गेहूं के समर्थन मूल्य से ज्यादा बाजार के दाम

उज्जैन, अग्निपथ। राज्य सरकार ने 25 मार्च से समर्थन मूल्य पर गेंहू खरीदी शुरू करने की तैयारी की है। गेंहू खरीदी के लिए उज्जैन से भोपाल तक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तोल केंद्र बना दिए गए है, प्रभारियों की नियुक्ति हो चुकी है। इस पूरी कवायद के बाद भी इस बात की पूरी संभावना है कि इस साल गेंहू खरीदी के मामले में सरकार के हाथ खाली ही रहने वाले है।

वजह है- बाजार में गेंहू का भाव तेज होना। कृषि उपज मंडी में फिलहाल खराब से खराब क्वालिटी वाले गेंहू के दाम भी 2250 रूपए प्रति क्विंटल है, जबकि समर्थन मूल्य का भाव 2025 रूपए है, उसमें भी गेंहू को कई तरह के क्वालिटी चेक से गुजरना पड़ता है। जाहिर है बाजार में अच्छी मांग और अच्छे दाम मिलते रहने से उत्साहित किसान समर्थन मूल्य पर अपना गेंहू सरकार को नहीं बेचेंगे।

कृषि उपज मंडी में पिछले 20 दिनों से नए गेंहू की अच्छी आवक बनी हुई है। नए सीजन में अब तक करीब सवा लाख क्विंटल गेंहू की आवक हो चुकी है। शुक्रवार को कृषि उपज मंडी में 16 हजार क्विंटल गेंहू की आवक रही। शुक्रवार को गेंहू के दाम 2250 रूपए प्रति क्विंटल से 2650 रूपए प्रति क्विंटल तय किए गए।

पिछले साल पूरे सीजन में गेंहू के दाम 1950 से 2250 रूपए प्रति क्विंटल तक थे। इस साल 300 से 400 रूपए प्रति क्विंटल तक दाम में तेजी है।

युद्ध ने कराया किसानों का फायदा

गेंहू के दाम में तेजी की वजह व्यापारी रूस और यूक्रेन युद्ध को मान रहे है। दुनिया में 40 प्रतिशत तक गेंहू का निर्यात रूस और युक्रेन द्वारा किया जाता है। दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह से यह सप्लाय बंद पड़ी है। रूस और युक्रेन से जो आपूर्ति प्रभावित हुई, उसकी पूर्ति अब भारत, कनाडा और मैक्सिको जैसे गेंहू उत्पादक देशों से हो रही है।

विश्व बाजार में भारत के गेंहू की अच्छी डिमांड होने की वजह से भाव में उछाल है। इसका सीधा फायदा गेंहू उत्पादक किसानों को मिल रहा है।

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