दिन में तीन रूपों में दर्शन देती हैं रसूलाबाद टेकरी पर विराजित भवानी माता

बडऩगर, अग्निपथ। नवरात्रि में माता भक्त क्षेत्र के माता मंदिरों में दर्शनार्थ पहुंच रहे है। क्षेत्र में वैसे तो कई माता मंदिर है किन्तु प्रमुख रूप से तीन माता मंदिरों के नाम जुबान पर आते है उसमें नगर में स्थित माता कालका, गजनीखेडी स्थित माता चामुंडा एवं खरसौद खुर्द (रसुलाबाद) टेकरी स्थित अति प्राचीन भवानी माता का मंदिर है। इनमें रसूलाबाद टेकरी स्थित भवानी माता मंदिर पूर्वाभिमुख होकर ऐतिहासिक महत्व का है।

ग्राम के वृद्धजन अनुसार माता स्वयं यहाँ प्रकट हुई थी। वहीं माता भवानी दिन में तीन पहर में तीन रूप बदलती है। सुबह कन्या, दोपहर में यौवन तथा शाम कों वृद्ध रूप में दर्शन देती हैं। मंदिर कें गर्भगृह में माता की प्रतिमा कें दाहिनी और भगवान शंकर, भगवान गणेश और हनुमान जी विराजीत है। वहीं टेकरी पर ही भेरूजी परिसर पर पर विराजमान है।

रियासत काल में दी जाती थी पशु की बली

सिंधिया रियासत काल में खरसौद खुर्द सहस्त्र औदिच्य ब्राह्मणों (पण्डया) का ठिकाना था। जिन्हे ग्वालियर महाराज द्वारा जागीरदार की उपाधी देकर सात ग्राम ठिकानें की जागीर मे सौपे गए थें। जिसके अर्न्तगत टेकरी पर ठाकुर साहब द्वारा गढ़ से लाव लश्कर और डंके निशान कें साथ दोनों नवरात्री में माता के दरबार में पहुंच कर पूजन अर्चन करते और दशहरें के दिन पशुबलि दी जाती थी। किन्तु आजादी के बाद तात्कालीन सरपंच ठाकुर चम्पालाल भाईजी द्वारा जनजागृति फैलाकर भूरे कददु की बली देने की प्रथा शुरू की गई।

मंदिर का जिर्णोद्धार

सहस्त्र औदिच्य ब्राहम्ण पण्डया ठिकानें के रावजी वडवाजी घनश्यामसिंह निवासी हिंगोनिया तहसील केकडी जिला अजमेर राजस्थान नें अपनी पौथी में बताया की माता के मंदिर का जिर्णोध्दार तात्कालीन ठाकुर बलवन्तसिंह पण्डया ने सन 1869 में कराया था। जिसके बाद माता भक्तों नें टेकरी पर चढऩें के लिए 111 सीढ़ीयों का निर्माण सन 1999 मे करवाया।

नवरात्र में मा के दर्शन को आता है शेर

किवंदती है कि माता के दर्शनार्थ शेर आता है। इस बारे में पुजारी विष्णुपुरी, मोहनपुरी और कालुपुरी, संजयपुरी गोस्वामी नें बताया की दोनों नवरात्र में रात्री काल में माता के दर्शन कों एक ज्योत व शेर आता है। ज्योत तो दिखाई देती है किंतु शेर दिखता नहीं है। उसकी दहाड़ साफ सुनाई देती है।

शिव जलाधारी जैसा स्वरूप – होते है आयोजन

टेकरी का स्वरूप भगवान की शिव जलाधारी के समान है। जो वास्तु शास्त्र के हिसाब सें महत्वपुर्ण है। जलाधारी के बिच में जिस जगह ज्योर्तिलिंग विराजीत होती है। उसी तरह टेकरी के बिचो बिच माता का मंदिर स्थित है। चैत्र नवरात्र में शतचंडी महायज्ञ एवं विशाल भंडारे का आयोजन होता है। वहीं शारदीय नवरात्र में माता के अनुष्ठान भक्तों द्वरा किए जाते है। माता के दरबार मे जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ मन्नत करता है उसकी मनोकामना माता पूरी करती है।

पक्का पहुच मार्ग नहीं है

माता मंदिर पर पहुंचने के लिए कच्चा व उबड़ खाबड़ मार्ग है जिससे भक्तो को दर्शन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वही बारिश के समय मे तो पूरा रास्ता ही कीचड़ युक्त हो जाता है जिससे पैदल चलने में भी कठिनाई होती है। फिर भी माता भक्त कठीन राह से गुजर कर भी दर्शनार्थ पहुंचते है। यदि शासन प्रशासन के नुमाइंदो की नजरें इस और पड़ जाऐ तो मार्ग सुगम हो सकता है। माता टेकरी पर राजस्व विभाग का आल इंडिया भूमि सर्वे पाइंट है। जहा सें भूमि बंदोबस्त के दौरान चारों दिशाऔं में भूमि का सीमांकन प्रारंभ किया जाता है।

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