अर्जुन के बाण: हिमाचल-गुजरात और दिल्ली नगर निगम चुनाव परिणामों ने दिया राजनैतिक दलों को संदेश

भारत के परिपक्कव हो चुके 75 वर्षीय लोकतंत्र के जागरूक भारतीय मतदाताओं ने देश के राजनैतिक दलों को ऐसी चोट दी है कि ना उनसे रोते बन रहा है ना ही हँसते। देश के दो प्रमुख राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी एवं काँग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी को ऐसा घाव दिया है कि शर्म के मारे वह जग-जाहिर भी नहीं कर पा रहे हैं। तीनों ही दल पूरे देश के सामने नकली खुशी का ईजहार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

हाँ मैं बात कर रहा हूँ बीते दिनों आये हिमाचल प्रदेश और गुजरात के अलावा दिल्ली महानगर पालिका के हुए चुनावों के परिणामों की। सबसे पहले बात करते हैं हम तिलस्मी व्यक्तित्व के धनी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की जिन्होंने गुजरात के विधानसभा चुनावों को गुजरातियों की अस्मिता से जोडक़र प्रचंड जीत हासिल की। भारतीय जनता पार्टी ने मोदी जी के नेतृत्व में चुनाव लडक़र इन चुनावों को गुजराती बनाम विरोधी दल बनाने में सफलता अर्जित की जिसका परिणाम यह हुआ कि विरोधी पार्टियां काँग्रेस और आम आदमी पार्टी भाजपा प्रचार के तूफान में पत्तों की तरह उड़ गयी।

जो काँग्रेस पार्टी 2017 के चुनाव में 77 सीटों पर अपना परचम फहराने में सफल हुयी थी वह मात्र 17 सीटों पर ही सिमट गयी। शर्मनाक बात तो यह रही कि विधानसभा में विपक्ष के नेता पद प्राप्त करने लायक भी नहीं रही। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सफलता के पिछले सारे रिकार्ड ध्वस्त करते हुए विधानसभा की 155 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की। मोदी की लोकप्रियता की लहर में ऐसा माहौल हो गया था कि ‘बेजान’ भी कमल चुनाव चिन्ह पर जीत गये।

गुजरात में सत्ता में आने का दम ठोक रही आम आदमी पार्टी अपने मुख्यमंत्री के चेहरे को भी जीत नहीं दिलवा सकी। उसे मात्र 5 सीटों पर ही सफलता मिली इतना जरूर है कि वह गुजरात विधानसभा की 17 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही और चुनावों में डले कुल वैध मतों में से लगभग 14 प्रतिशत मत पाने में सफल रही। इन परिणामों के फलस्वरूप उसे राष्ट्रीय राजनैतिक दल का दर्जा प्राप्त हो गया। खैर गुजरात विधानसभा के चुनाव परिणाम में भाजपा अपने कुशल प्रबंधन के कारण मोदी जी की लोकप्रियता का लाभ उठाने में सफल रही।

कांग्रेस मुक्त भारत के नारे की हिमाचल में निकली हवा

अब बात करते हैं देवभूमि हिमाचल के चुनाव परिणामों की हिमाचल में भी भारतीय मतदाता ही है वहाँ भी मोदी जी ने खूब मेहनत की बीते 5 सालों के प्रशासन और भविष्य की बहुत सारी विकास योजनाओं का भी सब्जबाग दिखाया गया परंतु हिमाचल में मोदी जी का जादू नहीं चल पाया। काँग्रेस मुक्त भारत के नारे की देवभूमि के मतदाताओं ने हवा निकाल दी और पूरे देश को यह संदेश दे दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भी स्थिति में देश के सर्वमान्य नेता नहीं है।

हिमाचल में प्रियंका गाँधी का जादू चला। मतदाताओं ने काँग्रेस पार्टी को 40 सीटों पर विजय दिलाकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को 26 सीटों पर ही समेट दिया। गुजरात की विजय के जश्न में डूबने का उपक्रम कर रही भाजपा हिमाचल प्रदेश में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की विधानसभा तो ठीक नड्डा जी के गृह वार्ड और बूथ से भी जीत नहीं सकी।

हिमाचल के मतदाताओं ने भाजपा की गुजरात विजय की खुशी को आधा कर दिया। गुजरात में अपनी शर्मनाक हार पर आँसू बहा रही 137 वर्ष बूढ़ी और जर्जर काँग्रेस को देवभूमि से ऑक्सीजन मिली जिससे गुजरात हार का गम कम हुआ।

अब बात करें दिल्ली नगर निगम में हुए चुनावों की जो इस बार विधानसभा चुनावों से किसी भी मायने में कम नहीं थे देश की राजधानी के नगर निगम चुनावों को 15 सालों से वहाँ सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने हाईटेक बना दिया था सात पूर्व मुख्यमंत्री, दर्जनभर से ज्यादा भारत सरकार के केबीनेट मत्री, प्रधानमंत्री स्वयं चुनाव के प्रचार में कूद गये थे। दिल्ली के मतदाताओं ने भाजपा और काँग्रेस को नकारते हुए मात्र 10 वर्ष पुरानी अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पर विश्वास व्यक्त करते हुए नगर निगम सत्ता की चाभी उसे सौंप दी।

गुजरात में प्रचंड विजय हासिल करने वाली भाजपा को हिमाचल और दूसरा झटका दिल्ली नगर निगम की पराजय का लगा।
इन तीनों जगह के चुनाव परिणामों ने काँग्रेस-भाजपा की सिट्टी-पिट्टी गुम कर दी है और बड़बोली आप पार्टी का दंभ चकनाचूर कर दिया है। भाजपा-काँग्रेस-आप के लिये यह परिणाम जश्न के नहीं बल्कि आत्मचिंतन और मनन का विषय है।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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