जिला अस्पताल में 20 वर्ष पहले मृत आत्मा के लिये तंत्र-मंत्र

बुद्ध पूर्णिमा के अवकाश का उठाया फायदा, आत्मा को घर ले जाने के लिये लोहे की चेन लेकर पहुंचे परिजन

उज्जैन, अग्निपथ। शुक्रवार की सुबह 11 बजे जिला अस्पताल में झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र करने के लिये ग्रामीण क्षेत्र के महिला पुरुष पहुंचे। यहां बुजुर्ग महिला हाथ में लोहे की चेन लेकर किसी महिला की आत्मा को बाहर निकलने के लिए आवाज लगा रही थी। उसके साथ आई कुछ महिलाएं और पुरुष हाथ जोड़ खड़े रहे। बुजुर्ग महिला के जोर-जोर से चिल्लाने पर वहां भीड़ भी लग गई। बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश होने का फायदा उठाते हुए उन्होंने आसानी से तंत्र क्रिया को अंजाम दे दिया।

जानकारी देते हुए झाड-फूंक ओर तंत्र-मंत्र करने वालों ने बताया कि करीब 20 साल पहले आलोट की रहने वाली ढाकूबाई नाम की महिला को कुत्ते ने काट लिया था। उसे उज्जैन के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई थी। दावा किया गया कि हाल में ढाकूबाई के परिवार की एक महिला के शरीर में ढाकूबाई की आत्मा आई थी। आत्मा ने कहा था कि वह अभी भी अस्पताल में है, उसे लेकर आओ। इसके बाद परिवार अस्पताल में जमा हुआ। उन्होंने निर्णय लिया कि ढाकूबाई की आत्मा को लेकर घर आएंगे।

तांत्रिक ने कहा- पूजा पाठ कर घर ले जायेंगे

जिला अस्पताल में इस नजारे को देखने के लिए भीड़ लग गई थी। आलोट से यहां आए तांत्रिक करण सिंह का दावा है कि हमारे परिवार में जिस जगह मौत होती है, उसी जगह पूजा पाठ कर आत्मा को घर ले जाते हैं। शुक्रवार को परिवार वाले कार से उज्जैन पहुंचे थे। यहां पूजा पाठ कर ढाकूबाई की आत्मा को ले जा रहे हैं। अब आलोट जाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ की जाएगी।

इस तरह से कर रही थीं तंत्र-मंत्र

जिला अस्पताल में आधा घंटे तक चले तंत्र मंत्र में एक महिला हाथों में जंजीर लेकर अस्पताल के गेट पर पूजन अर्चन करती रही। कुछ देर बाद उसने पानी डालकर जगह को शुद्ध किया। इसके बाद गेट के ही मृतक की आत्मा को साथ ले जाने के लिए आवाज लगाती रही। महिलाओं ने गेट की सीढिय़ों पर पूजा-पाठ के लिए कुछ बनाया भी था। इसके बाद एक ग्रामीण महिलाओं पास पहुंचकर पूजा-पाठ करने लगा। कुछ देर बाद सभी लोग लौट गए।

अवकाश के दिन पहुंचे तंत्र क्रिया करने

हालांकि ग्रामीण परिवेश का होने के बावजूद आलोट से तंत्र क्रिया करने आये लोग समझदार थे। उन्होंने ऐसा दिन चुना जब अस्पताल में भीड़ न रहे। बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश होने और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिये यह दिन काफी अच्छा माना जाता है। इसलिये यह अवकाश के दिन पहुंचे और आसानी से तंत्र क्रिया संपन्न कर वापस चले गये।

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