सेना के दिवंगत जवान लोकेश को पैतृक गांव में हजारों ने दी अंतिम बिदाई

Army man shavyatra 03122021

मौत का कारण नहीं बताने और शहीद का दर्जा न देने से आहत ग्रामीणों ने दिया धरना

जावरा, अग्निपथ। जिस बेटे को बस कुछ ही माह पहले ढोल बजाते हुए तिलक लगाकर यह कहते हुए विदाई दी थी कि जल्द आना…उसका शव जब गांव आया तो मां, पिता, बहनें, भाई समझ तक नहीं पा रहे थे कि क्या हो गया। हजारों की भीड़ वीर के शव को लाने वाले वाहन के पीछे-पीछे भारत माता के जयकारों के साथ चलकर पहुंची। पूरे गांव में 21 वर्षीय बेटे के असमय दुनिया से चले जाने पर शोक छा गया।

Army Man Lokesh Kumawat
लोकेश कुमावत

मणिपुर के इंफाल में सेना की ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए लोकेश कुमावत का अंतिम संस्कार पैतृक गांव मावता में किया गया। लोकेश की मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं होने और शहीद का दर्जा नहीं दिए जाने को लेकर ग्रामीणों और परिजनों ने शव यात्रा को घर पर ही रोका गया था। सेना और स्थानीय अधिकारियों की समझाइश के बाद परिजन अंतिम संस्कार करने को राजी हुए।

दरअसल बुधवार को लोकेश के परिजनों को उसकी मृत्यु की सूचना दी गई थी। लेकिन लोकेश के दिवंगत होने का कारण स्पष्ट नहीं हो सका था। वहीं, गुरुवार को अंतिम संस्कार के दौरान भी सेना के प्रोटोकॉल अनुसार जवान को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। हालांकि सेना के जवान लोकेश कुमावत को अंतिम विदाई देने बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा। सैनिक के परिजनों की मांग है कि लोकेश को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए।

हजारों की भीड़ उमड़ी

गांव में जब लोकेश का शव ले जाया गया तो परिवार के लोग रो-रो कर अपने बेटे से आने की बात कहने को दोहराते रहे। इस दौरान मावता के साथ ही आसपास के कई गांव के हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। पूरे गांव में अंतिम यात्रा निकाली गई। अंतिम संस्कार गांव के मुक्तिधाम पर किया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कई गणमान्य लोगों द्वारा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया संस्थानों पर लोकेश कुमावत को श्रद्धांजलि दी गई।

कारण नहीं बताने पर नाराज लोग बैठे धरने पर

अंतिम संस्कार के दौरान मावता में सैकड़ों लोग धरने पर भी बैठे।
परिजन की शिकायत थी कि उन्हें लोकेश कुमावत की मौत का कारण नहीं बताया गया। परिवार और ग्रामीणों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि दिवंगत को शहीद का दर्जा भी आधिकारिक रूप से नहीं दिया गया और न ही सेना या जिला प्रशासन के किसी अधिकारी ने गांव आकर परिवार से मुलाकात करके उन्हें कारण बताया गया। करीब एक से डेढ़ घंटे तक लोग धरने पर बैठे रहे।

इसके बाद जिला प्रशासन ने उनकी रेजीमेंट की महू यूनिट से संपर्क साधा और फिर परिवार की भी उनसे बात करवाई। इसके बाद धरना समाप्त किया गया। सीएम, पूर्व सीएम राज्यपाल ने ट्वीट कर व हजारों लोगों ने शहीद के गाँव पहुंच कर श्रद्धांजलि दी लेकिऩ शहीद के गाँव ना तो विधायक पहुँचा ना सांसद जिस से ग्रामीण काफ़ी नाराज़ हुए।

यह था मामला

रतलाम जिले के मावता गांव के 22 वर्षीय लोकेश कुमावत के गोली लगने से शहीद होने की खबर बुधवार को परिजनों को मिली थी। जिसके बाद सेना के वाहन से शहीद जवान लोकेश कुमावत का पार्थिव देह पैतृक गांव शुक्रवार को लाया गया था। लेकिन लोकेश का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं किए जाने की जानकारी मिलने पर परिजन और ग्रामीण नाराज हो गए। लोकेश को शहीद का दर्जा देने और मृत्यु के वास्तविक कारण को स्पष्ट करने की भी मांग करने लगे जिसके बाद में सेना और स्थानीय अधिकारियों की समझाइश के बाद परिजन और ग्रामीण लोकेश के अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए।

जिसके बाद लोकेश को वहां मौजूद जनसैलाब द्वारा अंतिम विदाई दी गई। बहरहाल शहीद हुए लोकेश कुमावत के शव को लेकर पहुंचे सेना के अधिकारियों ने मामला पुलिस इन्वेस्टिगेशन में होने की जानकारी शहीद के परिजनों को दी है। इसके बाद लोकेश के शहीद होने के कारण पर संशय बना हुआ है।

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