चोरी के बाद पिता-पुत्र ने कबाडिय़ों को बेचा था ट्रक

वारदात में शामिल साथी और खरीददारों की तलाश

उज्जैन, अग्निपथ। देवासरोड बायपास कालोनी से चोरी हुए ट्रक के मामले में पुलिस ने पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया है। दोनों ने साथी के साथ मिलकर ट्रक कबाडियों को बेच दिया था। पुलिस अब साथी और खरीददारों की तलाश कर रही है। पिता-पुत्र को न्यायालय में पेश किया गया है।

आगररोड एलांस सिटी में रहने वाले भगवतसिंह सिसौदिया का ट्रक क्रमांक एमपी 09 एचजी चालक धर्मेन्द्र चौहान रात में अपने घर क्षिप्रा विहार में खड़ा करता था। चार दिन पहले ट्रक अज्ञात बदमाशों ने चोरी कर लिया था। नागझिरी पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की और वारदात के बाद सामने आये फुटेज के आधार पर नागझिरी क्षेत्र में रहने वाले समीर खान और उसके पुत्र जिशान को गिर तार कर पूछताछ शुरू की।

समीर ने बताया कि वह ड्रायवरी करता है। उसके दोस्त महेश निवासी देवास पर कर्ज हो गया था। दोनों ने ट्रक चोरी की योजना बनाई और पुत्र जिशान को साथ लेकर क्षिप्रा विहार पहुंचे थे। ट्रक चोरी के बाद इंदौर में वाहनों का भंगार करने वालों को बेच दिया।

बदले में 3 लाख रूपये मिले थे, जिसे आपास में बांट लिया था। पुलिस ने मामले का खुलासा होने पर इंदौर में दबिश देकर ट्रक की बॉडी और पार्टस बरामद किये थे। वहीं चोरी में शामिल महेश और ट्रक खरीदने वाले वसीम और खाजू की तलाश में दबिश दी, लेकिन वह फरार होना सामने आये।

टीआई केएल गेहलोत ने बताया कि गिरफ्तार किये गये पिता-पुत्र को बुधवार दोपहर न्यायालय में पेश कर रिमांड पर लिया गया है। जिनसे ट्रक बेचने के बाद मिले रूपयों की बरामदगी के साथ फरार साथियों के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है।

वारदात स्थल पर दिखी थी स्विफ्ट कार

टीआई गेहलोत ने बताया कि ट्रक चोरी का मामला सामने आने के बाद फुटेज खंगाले गये थे। जिसमें वारदात स्थल क्षिप्रा विहार में स्विफ्ट कार क्रमांक एमपी 13 जेडसी 8230 दिखाई दी थी। जिसके आधार पर सुराग मिला था। कार ट्रक के आगे चलती हुई इंदौर टोल नाके पर देखी गई थी। कार का नबंर ट्रेस होने पर समीर खान को हिरासत में लिया था।

पूछताछ में सामने आया कि रात में ट्रक चोरी के बाद अलसुबह इंदौर के खजराना में कबाडी का काम करने वालों को सौंप दिया था। समीर ने बताया कि वह पहले से कबाड़ी वसीम को जानता था। ट्रक लेने के कुछ घंटे बाद ही ट्रक की बॉडी और पार्टस अलग-अलग कर दिये गये थे। वह रूपये लेकर उज्जैन आ गये थे। समीर का कहना था कि उज्जैन से इंदौर तक ट्रक लेकर महेश गया था, वह और पुत्र कार में आगे चल रहे थे।

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