‘आप’ का झंडा बुलंद, काँग्रेस-बसपा की मिट्टी पलीत

Kejariwa yogi modi

भारतीय जनता पार्टी को नुकसान, फिर भी चार राज्यों में सत्ता में वापसी

पाँच राज्यों उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा में हुए विधानसभा चुनावों के अधिकृत परिणाम घोषित हो गये हैं। खबरनवीसों के पूर्वानुमान अनुसार ही उत्तरप्रदेश में योगी की वापसी, पंजाब में आम आदमी पार्टी, उत्तरांचल, मणिपुर और गोवा में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। पंजाब को छोडक़र बाकी प्रदेशों में पूर्व में भी भाजपा की ही सरकारें थी।

यदि एग्जिट पोल की बात करें तो पंजाब में आम आदमी पार्टी की तीन-चौथाई (92) बहुमत से हुई जीत ने राजनैतिक पंडितों और भविष्यवत्ताओं के होश फाख्ता कर दिये हैं। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी ‘आप’ की ‘झाडू’ काँग्रेस सहित सभी राजनैतिक दलों का सूपड़ा साफ कर देगी।

पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब को अपनी जागीर समझने वाले कैप्टन अरमिन्दर सिंह का राजनैतिक अवसान इस तरह होगा यह कल्पना से परे है। मुख्यमंत्री चन्नी का दोनों सीटों से हारना, पंजाब काँग्रेसाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की करारी हार चौकाने वाली रही। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की साफगोई और उनकी कार्यशैली शनै:शनै: ही सही परंतु भारतीय मतदाता के दिलो दिमाग में जगह बना रही है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

शायद आम हिंदुस्तानी भी भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के रूप में काँग्रेस को छोडक़र आम आदमी पार्टी पर अपना विश्वास व्यक्त करता हुआ नजर आ रहा है। इन चुनाव परिणामों से सबसे ज्यादा किरकिरी 137 वर्ष बूढ़ी और जर्जर हो चुकी काँग्रेस की हुयी जो सन् 2017 के चुनाव में जहाँ 72 सीटों पर जीती थी वह मात्र 18 सीटों पर ही सिमट गयी। काँग्रेस की आत्मा को अब अपना चोला बदलने की नितांत आवश्यकता है।

भारतीय जनता पार्टी के लिये भी पंजाब के चुनाव परिणाम निराशाजनक ही रहे। प्रधानमंत्री मोदी सहित सारी ताकत झोंकने के बाद भी वह मात्र 2 सीटों पर ही सिमट गयी है जो भाजपा के प्रति किसानों की नाराजगी पर मोहर लगाता है।

बात करें देश की सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाले राज्य उत्तरप्रदेश की तो वहाँ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने सत्ता में वापसी जरूर की है परंतु भारतीय जनता पार्टी को जहाँ 2017 के विधानसभा चुनाव में 312 सीटें मिली थी वह घटकर 268 ही रह गयी अर्थात भाजपा को इन चुनावों में 44 सीटों से हाथ धोना पड़ा है।

काशी का विकास, अयोध्या का राम मंदिर निर्माण भी भाजपा को वह चमत्कारी जीत नहीं दिलवा पाया जिसकी वह उम्मीद करके बैठी थी। समाजवादी पार्टी के युवराज अखिलेश ने कड़ा मुकाबला देते हुए 2017 की 47 सीटों में इजाफा करके 2022 में उसे 128 तक पहुँचा दिया यह समाजवादी पार्टी की बहुत बड़ी उपलब्धि ही मानी जायेगी और सत्तारुढ़ भाजपा के लिये चिंता का विषय भी।

मोदी जी और योगी जी अपने पूरे संसाधन झोंकने के बाद भी पार्टी को 300 के पार नहीं ले जा पाये। उत्तरप्रदेश चुनाव में सबसे ज्यादा मिट्टी पलीत हुयी है तो वह काँग्रेस और बहुजन समाज पार्टी की जिन्हें उत्तरप्रदेश के मतदाताओं ने पूरी तरह से नकार दिया है। काँग्रेस भी प्रियंका के रूप में अपने ‘तुरुप के इक्के’ का इस्तेमाल कर चुकी है जो पूरी तरह फेल रहा।

गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव परिणाम जरुर भाजपा के लिये राहत देने वाले हो सकते हैं। 2017 के चुनाव में उसे मिली 13 सीटों में 7 का ईजाफा होकर वह 20 हो गयी है और काँग्रेस की 17 से घटकर 11 रह गयी है। यहाँ भाजपा की सत्ता में वापसी तय है।

उत्तराखंड की 70 सीटों के चुनाव परिणामों में भी भाजपा को नुकसान ही हुआ है भाजपा के मुख्यमंत्री रहे पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गये हैं 2017 के मुकाबले उसकी सीटों की संख्या 57 से घटकर 47 ही रह गयी है वहाँ काँग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया 11 सीटों को बढ़ाकर 19 कर लिया जो उसके लिये राहत की बात है।

मणिपुर की 60 सीटों के चुनाव परिणामों से भाजपा जरूर खुश हो सकती है क्योंकि उसने 2017 की 21 सीटों के मुकाबले 31 सीटों पर जीत दर्ज की है वहीं काँग्रेस 28 से घटकर मात्र 5 पर आ गयी है।

कुल मिलाकर पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम काँग्रेस के लिये सबसे अधिक निराशाजनक रहे क्योंकि उसे पंजाब राज्य की सत्ता से बाहर होना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी को भी अधिक आत्ममुग्ध होने की जरूरत नहीं है उसे भी फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है और ‘आप’ पार्टी उससे कड़ा मुकाबला करने को तैयार होते नजर आ रही है।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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