संविधान के साथ खिलवाड़ कर नियमों का उल्लंघन कर कराए जा रहे पंचायत चुनाव: कांग्रेस

झाबुआ, अग्निपथ। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा को संविधान के साथ खिलवाड़ व नियमों का उल्लंघन करने पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता व संभागीय कांग्रेस प्रवक्ता साबिर फिटवेल ने बताया कि भाजपा सरकार 2014 में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य सरपंच पंच के आरक्षण के आधार पर चुनाव करा रही है। 2019 में हुए आरक्षण परिसीमन को समाप्त कर दिया गया है जो न्याय संगत नहीं है। काग्रेस नेताओं ने कहा कि पंचायती राज अधिनियम 1993 में सरपंच पद के लिए रोटेशन पद्धति का पालन करते हुए आरक्षण की व्यवस्था है।

इस व्यवस्था के अंतर्गत अधिनियम लागू होने से अभी तक लगभग 5 बार पंचायती राज के चुनाव हो चुके हैं जिसमें हर बार रोस्टर का पालन करते हुए रोटेशन पद्धति से आरक्षण किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के एक आदेश अनुसार वर्ष 2019 में ग्राम पंचायतों जिला पंचायत जनपद पंचायत सदस्यों के लिए नई परिसीमन व्यवस्था अपनाई गई थी जो संविधान के अनुरूप नियमानुसार थी परंतु भाजपा की सरकार ने 2014-15 के आरक्षण को आधार मानते हुए चुनाव का ऐलान कर रही है परंतु भाजपा सरकार ने वर्ष 2019 के परिसीमन को समाप्त कर वर्ष 2014 के परिसीमन को को यथावत मानकर पंचायत चुनाव का एलान कर दिया है जो पंचायत राज अधिनियम का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है।

वही पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत रोस्टर का पालन करते हुए रोटेशन के तहत आरक्षण से ही चुनाव कराए जाने का नियम है। साथ ही जिन स्थानों में 2014 में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित किए गए थे वर्ष 2021-22 में वही स्थान महिलाओं के लिए ही आरक्षित कर देना एवं पूर्व में पुरुषों के लिए आरक्षित स्थान को पुन: पुरुषों के लिए आरक्षित कर देना।

महिला आरक्षण के भी खिलाफ है। प्रदेश सरकार के मंत्री भी लगातार सोशल मीडिया में इस बात का बार-बार उल्लेख कर रहे हैं कि आगामी समय में मध्यप्रदेश में होने वाले पंचायती राज के चुनाव वर्ष 2014-15 के आरक्षण से होंगे

उन्होंने कहा कि मंत्रियों को इस प्रकार के बयान से संपूर्ण प्रदेश में होने वाले पंचायती चुनाव में भ्रम की स्थिति फैली हुई है। कांग्रेस ने कहा है कि पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 पंचायती राज अधिनियम 1995 के तहत पंचायत चुनाव वर्ष 2021-22 में नया आरक्षण कराया जाए क्योंकि 2014 में हुए आरक्षण के आधार पर अगर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होते हैं तो यह संविधान के साथ खिलवाड़ होने के साथ असंवैधानिक है जिसका काग्रेस पूर जोर से विरोध करती है।

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