जेल के अंदर का कड़वा सच : भाग-5; जेल में नशा मंत्री भी होता है

bhairavgarh jail ujjain

अर्जुन सिंह चंदेल

जिस प्रकार राज्य की सरकारें शराब व भांग की दुकानों की नीलामी करती है उसी तर्ज पर भैरवगढ़ जेल में शराब व भांग कैदियों को उपलब्ध कराने के लिये बकायदा ठेका दिया जाता है। इस दुष्कृत्य को भी कैदी ही संचालित करते हैं। जेल में प्रतिदिन तंबाकू की लगभग 250 पुडियों की खपत होती है।

नशामंत्री जेल के अंदर ए बैरक को प्रतिदिन 150 पुडिय़ा और बी बैरक को 100 पुडिय़ा प्रतिदिन सप्लाय की जाती है। एक पुडिय़ा के 300 रुपये वसूले जाते हैं। मतलब 250&300= 75000/- रुपये प्रतिदिन। चरस का सिक्का जो बाहर 500 रुपये में उपलब्ध है वह जेल के अंदर 1500/- रुपयों में बेचा जाता है प्रतिदिन जेल के बाहर बिकने वाली 50 हजार मूल्य की चरस अंदर जाकर 2.5 लाख की हो जाती है।

इसी प्रकार भाँग के शौकीन कैदियों को 300/- रुपयों में एक पुडिया दी जाती है। जेल में प्रतिदिन 1 लाख रुपये मूल्य का गांजा भी बेचा जाता है जिसकी बाहर कीमत 25 हजार रुपये है। शराब के शौकीन कैदियों को अपना शौक पूरा करने के लिये प्रति बोतल 2000 (दो हजार रुपये) का भुगतान करना होता है, यही 2000 की बोतल बाहर 700-800 की मिलती है।

बीडी का बंडल 300 रुपये, सिगरेट 100 रुपये में दी जाती है। जेल के अंदर एक नियम यह है कि उधारी नहीं होती है। प्रतिदिन 11-12 बजे के बीच जेल अधिकारियों द्वारा नियुक्त दलाल जाली (कैदियों से मिलने की जगह) पर आकर प्रतिदिन का हिसाब नियुक्त मंत्रियों से लेकर अपना हिस्सा रखकर जेल अधिकारी को पहुँचा देता है। बहुत सारा सामान तो दलाल खुद जाली पर आकर सप्लाय करता है जिसमें शराब की बोतलें, गांजा, चरस, भांग होता है।

शेष कल

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