी सहित हरसिद्धि मंदिर के गर्भ गृह से शासकीय पूजा की। पुजारी रजत गुरु ने पूजन संपन्न करवाई और दोनों का सम्मान किया। अष्टमी की रात 8 बजे पुजारी परिवार द्वारा यज्ञ की शुरुआत कर उसमें आहुतियां डालकर माता से नगर रक्षा की कामना की गई।

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