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अर्जुन सिंह चंदेल
उज्जैनवासियों के लिये जहाँ 2022 महाकाल लोक की सौगात लेकर आया था वहीं 2023 में भी बाबा महाकाल ने मोहन यादव जी के मुख्यमंत्री बनने की अनुपम सौगात नगरवासियों की झोली में डाल दी है। न भूतों न भविष्यति शायद आज की पीढ़ी ऐसा सुअवसर देखने के लिये जीवित न रहे।
अब मेरे शानदार शहर के जागरूक नागरिकों को भी चाहिये कि वह उज्जयिनी के विकास में अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन करें। विकास का दायित्व सिर्फ शासन-प्रशासन का है या ना ही चंद दिनों के लिये पदस्थ हुए प्रशासनिक अधिकारियों का। इस जिले के हर नागरिक, संगठन, सामाजिक संस्थाएं, राजनैतिक दल, साधु-संत, औद्योगिक इकाइयों, व्यापारियों के साथ ही प्रत्येक नागरिक को शहर विकास में अपनी सहभागिता करनी चाहिये।
याद रहे हमारे पास समय कम है व्यवस्थाओं के अनुसार मांत्र 1825 दिन हमें मिले हैं जिसमें से लगभग 20 दिन के खर्च हो चुके हैं। एक-एक दिन हमारे लिये कीमती है।
मेरा ऐसा मानना है कि यहाँ रहने वाला हर वांशिंदा इस शहर के स्पन्दन को, धडक़नों को जितना महसूस करता है उतना अन्य कोई नहीं कर सकता है। हम शायद अधिकारियों से ज्यादा जानते हैं या भोगते हैं। अनुभव करते हैं कि इस उज्जैन को किस-किस तरह के विकास की जरूरत है या जनता के गाढ़े खून-पसीने की कमाई का सदुपयोग किन यथोचित स्थानों पर किया जाना चाहिये, यदि हम चूक गये तो हश्र स्मार्ट सिटी के योजना के अंतर्गत किये गये बेफिजूल के कार्यों जैसा ही होगा जिसमें सैकड़ों करोड़ों रुपयों को बत्ती लगा दी गयी और कर्ताधर्ता मदमस्त हो गये।
होना यह चाहिये कि आठ लाख आबादी के मेरे शहर में हर वर्ग के नागरिकों की बैठकें हो, जैसे मीडिया के साथी एक जाजम पर बैठकर शहर के विकास के लिये सुझावों का आदान-प्रदान करें उन्हें इकजायी करें, इसी तरह सामाजिक संस्थाएं एक जगह एकत्र होकर सुझाव इक्कठा करें, राजनैतिक दल चाहे काँग्रेस, भाजपा, आप के कार्यकर्ता हो, वे अलग-अलग बैठक कर नगर हित के लिये कौन से विकास कार्य जरूरी है उन पर मंथन कर सुझाव एकत्र करें।
व्यापारी वर्ग, ऑटो-रिक्शा चालक भी सलाह दे। क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य, अजा-अजजा वर्ग के लोग समाज की बैठकें लेकर सुझाव लें और पूरे नगर से आये सुझाव एक जगह एकत्र किये जाकर उन्हें एकजायी किया जाए, ताकि सुझावों की पुनरावृत्ति ना हो। आम नागरिक भी अपने सुझाव दे सके ऐसी भी व्यवस्था होनी चाहिये।सारे आये हुए सुझावों को छाँटकर व्यवस्थित करके माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रस्तुत किये जाने चाहिये।
हम नगरवासी हमारे लाड़ले मुख्यमंत्री जी से उम्मीद करते हैं कि वह अपनी जन्मभूमि के विकास के लिये कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि इस अवंतिका नगरी का उन पर भी कर्ज है। इस सत्यता से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मुख्यमंत्री जी के गृह नगर में सप्ताहांत में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाती है, शहर के सभी चौराहों जैसे दौलतगंज, कंठाल, देवासगेट, इंदौर गेट पर रोजाना जाम की त्रासदी से नागरिकों को रूबरू होना पड़ता है।
महाकाल लोक के सामने स्मार्ट पार्किंग तो बना दी है पर वहाँ तक वाहन पहुँचेंगे कैसे इस पर विचार ही नहीं किया गया। बाहर से आने वाले वाहनों को हरिफाटक पुल ही चढऩे नहीं दिया जाता है तो वह स्मार्ट पार्किंग तक पहुँचेंगे कैसे, इसी तरह हरिफाटक ब्रिज के नीचे जिला पंचायत द्वारा वर्षोे पूर्व 3-4 करोड़ की लागत से निर्मित अनुपयोगी हाट-बाजार शहर के नागरिकों के साथ ही जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को मुँह चिढ़ा रहा है।
यदि इसे जमींदोज करके मल्टी लेवल पार्किंग बनाकर नीलगंगा थाने के पास से अंडरग्राउंड रास्ता बना दिया जाए महाकाल लोक जाने के लिये तो श्रद्धालुओं को बहुत राहत मिलेगी और हरिफाटक ब्रिज पर ट्रैफिक लोड कम होगा।
बडऩगर रोड के रेलवे क्रॉसिंग पर बीते 9 सालों से बन रहा उच्च स्तरीय पुल आज तक पूर्ण नहीं हो पाया है जो सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े कर रहा है। इस अधूरे पुल के पूर्ण ना होने के जवाबदार लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिये। यह कुछ बानगी थी मेरे व्यक्तिगत सुझावों की।
जय उज्जैन