राजगढ़ में दो साल से पदस्थ सीएमओ के खिलाफ उतरी परिषद

नगर परिषद के सामने धरने के बाद से राजगढ़ में चर्चा, सीएमओ दो साल से विकास में बाधक तो विरोध अब क्यों

धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। प्रदेश में इन दिनों महिलाओं के सम्मान की बात हो रही है। यह बात भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी पूर जोर तरीके से उठा रही है। भाजपा लाड़ली बहना के नाम पर महिलाओं को उचित सम्मान दिलाने की बात कह रही है। जबकि कांग्रेस नारी सम्मान के नाम से वचन पत्र जारी कर रही है। लेकिन मैदानी हकीकत इससे कौसों दूर है। कांग्रेस के कब्जे वाली नगर परिषद राजगढ़ में महिला सम्मान की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

दो साल से पदस्थ महिला अधिकारी के खिलाफ पूरी परिषद उतर आई है। इसमें विकास के अड़ंगे लगाने की बात परिषद में शामिल जनप्रतिनिधि कह रहे है। लेकिन इस अड़ंगे से एक बात यह भी निकलकर सामने आई है कि आखिरकार दो साल से नगर परिषद राजगढ़ में बतौर सीएमओ पदस्थ देवबाला पिपलोनिया को अब विकास के कामों में बाधा डालने की जरूरत क्या पड़ी

जब अखबार की टीम ने इस मुददे की पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। हालांकि इस विवाद की असल वजह को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि यदि असल वजह सामने आती है तो निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के गिरेबान तक भी इसकी आंच आ सकती है, जिन्होंने विरोध की शुरूआत तक मोर्चा खोला और जमीन पर बैठकर विरोध दर्ज करवाया। लेकिन इसके बावजूद कई बिंदु ऐसे है, जिससे जनप्रतिनिधियों और नपा सीएमओ के बीच संवाद की प्रक्रिया में दूरियां बढ़ाते गए।

जनप्रतिनिधियों पर मनमानी के आरोप

बता दे कि नगर परिषद राजगढ़ पर नगर पालिका चुनाव से पहले भी कांग्रेस का कब्जा था। भेरूलाल बारोड़ कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष रहे और उन्होंने अपना 5 वर्ष का सफलता कार्यकाल पूरा किया। इनमें से दो साल का कार्यकाल सीएमओ देवबाला पिपलोनिया के कार्यकाल है। जिसमें राजगढ़ में विभिन्न निर्माण कार्य हुए और इन्हीं विकास कार्यों को गिनाकर कांग्रेस दोबारा राजगढ़ नगर परिषद में सत्ता पर काबिज हुई। लेकिन इस बार जनप्रतिनिधियों और सीएमओ के बीच टकराव विकास की बात पर हो रहा है। सूत्र बताते है कि यह सारा झगड़ा विकास का नहीं होकर अपने-अपने हितलाभ का है। खबर है कि इसमें विधायक से लेकर पार्षद तक अपने-अपने हिसाब से नगर परिषद में ठेका और हित साधने की कोशिश कर रहे है। लेकिन सीएमओ पिपनोदिया ने नियमानुसार काम करने की सीख दी तो यह सारा बखेड़ा जनप्रतिनिधियों की तरफ से खड़ा कर दिया गया।

साफ छवि की महिला अध्यक्ष

कांग्रेस की इस बार बहुमत वाली परिषद राजगढ़ में बनी है। इसमें अध्यक्ष सवेरा जायसवाल को बनाया गया है जो कि साफ छवि की होकर संभ्रांत परिवार से आती है। लेकिन कांग्रेस के ही निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपनी अध्यक्ष की छवि को खराब करने में लगे है। सूत्र बताते है कि नगर परिषद राजगढ़ में मौजूद मशीनरी से लेकर, संसाधन, ठेका और कमिशनबाजी को लेकर खिंचतान की गई। इसका परिणाम टकराव के रूप में देखने को मिला। अब यह जनप्रतिनिधियों की मनमानी और जबरदस्ती का टकराव कब खत्म होता है यह देखना होगा। हालांकि इस मामले में सीएमओ नेेअपना पक्ष रखने से मना कर दिया।

उन्होंने इस मामले में सिर्फ इतना ही कहा कि विकास को लेकर कोई दिक्कतें नहीं है। यदि नियमानुसार कोई प्रस्ताव आता है तो उसे विधिवत प्रक्रिया में लेकर काम करवाया जाता है। सीएमओ किसी काम को नहीं रोक सकते। लेकिन तथाकथित वर्तमान पार्षद अपने स्वार्थ के लिए आपस में सभी का टकराव पैदा कर रहे हैं। अध्यक्ष का बेटा और पति अपनी अलग हुकूमत चला रहे हैं। लेकिन सीएमओ के आगे किसी की नहीं चल रही है।

यह है नियम

अब बात करें नियमों की तो सीएमओ ऐसे कोई भी काम का मना नहीं कर सकती, जिसके लिए जनप्रतिनिधि की तरफ से कोई मांग या प्रस्ताव आया है। नगर पालिका अधिनियम 1959 की धारा 323 में प्रस्ताव के उल्लंघन से संबंधित हो जिन प्रस्ताव को आम नागरिकों के हितों में अजंडे में लिखा जाता है। उन्हीं प्रस्ताव पर विचार कर परिषद निर्णय लेने के लिए सीएमओ को अधिकृत करती है।

बैठकों से दूरियां क्यों

बता दे कि नगर परिषद शहर हित में जो भी काम करती है, उसकी पटकथा निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही लिखते है। जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव प्रेसिडेंट इन काउंसिल की बैठक और परिषद की बैठक में रखे जाते है, जहां पर इन प्रस्तावों पर सहमति बनने के बाद इन्हें स्वीक्रति देकर निर्माण कार्यों को मंजूरी दी जाती है। लेकिन सूत्र बताते है कि राजगढ़ नगर परिषद के निर्वाचन के दो माह हो चुके है, लेकिन इसके बाद बुलाई गई पीआईसी और परिषद की बैठकों में उन जनप्रतिनिधियों ने ही दूरियां बनाकर रखी। बैठकों में जनप्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी के चलते विकास के काम प्रभावित हुए।

वहीं दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि ही विकास में रोड़ा डालने का आरोप लगाकर धरनावीर बन रहे है। अब देखना यह है कि क्या ये जनप्रतिनिधि विकास के नाम पर विरोध कर रहे है या अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए यह विरोध कर धरने की नोटंकी कर रहे है।

यह है मामला

राजगढ़ में आदर्श सडक़ पर वार्ड क्रमांक 4 व 5 में डॉक्टर अनोखीलाल के मकान से फर्शीवाला के मकान तक निर्माणाधीन नाले को बिना स्लैब निर्माण के अपनी मर्जी से खुला रखने के आदेश से असंतुष्ट होकर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष एवं पार्षदगणों द्वारा गत दिनों नगर परिषद् कार्यालय के बाहर धरना दिया गया था।

इसमें विधायक प्रताप ग्रेवाल ने भी अपनी सहभागिता दर्ज करवाई थी। नगर परिषद् अध्यक्ष सवेरा महेश जायसवाल, उपाध्यक्ष सहित पार्षदगणो एवं नागरिको के साथ धरने पर बैठ गए थे। इसके बाद जनप्रतिनिधियों का धरना तो खत्म हो गया, लेकिन अधिकारी को हटाने का अल्टीमेटम भी नेताओं ने दिया था।

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