अगर लगातार कोहरे के साथ ओस गिरी तो चने, गेहूं का उत्पादन हो सकता है कम
उज्जैन, अग्निपथ। लगातार कोहरे से जिले में किसान चिंतित है। ज्यादातर फसलों को इस कोहरे के लगातार बने रहने से नुकसान की आशंका जताई जा रही है। हालांकि किसानों को कृषि विभाग ने सलाह दिसंबर के महीने में जारी कर दी थी। जिन किसानों ने सलाह पर अमल किया होगा, उनका नुकसान कम होगा और जिन्होंने ध्यान नहीं दिया होगा, उनके सामने संकट खड़ा हो जाएगा। दावा किया जा रहा है कि कोहरे के साथ ओस की बूंदों से गेहूं की फसल को नुकसान होगा, उत्पादन भी घट सकता है। अभी पहला दिन है इसलिए कहीं से नुकसान की सूचना नहीं है।
उज्जैन जिले में इस समय 4 लाख 20 हजार हैक्टेयर में गेहूं की बोवनी की गई है। जबकि चने की 12 से 13 हजार हैक्टेयर में बोवनी की गई है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक कोहरे के साथ ओस की बूंदें दोनों ही फसलों के लिए इस समय नुकसान दायक है। क्योंकि इस समय खेत में खड़ी दोनों ही फसलों पर फूल आ रहे हैं। यह फूल ही फसल की जान होते हैं।
अगर ओस की बूंदों से यह फूल झड़ गए हैं तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यानी दोनों ही फसलों को नुकसान होगा। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी एक दो दिन में ज्यादा नुकसान नहीं होगा। परन्तु कोहरा लगातार बना रहा तो दोनों फसलों को नुकसान करने लगेगा। इसीलिए किसानों को लगातार पाले को हटाने के लिए सलाह दी जा रही है।
इस समय खेतों से मटर की फसल पूरी तरह से खाली हो रही है। इसलिए फलियों को नुकसान नहीं होगा। पिछेती वाली फसलों को नुकसान हो सकता है। आलू की फसल निकलने के लिए तैयार है। वैसे यह कोहरा आलू के लिए अच्छा साबित होगा।
नुकसान कम करने के लिए यह उपाय करें
कृषि विभाग के उप संचालक आरपीएस नायक का कहना है कि पाले की संभावना पर रात में खेत में 6-8 जगह पर धुआं करना चाहिये। यह धुआं खेत में पड़े घास-फूस अथवा पत्तियां जलाकर भी किया जा सकता है। यह प्रयोग इस प्रकार किया जाना चाहिये कि धुआं सारे खेत में छा जाए तथा खेत के आसपास का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक आ जाए। इस प्रकार धुआं करने से फसल का पाले से बचाव किया जा सकता है।
रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिये दो व्यक्ति सुबह-सुबह (जितनी जल्दी हो सके) एक लंबी रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते हैं। इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है तथा फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है।
पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिये। इससे मिट्टी का तापमान बड़ जाता है तथा नुकसान की मात्रा कम हो जाती है। सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिये तथा इतनी ही करनी चाहिये जिससे खेत गीला हो जाए।
रसायन से पाला नियंत्रण
वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित करने के संबंधी प्रयोग किये गए हैं। इसके लिए घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत् का घोल (3 से 5 एम.एल./ली. पानी के साथ) का प्रयोग करें। घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत + बोरान 0.1 प्रतिशत् घोल (3 से 5 एम.एल./ली.+1 एम.एल. पानी के साथ)का प्रयोग करें।
गंधक के एक लीटर तेजाब को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ने से लगभग दो सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है। रसायनों विशेषकर गंधक के तेजाब का उपयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक तथा किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिये।
मंडी में सुरक्षा के लिए गार्डों को किया तैनात
कृषि उपज मंडी में किसान और व्यापारियों की सुरक्षा को लेकर अनाज तिलहन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र अग्रवाल, सचिव हजारीलाल मालवीय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल डीएस प्रवीण वर्मा से मिला था। इसके बाद मंडी में दूसरे गेट पर एक अतिरिक्त गार्ड को तैनात कर दिया गया है। वर्मा का कहना है कि एक गार्ड मु य गेट पर पहले से तैनात रहता था।
इसलिए यहां सुरक्षा की जि मेदारी उसकी है। सफार्ई के लिए भी ठेकेदार को निर्देश दिए जा चुके हैं। काऊ कैचर लगाने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है। फाजलपुरा के छोटे गेट पर काऊ कैचर लगा है। इससे पशु मंडी में घुस न पाए इसके इंतजाम किए जा रहे हैं।