बेटी को मशहूर बनाने के लिए उसकी मौत के बाद साईकिल से बेचना शुरू किया था वाशिंग पाउडर

आज अरबों रुपए की कंपनी खड़ी है, जाने निरमा की कहानी

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इस विज्ञापन में वाशिंग पाउडर के पैकेट पर एक लड़की सफेद फ्रॉक पहने नजर आती है। समय के साथ T.V विज्ञापन में अलग-अलग कैरेक्‍टर्स भी आए, लेकिन पैकेट पर ऊपर बनी यह बच्‍ची तब से अब तक एक ही है। ऐसे में यह दिलचस्‍पी बढ़ जाती है कि आख‍िर यह बच्‍ची कौन है?

वाशिंग पाउडर के पैकेट पर छपी लड़की गुजरात के रसायनज्ञ रहे करसनभाई पटेल की बेटी थी। जिसका नाम निरुपमा था लेकिन प्यार से सभी उसे निरमा बुलाते थे। जब निरुपमा स्कूल में पढ़ रही थी तभी एक दिन एक हादसे में उसकी मौत हो गई।

करसनभाई पटेल और उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा पिता होने के नाते करसनभाई की एक ख्वाहिश थी कि एक दिन उनकी बेटी दुनिया में खूब नाम कमाएं अपने जिगर के टुकड़े को खो देने का दुःख करसनभाई को अंदर तक तोड़ चुका था लेकिन फिर उन्होंने वहीं से हिम्मत भी पाई उन्होंने तय किया कि वह निरमा को अमर कर देंगे।

बेटी को इस तरह दुनिया में किया मशहूर

बेटी निरमा को अमर बना देने के जुनून में रसायन‌ज्ञ करसनभाई ने उसके नाम पर कपड़े धोने का पावडर ( Detergent powder) बनाया और उसे बाजार में लांच किया। वर्ष 1969 में जब निरमा डिटर्जेंट पाउडर मार्केट में आया तब बाजार में उपलब्ध अंडर डिटर्जेंट पाउडर ₹13 से 15 रुपए किलो मिला करते थे। करसन भाई है अपना निरमा डिटर्जेंट 3.50 रुपए किलो में बेचना शुरू किया। शुरुआत उन्होंने साइकिल से घर घर जाकर डिटर्जेंट बेचा, और फिर धीरे धीरे गुणवत्ता अच्छी होने के कारण कम कीमत की वजह से निरमा वाशिंग पाउडर में बाजार में अपनी जगह बना ली। शुरुआत से ही वाशिंग पाउडर की थैली पर करसन भाई ने सफेद साफ पहने बेटी निरमा का फोटो लगवाया जो निरमा पाउडर का चेहरा बन गया।

करसनभाई पटेल ने अनुभव किया कि वाशिंग पाउडर में व्यापार के लिए अच्छा विकल्प है, क्योंकि भारत में ज्यादातर वाशिंग पाउडर विदेशी बाजार के थे जो बहुत महंगे थे। 1969 में उन्होंने अपने घर के पीछे अपनी बेटी के नाम से निरमा कंपनी की शुरुआत की। करसनभाई पटेल ने शुरुआत में साइकिल पर वाशिंग पाउडर को बेचना शुरू किया‌‌। करसन भाई पटेल अपनी जॉब से लौटते समय अपने साइकिल से घर-घर जाकर अपना बनाया हुआ वाशिंग पाउडर पैकेट में करके बेचा करते थे‌।

शुरुआत में करसनभाई पटेल ने वाशिंग पाउडर की कीमत ₹3 प्रति किलोग्राम रखी उस समय अन्य वाशिंग पाउडर की कीमत ₹30 प्रति किलोग्राम थी। करसनभाई पटेल को रसायन का अच्छा ज्ञान होने के कारण लोग इस सस्ते और अच्छे निरमा वाशिंग पाउडर को ही खरीदने की इच्छा रखने लगे धीरे-धीरे निरमा पाउडर भारत के टॉप ब्रांड में आ गया।

.’..सबकी पसंद निरमा’

करसन पटेल के लिए अब नई चुनौती ये थी कि वह कैसे अपने सर्फ को पूरे देश तक पहुंचाएं. ऐसे में उन्होंने विज्ञापन और असरदार जिंगल का सहारा लिया. उनके निरमा ब्रांड को देश भर में प्रसिद्धि दिलाने में ‘सबकी पसंद निरमा’ जैसे टेलीविजन विज्ञापन का बहुत बड़ा हाथ रहा. इस विज्ञापन के बाद निरमा खरीदने के लिए स्थानीय बाजारों में ग्राहकों की भीड़ लगने लगी.

ये एक अलग तरह का खेल था, मांग के हिसाब से जहां करसन पटेल को अपने प्रोडक्ट की सप्लाई मार्केट में बढ़ानी चाहिए थी, वहीं उन्होंने चालाकी दिखाते हुए 90% स्टॉक वापस ले लिए.

एक महीने तक ग्राहक केवल निरमा को टीवी विज्ञापन में ही देख पाए क्योंकि जब वह बाजार से इसे खरीदने जाते तो उन्हें कहीं भी ये ना मिलता. बाद में खुदरा विक्रेताओं ने जब आपूर्ति के लिए करसन भाई से अनुरोध किया तब जा कर एक महीने बाद बाज़ार में निरमा आया. इस देरी से करसन पटेल को को यह फायदा हुआ कि सर्फ की मांग बढ़ने के कारण बाजार में आते ही निरमा ने बड़े अंतर से सर्फ के अन्य ब्रांड्स को पीछे छोड़ दिया. उस साल निरमा भारत में सबसे अधिक बिकने वाला वाशिंग पाउडर था. यह इतना कामयाब हुआ कि अगले एक दशक तक इसने किसी अन्य ब्रैन्ड को अपने आसपास भी नहीं भटकने दिया.

किसान परिवार में हुआ था जन्म

करसनभाई पटेल का जन्म 13 अप्रैल 1944 को गुजरात के मेहसाणा शहर के एक किसान परिवार में हुआ था. करसन पटेल के पिता खोड़ी दास पटेल एक बेहद साधारण इंसान थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे करसन को अच्छी शिक्षा दी. करसनभाई पटेल ने अपनी शुरुआती शिक्षा मेहसाणा के ही एक स्थानीय स्कूल से पूरी की. 21 साल की उम्र में इन्होंने रसायन शास्त्र में बी.एस.सी की पढ़ाई पूरी की. वैसे तो अधिकतर गुजरातियों की तरह करसन भी नौकरी ना कर के खुद का व्यवसाय करना चाहते थे लेकिन घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खुद के दम पर कोई नया काम शुरू कर सकें. यही वजह रही कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्रयोगशाला में सहायक यानी लैब असिस्टेंट की नौकरी कर ली. कुछ समय तक लैब में नौकरी करने के बाद उन्हें गुजरात सरकार के खनन और भूविज्ञान विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई.

निरमा युनिवर्सिटी की स्थापना

1995 में करसन पटेल ने निरमा को एक अलग पहचान तब दी जब उन्होंने अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की. इसके बाद 2003 में उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना भी की.

फोर्ब्स ने यह जानकारी दी थी कि एक साल में निरमा पाउडर की सेल आठ लाख टन है. 2005 में फोर्ब्स के अनुसार करसन पटेल की कुल संपत्ति 640 मिलियन डॉलर थी जो जल्द ही 1000 मिलियन डॉलर को छूने वाली थी. वहीं फोर्ब्स के अनुसार करसन पटेल की संपत्ति आज की तारीख में 4.1 बिलियन है. अपने घर से सर्फ कंपनी की शुरुआत करने वाले करसन भाई पटेल आज दुनिया के बिलिनीयर्स की सूची में 775वें तथा भारत के सबसे धनी लोगों की सूची में 39वें स्थान पर हैं. इन सब में सबसे बड़ी कामयाबी इनके लिए ये है कि इन्होंने अपनी बेटी के नाम को दुनिया भर में प्रसिद्ध कर दिया. आज निरमा को हर कोई जानता है.

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