कष्टदायक के साथ जोखिम भरा हो गया बदनावर से उज्जैन तक का सफर

हाई-वे निर्माण में धूल भी कर रही परेशान

बदनवार, (अल्ताफ मंसूरी) अग्निपथ। उज्जैन -बदनावर टू-लेन मार्ग के फोरलेन में तब्दील करने से भविष्य में यातायात सुगम बनेगा साथ ही कम समय में गंतव्य तक पहुंचने में राह आसानी होगी। किंतु वर्तमान में फोरलेन निर्माण से उज्जैन तक आने जाने का सफर कष्टदायक हो चुका है। समय पर संधारण नही करने से सडक़ों से डामर उखडक़र गडढे हो रहे है। कहीं कहीं तो यह स्थिती हो गई है कि सडक़ पर गडढे या गडढों में सडक़ कहना भी मुश्किल है। अक्सर लोग गिरकर घायल भी हो जाते है।

यहां बड़ी चौपाटी पर तो धूल के गुबार से घरों की रंगत तक बदल गई है। खास बात तो यह है कि गडढों में तब्दील हो चुकी सडक़ के कुछ हिस्से के संधारण के लिए न तो एमपीआरडीसी और न ही फोरलेन निर्माण कंपनी कोई ठोस कदम उठा रही है। लिहाजा इस सडक़ की हालत और भी ज्यादा दयनीय होती जा रही है।

उज्जैन-बदनावर की टू लेन सडक़ (एसएच-18) पर यातायात के दबाव को देखते हुए इस 69.1 किमी को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-752 डी) घोषित किया गया। 1352 करोड़ रूपए की लागत से इसको फोरलेन बनाया जा रहा है। जो लगभग दो साल में बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगा। एक ओर सडक़ के चौड़ीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। लेकिन जहां जहां भी पुरानी सडक़ इस मार्ग पर है उसकी सुध नहीं ली जा रही है। कहीं डामर की सडक़े छलनी हो गई है तो कहीं कच्ची सडक़ों से धूल के गुबार उड़ रहे है।

गिटिटयों पर दुपहिया वाहन फिसल रहे है तो बड़ी गाडिय़ों में गिट्टी लगने से टायरों में नुकसान हो रहा है। खस्ताहाल सडक़ों के कारण बसों के गंतव्य तक पहुंचने में देरी हो रही है जो आए दिन बस मालिकों के लिए विवाद का कारण भी बन रही है। यहां बड़ी चौपाटी से उज्जैन की और करीब एक किमी की दूरी में गडढों की भरमार है। कहीं कहीं छ फीट लंबे, तीन फीट चौड़े तथा करीब छ इंच से एक फीट तक गहरे गडढें हो रहे है। सडक़ की साइडें भी पांच इंच से लगाकर एक फीट तक गहरी हो रही है। ऐसे में इन सडक़ों पर निकलते वाहनों से उड़ती धूल के कारण चौपाटी क्षेत्र में स्थित घरों की रंगतें बदल गई है।

वाहनों के निकलने से उड़ रही धूल से क्षेत्रवासी करीब तीन माह से खासे परेशान है। खराब सडक़ का संधारण फोरलेन निर्माण कंपनी ने गत माह किया था लेकिन उसके बाद हुई एक ही वर्षा ने संधारण की पोल खोल दी। अभी वर्तमान में यह हालत है कि गडढों से चूरी निकलकर बाहर उड़ रही है। दिन ब दिन गडढों की चौड़ाई और गहराई भी बढ़ती जा रही है। रात्रि में दोपिहया वाहन चालकों को इस सडक़ से उज्जैन तक का सफर बड़ा ही कष्टदायक वह जोखिम भरा हो चुका है।

कुछ चार पहिया वाहन तो लंबी दूरी तय कर बडऩगर से पीर झलार, गौतमपुरा, चिंतामण होते हुए उज्जैन जा रहे हंै। इस मार्ग पर रात्रि में सफर करना भी काफी जोखिमभरा हो गया है। पंचकवासा, ढोलाना में तो डायवर्शन मार्ग पर आए दिन दुर्घटनाए होती है। धूल और गिटटी उडऩे से हो रही परेशानियों को लेकर ग्रामीणों ने ग्रामीणो ने कई मर्तबा शिकायतें भी की है किंतु कोई इसको गंभीरता से नही ले रहा है। यहां फोरलेन चौपाटी व लेबड़-नयागांव फोरलेन एक दूसरे को क्रास करते है। लेकिन जैसे ही चौपाटी से बडऩगर की और प्रवेश करते है वैसे ही गडढों की भरमार की शुरूआत हो जाती है। नगरवासियों ने सडक़ के उचित संधारण और स्थाई तौर पर गडढें भरने की मांग निर्माण कंपनी से की है।

फोरलेन निर्माण एजेंसी के सहायक प्रबंधक एमके स्वामी का कहना है कि वर्षाकाल में सडक़ का संधारण करवाया था। वर्तमान में सडक़ इतनी खराब हो रही है इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। फोरलेन पर जब डामरीकरण के लिए मटेरियल आ जाएगा तो इस सडक़ की मरम्मत भी करवा दी जाएगी।

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