जर्जर सरकारी स्कूल, टूटी-फूटी टपकती छत….हादसे का अंदेशा!

दो कमरों में लगती है तीन क्लॉस

धार, अग्निपथ। सरकार भले ही सरकारी स्कूलों को उन्नत बनाने के दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। सरकारी स्कूल भवन का नाम आते ही टूटी-फूटी छत, बारिश में टपकता पानी और एक-दो कमरों में लगती तीन से चार क्लॉस। यह हालात लगभग जिले में कई स्कूलों में देखने को मिल सकते है।

जिले के ग्राम बड़दा में स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल की हालत दयनीय हो चुकी है। जर्जर हो चुकी स्कूल भवन में कक्षाएं लगाना मजबूरी है। इस स्कूल भवन में दो कमरे हैं, जिनमें तीन कक्षाएं लगती है। 60 बच्चें पंजीकृत है। ऐसे में दिक्कतें ज्यादा है। एक कक्ष को बारिश के दौरान पूरी तरह बंद करना पड़ता है। ऐसे में हालात यह हो जाते है कि एक ही कक्ष में 6, 7 और 8वीं के बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करवाना होती है। न तो विद्यालय में आने वाले बच्चों को पढ़ाई के लिए फर्नीचर तक का अभाव है। छात्र टाटपट्टी बिछाकर पढ़ाई करने को मजबूर है।

42 साल पुरानी है बिल्डिंग

बताया जा रहा है कि इस स्कूल का निर्माण सन् 1981 में हुआ था। इसके बाद कई बार मरम्मत का काम हुआ। लेकिन अब बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। ऐसे में हादसे के डर के कारण माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे है। जिम्मेदार अधिकारी भी स्कूल भवन का निरीक्षण कर चुके हैं। लेकिन कोई ठोस निर्णय अब तक नहीं निकल पाने से स्कूल यहीं संचालित हो रहा है। स्कूल प्रबंधन और ग्रामीणों की माने तो इस छोटे से स्कूल से पढ़ाई करने वाले पूर्व छात्र आज पुलिस और प्रशासनिक पदों तक पहुंचे है। ऐसे में यदि सुविधाएं बच्चों को मिलती है तो पढ़ाई के स्तर में भी सुधार देखने को मिल सकता है।

बजट का टोटा

इसकी वजह यह है कि पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर पर चल रहे स्कूल शिक्षा विभाग के पास न तो भवनों की रिपेयरिंग के लिए बजट है और न ही नए निर्माण के लिए आवंटन। सर्व शिक्षा अभियान की माने तो बीते 3 साल से भवनों के रखरखाव और मरम्मत के लिए पैसा नहीं आया है और न ही नए भवन स्वीकृत हो पाए है, जो काम बीते 3 साल में आए है, उनमें अधिकांश बदनावर विधानसभा में हुए है। ऐसे में हालात में जहां जरूरी मरम्मत के काम है, उनके लिए भी विभाग के पास पैसा नहीं है।

आवेदनों के बाद भी मदद नहीं

इधर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि मरम्मत और जरूरी काम के लिए विभाग को आवेदन दे चुके है। स्वीकृति आना बाकी है। स्कूल प्रबंधन के राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश पूर्व मरम्मत और अन्य कामों के लिए हम आवेदन विभाग को दे चुके है। प्रक्रियाधीन होने से स्वीकृति अभी आना शेष है।

स्कूल का मामला संज्ञान में आया है। वहां बच्चो को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। मैं खुद वहाँ जाकर देखूंगा क्या हो सकता है जल्द ही निराकरण किया जायेगा।

– केशव वर्मा, डीपीसी धार

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